क्या होता है बॉडी स्पा और किस उम्र में कराना होता है फायदेमंद? जानें

गर्मी के मौसम में धूप या धूल-मिट्टी के कारण शरीर में थकावट और दर्द सा होने लगता है। धूप की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के कारण डिहाइड्रेशन, पिग्मेंटेशन और रैशेज जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं।
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क्या होता है बॉडी स्पा और किस उम्र में कराना होता है फायदेमंद? जानें


गर्मी के मौसम में धूप या धूल-मिट्टी के कारण शरीर में थकावट और दर्द सा होने लगता है। धूप की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के कारण डिहाइड्रेशन, पिग्मेंटेशन और रैशेज जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। इनसे निजात पाने के लिए समर स्पा बहुत ज़रूरी है। हेल्थ व ब्यूटी के लिए इन दिनों स्पा का बहुत क्रेज है। इसमें कई तरह की मसाज, बाथ, योग और मेडिटेशन के जरिये शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकाला जाता है। स्पा में तमाम प्राकृतिक चीजें इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें मसाज के जरिए मसल्स पर एक खास तरह का प्रेशर डाला जाता है, जिससे तनाव और थकान दूर होती है। जिसके कारण फिजिकल और मेंटल हेल्थ ठीक रहती है।

क्या है स्पा

स्पा शब्द लैटिन भाषा से आया है, जिसका मतलब है मिनरल्स से भरपूर पानी में स्नान। स्पा थेरेपी यूरोपीय देशों से शुरू हुई और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई। स्पा में बॉडी मसाज, बॉडी रैप, सॉना बाथ और स्टीम बाथ शामिल हैं। अगर रिलैक्स होने के लिए स्पा लेना चाहती हैं तो आप इसका चुनाव कर सकती हैं। इसमें आपकी सेहत और खूबसूरती को बेहतर करने और रिलैक्सेशन के लिए दी जाने वाली थेरेपी शामिल होती है। अगर आप इसे किसी बीमारी के इलाज के तौर पर कराना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक डॉक्टर से पूछ कर कराएं। जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं जैसे कि नींद न आना, मोटापा, जोड़ों में दर्द, बाल झडऩा, डिप्रेशन, मुंहासे आदि का इलाज स्पा थेरेपी से किया जाता है।

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स्पा के फायदे 

  • तनाव कम कर मन को रिलैक्स करता है।
  • तन और मन को तरोताजा करता है। 
  • ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है। 
  • शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है। 
  • शरीर में कसावट लाकर बुढ़ापे की रफ्तार धीमी करता है। 
  • जोड़ों में लचीलापन लाता है।

किस उम्र में कराएं

आमतौर पर 12 साल की उम्र से पहले स्पा कराने की सलाह नहीं दी जाती है। दरअसल, इस उम्र में बच्चे का शरीर काफी नाजुक होता है। तेज मालिश आदि से उसे नु$कसान हो सकता है। 12 से 18 साल के बीच कुछ ही तरह की थेरेपी दी जाती हैं जैसे कि मसाज, शिरोधारा, सॉना बाथ। 18 साल या इससे ज्य़ादा की उम्र में कोई भी स्पा थेरेपी करा सकते हैं।

स्पा के प्रकार 

स्पा दो तरह का होता है। मेडिकल स्पा और ब्यूटी स्पा।

ब्यूटी स्पा

इसमें मसाज सबसे खास है। मसाज या मालिश करीब 45 मिनट से एक घंटे तक की जाती है। यह कई तरह की होती है। इसमें शरीर पर गोल-गोल मूवमेंट के साथ आराम से मसाज की जाती है। यह काफी सॉफ्ट होती है इसलिए आमतौर पर स्त्रियां इसे कराना पसंद करती हैं।

मेडिकल स्पा

इसके जरिए आमतौर पर लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस ट्रीटमेंट के दौरान आयुर्वेदिक डॉक्टर का वहां मौजूद होना बहुत जरुरी है। इस इलाज के दौरान आमतौर पर मेडिकेटेड ऑयल (जड़ी-बूटियों आदि मिलाकर तैयार किया गया) से मसाज की जाती है, जिसे अभ्यंगम कहा जाता है। इसमें 1 या 2 लोग मिलकर फुल बॉडी मसाज करते हैं।

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स्पा और आयुर्वेद में फर्क

स्पा बॉडी और मन को रिलैक्स करने के लिए होता है, जबकि आयुर्वेदिक उपचार में किसी बीमारी का इलाज किया जाता है। मसलन जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए कटि बस्ती करते हैं। इसमें घुटने पर आटे की टोकरी-सी बनाकर लगाते हैं और उसमें गर्म तेल डालते हैं। करीब 20-25 मिनट घुटना इसमें रखकर फिर उस तेल से घुटने की मालिश करते हैं। शुगर के मरीजों को पोटली ट्रीटमेंट देते हैं। स्पा कोई भी करा सकता है, जबकि आयुर्वेदिक इलाज बीमार का किया जाता है।

स्पा और मसाज में अंतर

मसाज स्पा का एक हिस्सा है। किसी भी तरह की मसाज स्पा में ही आती है लेकिन स्पा में मसाज के अलावा स्टीम, सॉना, पैक और रैप आदि भी आते हैं।

कौन न कराए

बुखार, इन्फेक्शन और चोट में न कराएं। सर्जरी के बाद भी छह महीने तक परहेज करना चाहिए। हाई बीपी के मरीज स्टीम या सॉना बिलकुल न कराएं। पैरालिसिस या कैंसर जैसी बीमारियों में भी ट्रीटमेंट के तौर पर स्पा नहीं कराना चाहिए। हां, रिलैक्स करने के लिए कोई थेरपी करा सकते हैं। प्रेग्नेंसी में स्पा थेरेपी नहीं करानी चाहिए। तीन से छह महीने की प्रेग्नेंसी में फुट थेरेपी आदि करा सकते हैं लेकिन इसके पहले या बाद में वह भी नहीं। नॉर्मल डिलिवरी के बाद तीन महीने तक और सिज़ेरियन के बाद छह महीने तक इसे न कराएं।

कितना कराएं

ज्य़ादा से ज्य़ादा 15 दिन में एक बार या फिर 6-9 महीने में हफ्ते भर लगातार कराएं। बाकी आयुर्वेदिक डॉक्टर जैसी सलाह दें, उसे फॉलो करें। अपने मन से कोई निर्णय न लें। ध्यान रखें कि यह आदत बेशक बन जाए लेकिन लत नहीं।

क्या है रेट

यूं तो ब्रैंड नेम, सुविधा और बीमारी आदि के अनुसार रेट तय होते हैं, फिर भी मोटे तौर पर एक थेरेपी के लिए 1000 से 3000 रुपये तक खर्च होते हैं।

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