क्या है 'चमकी बुखार' या एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, जानें इसके शुरुआती लक्षण और खतरे

बिहार में 136 से भी ज्यादा बच्चों की मौत का कारण बनने वाला चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस रोग क्या हैं? जानें चमकी बुखार के लक्षण, इसके फैलने का कारण, लीची कनेक्शन और बीमारी से बचाव के बारे में सबकुछ।
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क्या है 'चमकी बुखार' या एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, जानें इसके शुरुआती लक्षण और खतरे

बिहार में पिछले 3 सप्ताह में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 136 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मौत की वजह 'चमकी बुखार' या 'इंसेफ्लाइटिस' को बताया जा रहा है। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को कुछ लोग दिमागी बुखार, जापानी बुखार, चमकी बुखार आदि भी कहते हैं। ज्यादातर गर्मी और उमस के मौसम में फैलने वाली इस बीमारी ने बिहार में मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात ला दिए हैं। मरने वाले ज्यादातर बच्चे 1 से 10 साल की उम्र के हैं।

इन सभी बच्चों में लगभग एक जैसे ही लक्षण दिखे। बुखार आने के बाद अचानक इनके ब्लड शुगर (खून में शुगर की मात्रा) कम हुई और इसी कारण इनकी मौत हो गई। आइए आपको बताते हैं क्या है ये एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम या चमकी बुखार और क्या हैं इसके लक्षण और कारण।

क्या है चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस? (What is Chamki fever or Encephalitis)

इंसेफ्लाइटिस मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है। हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं, जिनके सहारे शरीर के अंग काम करते हैं। जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है, तो इसे ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के वायरस जब शरीर में पहुंचते हैं और खून में शामिल होते हैं, तो इनका प्रजनन शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे ये अपनी संख्या बढ़ाते जाते हैं। खून के साथ बहकर ये वायरस मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन का कारण बनते हैं और शरीर के 'सेंट्रल नर्वस सिस्टम' को खराब कर देते हैं।

तुरंत इलाज है बहुत जरूरी (How Risky is Chamki fever or Encephalitis?)

इंसेफ्लाइटिस एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है, जिसमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। अगर देर की जाए, तो व्यक्ति की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। बिहार में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस के कारण पहले भी हजारों बच्चों की जानें जा चुकी हैं। यही नहीं, खास बात ये है कि ये बीमारी सिर्फ बच्चों ही नहीं, बल्कि वयस्कों और बुजुर्गों को भी प्रभावित कर सकती है।

लीची और चमकी बुखार का क्या है कनेक्शन? (Lychee and Chamki fever or Encephalitis)

रिपोर्ट बताती हैं कि शुरुआती मामलों में कुछ बच्चों में पाया गया कि संक्रमित बच्चों ने लीची का सेवन किया था। इसके बाद इस बात के सूत्र खोजे जाने लगे कि क्या लीची ऐसी बीमारी का कारण बन सकती है। बिहार में होने वाली मौतों में अभी लीची को वैज्ञानिक रूप से कारण नहीं पाया जा सका है। मगर 'द लैसेंट' नामक पत्रिका में 2017 में छपी रिपोर्ट, जो कि बिहार में ही 2014 में हुई मौतों के बारे में थी, बताती है कि लीची इस तरह की मौत का कारण बन सकती है।

दरअसल कच्ची या अधपकी लीची में हाइपोग्लायसिन ए' तथा 'मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन' नाम के तत्व पाए जाते हैं। देर तक खाना न खाने पर शरीर का ब्लड शुगर लेवल वैसे ही कम हो जाता है। ऐसे में अगर सुबह खाली पेट इन अधपकी या कच्ची लीचियों को खा लिया जाए, तो ये दोनों तत्व शरीर का ब्लड शुगर और ज्यादा घटा देते हैं, जिससे कई बार स्थिति जानलेवा हो सकती है। बिहार में कुछ मामलों में ऐसा देखा गया है कि मरने वाले बच्चों ने रात का खाना नहीं खाया था। हालांकि पिछले 2 सप्ताह में हुई मौतों के मामले में लीची कितनी जिम्मेदार है, इसका पता आगे जांच द्वारा ही चलेगा।

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क्या हैं चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस के लक्षण? (Symptoms of Chamki fever or Encephalitis)

चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस के लक्षणों को पहचान पाना आसान नहीं है, क्योंकि ये वायरस दिमाग के जिस हिस्से को प्रभावित करता है, उसके अनुसार अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। मगर ज्यादातर मामलों में कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • सिर चकराना
  • सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द
  • अचानक बुखार आना और ठीक न होना
  • पूरे शरीर में दर्द होना
  • जी मिचलाना और उल्टी होना
  • बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना(ग्लूकोज कम होने के कारण)
  • चेतना खो जाना, बेहोश हो जाना
  • आंखों के आगे अंधेरा छा जाना
  • सुनने में परेशानी होना
  • दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना या हरकतें करना
  • पीठ में तेज दर्द और कमजोरी
  • चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षण दिखना
  • शरीर में करंट जैसे झटके लगना और धुंधला दिखाई देना
  • बेहोश हो जाना या अचानक गिर जाना

बच्चों को क्यों शिकार बना रहा है चमकी बुखार? (Chamki fever or Encephalitis and Children Death)

बिहार में जिन बच्चों को चमकी बुखार शिकार बना रहा है, उनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से हैं और कुपोषण का शिकार हैं। खाने की उचित व्यवस्था न हो पाने के कारण ये बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हैं और इनका प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून सिस्टम (वायरस और बैक्टीरिया से फैलने वाले रोगों से शरीर को बचाने वाला सिस्टम) भी बहुत कमजोर है। ऐसे में वायरस के प्रभाव के कारण इन बच्चों का ब्लड शुगर बहुत जल्दी गिर गया।

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कैसे फैलता है चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस? (How Does Chamki fever or Encephalitis Spread?)

इंसेफ्लाइटिस एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकती है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर व्यक्ति के इस बीमारी के संक्रमित हो जाने के बाद उसके मल-मूत्र, थूक, छींक आदि (शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ) के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में भी इंसेफ्लाइटिस के वायरस पहुंच सकते हैं।

कैसे बच सकते हैं चमकी बुखार या इंसेफ्लाइटिस से? (How to Prevent Chamki fever or Encephalitis)

 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक इंसेफ्लाइटिस से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • इंसेफ्लाइटिस का ही एक रूप है जापानी बुखार, जो मच्छरों के कारण फैलता है इसलिए अपने आसपास साफ-सफाई रखें और मच्छरों को न पनपने दें।
  • बच्चों को रात में अच्छी तरह खाना खिलाकर सुलाएं।
  • खाना पौष्टिक और ठोस होना चाहिए।
  • पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी है। गर्मी और उमस के मौसम में प्यासे न रहें। डिहाइड्रेशन के कारण भी ब्लड शुगर तेजी से घटता है।
  • फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोए बिना बिल्कुल न खाएं।
  • बुखार आने पर खुद से दवा खाने के बजाय, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अगर आपके आसपास इंसेफ्लाइटिस के मामले बढ़े हैं, तो मुंह पर मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलें।

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