क्‍या खाकर पहलवान करते हैं अखाड़े में कुश्‍ती, जानें उनकी डाइट और डेली रूटीन

आज हम आपको इस लेख के माध्‍यम से बताएंगे कि आखाड़े में कुश्‍ती करने वाले पहलवानों की दिनचर्या कैसी होती है और उनकी डाइट में कितना दम होता है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
क्‍या खाकर पहलवान करते हैं अखाड़े में कुश्‍ती, जानें उनकी डाइट और डेली रूटीन

65 किग्रा फ्री स्टाइल में खेलने वाले भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने एशियन गेम्स में गोल्‍ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्‍होंने यह उपलब्धि 18वें एशियाई खेल में हासिल की है। उन्‍होंने फाइनल मुकाबले में जापान के दाइजी ताकातानी को 11-8 से मात देते हुए गोल्‍ड मेडल अपने नाम किया। बहुत ही साधारण परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले बजरंग की कड़ी मेहनत और उनके गुरू योगेश्‍वर दत्‍त द्वारा सीखे गुर का नतीजा है जिसने भारत को पहला गोल्‍ड मेडल दिलाया है। आज हम आपको इस लेख के माध्‍यम से बताएंगे कि आखाड़े में कुश्‍ती करने वाले पहलवानों की दिनचर्या कैसी होती है और उनकी डाइट में कितना दम होता है। 

पहलवानों की दिनचर्या  

पहलवान की दिनचर्या बहुत ही अनुशासित होती है। कुश्ती करने से पहले पहलवान को सुबह के चार बजे उठना और कंपाउंड के चारों ओर दौड़कर चक्कर कर लगाने पड़ते हैं। कुश्ती के लिए तैयार होने का मतलब है कि आपने अपने शरीर पर तेल लगाया है और फिर आप अखाड़े में आकर कसरत करते हैं।  

कसरत करने से पहले पहलवान मैदान को खोदते है, फिर गड्ढ़े में छाछ, तेल और लाल मिट्टी मिलाते है फिर वहां से छोटे पत्थर निकालते हैं ताकि कुश्ती के दौरान पहलवान को चोट ना लगे। फिर भी गड्ढा इतना पक्का होना चाहिए कि कुश्ती करते वक्त दांव लगाने में बाधा ना आए  और पहलवान कुश्ती के तकनीक का इस्तेमाल अच्छी तरह कर सके। 

इसके बाद आता है बाऊट जिसे ज़ोर करते हैं, इसका शाब्दिक मतलब शक्ति होता है। धर्म, स्थान के अनुसार, उस्ताद या खलीफ़ा या मास्टर कुश्ती के बाउट्स को सुपरवाईज़ करता है जिसमें दो विरोधी पहलवान एक दुसरे को पटकनी देते हैं। कुश्ती में लक्ष्य यह होता है कि कैसे विरोधी के कंधे को जमीन तक झूकाएं हालांकि जीत के लिए अगल तरीके भी होते हैं जिन्हें ज़ोर का सही इस्तेमाल कर पाप्त किया जा सकता है लेकिन ज़ोर का अभिप्राय दोनो पहलवानों के लिए केवल बाऊट से नहीं है इसलिए दोनों पहलवानों को एक साथ मिलकर सीखना चाहिए ताकि सभी तरह के व्यायाम अखाड़ें में हो सके।  

सबसे छोटे और अनुभवहीन को अपने से वरिष्ठ पहलवानों की मालिश करनी होती है जो की एक आदर और सदभाव दिखाने की एक प्रक्रिया है। कुश्ती की आदर भाव दिखाने की यह प्रक्रिया धर्म और जात-पात की सभी दीवारों को गिरा देती है, इस प्रकार कुश्ती लोगो को लोगो से जोड़ती है। 

इसे भी पढ़ें: विद्युत जामवाल की फिटनेस का है ये है मूलमंत्र, रोज करते हैं ये 2 एक्सरसाइज 

कैसा होता है पहलवानों का आहार 

पहलवानों का खाना सचमुच दिलचस्प होता है। बिना संपूर्ण आहार के अखाड़े के राजा की कल्पना ही नहीं की जा सकती। पहलवानों के आहार का एक पवित्र त्रिशंकु होता है जिसमें घी, दूध और बादाम आते हैं और इनकी मात्रा भी भरपूर होती है। यह बात हर कोई जानता है कि प्रसिद्ध गामा पहलवान चार लीटर दूध, घी और बादाम के घोल को पचा जाते थे। वैसे पहलवान जो मांसाहारी हैं उनके लिए चिकन से बनी मीट सूप, जिसे याकनी भी कहते है, दो पावरोटी के साथ श्रेष्ट माना जाता है। भले ही आप भरोसा करें या ना करें लेकिन यह खाना दिन के केवल एक पहर का खाना है। डीनर में भी इसी मात्रा में खाना खाया जाता है। 

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Sports & Fitness In Hindi 

Read Next

जॉन अब्राहम ने सत्‍यमेव जयते में फिट पुलिस ऑफिसर बनने के लिए ऐसे की थी तैयारी

Disclaimer