दुनियाभर में कोरोनोवायरस के मामलों ने 40 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है और भारत में भी कोरोना के मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। भले ही अभी तक कोरोना का कोई पुख्ता इलाज सामने नहीं आया है, लेकिन कई वैज्ञानिक संस्थान कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं और संभावित उपचार के लिए योजनाएं बनाने में जुटे हैं।
क्लीनिकल ट्रायल जल्द होंगे शुरू
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिलकर कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए चार महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए हैं। अध्ययन के अंतगर्त आने वाली दवाओं में अश्वगंधा, गुडूची, यष्टिमधु, पीपली और एक अन्य दवा 'आयुष 64' शामिल है। ये ट्रायल पहले आरोग्य सेतु ऐप द्वारा चिह्नित उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में किए जाएंगे उसके बाद इन्हें हेल्थ वर्कर पर किया जाएगा। रिपोर्टों में कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों के 50 लाख से अधिक लोग ट्रायल का हिस्सा होंगे। आयुष मंत्रालय कुछ निवारक मामलों में आयुष-आधारित रोगनिरोधी हस्तक्षेपों के प्रभावों का भी अध्ययन कर रहा है। पहले चरण में, रोगियों को अश्वगंधा और उसके बाद अन्य दवाएं दी जाएंगी। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनमें लक्षणों की प्रतिक्रिया कैसी है या उनमें संक्रमण की गंभीरता कितनी है।
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बेहतर इम्यूनिटी के लिए आयुर्वेद
कुछ समय पहले आयुष मंत्रालय ने भी सरल घरेलू उपायों का उपयोग करके इम्यूनिटी बढ़ाने और वायरल बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कुछ आयुर्वेदिक सलाह जारी की थी। भले ही ट्रायल परीक्षण और उसकी प्रभावकारिता अभी भी अध्ययन के अधीन है, लेकिन सूचीबद्ध इन जड़ी-बूटियों के गुणकारी औषधीय लाभ साबित हो चुके हैं। इस लेख में हम आपको इन जड़ी-बूटियों से होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं।
अश्वगंधा
आधुनिक सुपरफूड के रूप में मशहूर अश्वगंधा एकआयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसमें संक्रमण, सर्दी, खांसी और वायरल के लक्षणों के उपचार की जादुई शक्तियां समाहित हैं। अश्वगंधा को नियमित रूप से शरीर की इम्यूनिटी को स्वाभाविक रूप से चार्ज करने के लिए सेवन किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अचानक सर्दी लगने पर अश्वगंधा की खुराक बढ़ाना शरीर को ठीक करने में अच्छी तरह से काम कर सकती है। इस जड़ी बूटी के प्राकृतिक इम्यून-बूस्टिंग गुण आपको पुराने से पुराने तनाव और थकान से निपटने में मदद कर सकते हैं ,जो वायरल संक्रमण के साथ आ सकते हैं। यह एक आयुर्वेदिक जीवन रक्षक के रूप में भी जानी जाती है, जो दिल और शरीर के लिए बेहद अच्छी है।
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गुडूची
गुडूची या गिलोय में चमत्कारिक उपचार शक्तियां होती हैं, जिसके कारण इसे अमरत्व की आयुर्वेदिक जड़ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-कैंसर, एंटीपायरेटिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं। इन यौगिक में मौजूद उच्च एंटीऑक्सिडेंट के कारण ये दवा आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करती है और मुक्त कणों से लड़ सकती है। इसमें मौजूद एंटीपीयरेटिक गुण कुछ ही समय में आपको बुखार से बचाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं ये कई सांस संबंधी समस्याओं से लड़ता है और किसी भी पाचन समस्या को जड़ से खत्म करता है, जो कि COVID-19 से जुड़े कुछ लक्षणों से लड़ने में काफी मददगार हो सकता है।
यष्टिमधु
ये मीठी जड़ी बूटी, जिसे मुलेठी के रूप में भी जाना जाता है, के चिकित्सीय लाभों से संपन्न होती है। इस जड़ी-बूटी का प्रयोग खासकर उन लोगों के लिए किया जाता है, जो खांसी, जुकाम या फ्लू से उबर रहे हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की भरपूर मात्रा होती है और ये गले में खराश, खांसी या किसी भी प्रकार की जलन से संबंधित समस्याओं से निपटने में मदद करती है। यह अपने अल्सर से लड़ने के गुणों के लिए व्यापक रूप से जानी जाती है।
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पीपली
पीपली एक पारंपरिक औषधीय जड़ी बूटी है, जो अपने मजबूत सुगंधित गुणों के लिए भी जानी जाती है। कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि इस जड़ी-बूटी का नियमित उपयोग आमतौर पर लगातार श्वसन संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, सर्दी, खांसी, अस्थमा से जुड़े लक्षणों को रोकने में मददगार हो सकता है। इतना ही नहीं ये रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकती है, इम्यूनिटी को मजबूत बना सकती है। आयुर्वेद यह भी बताता है कि पीपली तेज दर्द से लड़ सकती है क्योंकि इसमें शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
आयुष 64
आयुष 64, COVID-19 से लड़ने के लिए ट्रायल की जा रही दवाओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सदियों पुरानी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खरीद द्वारा विकसित किया गया है। ऐसा कहा जा रहा कि यह दवा मलेरिया से लड़ने वाली दवा के रूप में भी काम करती है।
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