दिल के दौरे की आशंका का सटीक पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक विशेष परीक्षण विकसित किया है। यह उन लोगों के लिए है जिनमें इस बीमारी के लक्षण दिखने के बावजूद अभी तक दौरा नहीं पड़ा है।
यह नयी 'फ्लूड बायोप्सी' तकनीक ऐसे लोगों की पहचान कर सकेगी, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा है। इससे सही समय पर उनका उपचार और बचाव कर कई जानें बचाई जा सकेंगी।
यह परीक्षण द्रव्य बायोप्सी तकनीक पर काम करता है। इसका आविष्कार स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने किया है। यह उन मरीजों के दिल में दौरे के खतरे की अपेक्षाकृत सटीक पहचान करने में सक्षम है जिनमें इस बीमारी के लक्षण दिख चुके हों। इस परीक्षण के तहत मरीजों के रक्तप्रवाह की जांच करके कुछ विशेष कोशिकाओं की पहचान की जाती है, जो दिल के दौरों के लिए संकेतक होते हैं।
बायोप्सी वह परीक्षण विधि है जिसके तहत किसी मरीज के शरीर से लिए गए उत्तकों या द्रव की जांच के जरिये किसी बीमारी या उसके होने के कारण की पहचान की जाती है।
फिलहाल ऐसा कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं है जिसके जरिये दिल का दौरा पड़ने के खतरे को पहले से पता लगाया जा सके। आईओपी पब्लिशिंग जर्नल फिजिकल बायोलॉजी के नवीनतम संस्करण में इस तकनीक का विवरण दिया गया है।
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