महिलाओं में फर्टिलिटी, दूध की कमी और अनियमित पीरियड्स में फायदेमंद है शतावरी

शतावरी एक औषधीय पौधा है, जिसको आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आयुर्वेद में शरीर की 100 से ज्यादा समस्याओं के लिए शतावरी को फायदेमंद माना गया है।
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महिलाओं में फर्टिलिटी, दूध की कमी और अनियमित पीरियड्स में फायदेमंद है शतावरी

शतावरी एक औषधीय पौधा है, जिसको आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आयुर्वेद में शरीर की 100 से ज्यादा समस्याओं के लिए शतावरी को फायदेमंद माना गया है। आयुर्वेद में शतावरी की पत्तियां और जड़ों दोनों को फायदेमंद माना जाता है। महिलाओं से जुड़ी तमाम समस्याओं जैसे फर्टिलिटी कम होना, स्तनों में दूध की कमी, मासिक धर्म की अनियमितता आदि में शतावरी बहुत फायदेमंद माना जाता है। आइए आपको बताते हैं महिलाएं इन समस्याओं में किस तरह से शतावरी का प्रयोग कर सकती हैं और क्या हैं शतावरी के अन्य लाभ।

प्रजनन क्षमता बढ़ाती है

कई महिलाएं प्रजनन क्षमता की उम्र के दौरान पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम की अवस्‍था से गुजरती हैं, जिसके कारण उन्‍हें हार्मोनल अंसतुलन की समस्‍या होती है। शतावरी इन लक्षणों को कम करने, हार्मोनल को संतुलित करने और फर्टिलिटी की संभावना को बढ़ने के लिए जाना जाता है। सर्वाइकल म्‍यूकस का सिक्रेशन कम होने के कारण भी गर्भाधारण में समस्‍या उत्‍पन्न होती है। सर्वाइकल म्‍यूकस गर्भाश्‍य ग्रीवा द्वारा स्रावित होता है और सर्वाइकल म्यूकस और स्‍पर्म महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में जाकर अंडों के साथ मिलते है। शतावरी में म्यूसिलेज होता है यह म्यूसिलेज मेम्ब्रेन को सुरक्षित रखने में टॉनिक की तरह काम करता है।

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स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए

कई बार शारीरिक कमजोरी या अन्य किसी समस्या के कारण डिलीवरी के बाद महिलाओं के स्तनों में कम दूध बनता है। ऐसे में शतावरी के प्रयोग के द्वारा महिलाओं में दूध के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। यही नहीं, शतावरी के प्रयोग के द्वारा दूध की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जिससे शिशु को ज्यादा पोषण मिलता है और उसकी इम्यूनिटी अच्छी होती है।

अनियमित पीरियड्स को ठीक करे

शतावरी में पाये जाने वाले मुख्‍य घटकों में से एक घटक स्‍टेरायडल सैपोनीन (steroidal saponins) है। यह घटक एस्‍ट्रोजन को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। जिससे पीरियड नियमित होते हैं और कंसीव करने की संभावना बढ़ती है। जिन महिलाओं को हमेशा ही अनियमित पीरियड्स का सामना करना पड़ता है, उन्हें नियमित शतावरी का सेवन करना चाहिए।

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डायबिटीज में फायदेमंद शतावरी

शतावरी, वज्रांगी (आर्टीचोक) और लहसुन के प्रयोग से मोटापे और मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार लहसुन, शतावरी और वज्रांगी में प्रचुर मात्रा में काबरेहाइड्रेट पाया जाता है जिसका सेवन करने से भूख लगने की प्रवृत्ति कम हो जाती है और साथ ही इसके प्रयोग से मानव शरीर में मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। इनके सेवन से आंतें हार्मोन के स्राव में क्रियाशील हो जाती हैं। ये हार्मोन इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। इंसुलिन संबंधी हार्मोन का निर्माण पाचकग्रंथि द्वारा होता है, जो कि शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज के प्रवेश को होने देता है। इस प्रक्रिया से ग्लूकोज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त पानी की वजह से जो वजन बढ़ता है शतावरी उसे कम करती है।

कैसे करें शतावरी का प्रयोग

शतावरी की जड़ों को पीसकर इसका चूर्ण बना लें या बाजार में मौजूद शतावरी चूर्ण खरीद लें। इस चूर्ण का रोजाना सोने से पहले 5 ग्राम एक ग्लास दूध से साथ सेवन करें या किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श अनुसार प्रयोग करें। इस चूर्ण के प्रयोग से अगर आपको कोई अन्य परेशानी महसूस होती है, तो तुरंत इसका प्रयोग बंद कर दें।

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