प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा के खतरों को कम करता है विटामिन डी

अस्थमा या दमा फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। पिछले कुछ सालों में प्रदूषण और मोटापे के कारण अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। आजकल छोटे बच्चों और युवाओं में भी सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां देखी जा रही हैं। हाल में हुए एक शोध में पाया गया है कि विटामिन डी का सेवन करने से अस्थमा से बचा जा सकता है। 'जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी' के स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किया गया ये शोध 'जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी' में छपा है।
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प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा के खतरों को कम करता है विटामिन डी

अस्थमा या दमा फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। पिछले कुछ सालों में प्रदूषण और मोटापे के कारण अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। आजकल छोटे बच्चों और युवाओं में भी सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां देखी जा रही हैं। हाल में हुए एक शोध में पाया गया है कि विटामिन डी का सेवन करने से अस्थमा से बचा जा सकता है। 'जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी' के स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किया गया ये शोध 'जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी' में छपा है।

बच्चों में अलग होते हैं अस्थमा के खतरे

वैसे तो अस्थमा बड़ों को हो या बच्चों को, खतरनाक ही होता है। मगर बच्चों को अस्थमा होने पर कुछ अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छोटी उम्र में अस्थमा होने के कारण बच्चे स्कूल में खेलकूद में भाग नहीं ले पाते हैं और नींद में परेशानी के कारण उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है। इसके अलावा कई बार बच्चों को अस्थमा का अटैक भी पड़ता है, जो जानलेवा भी हो सकता है। अस्थमा के कारण बच्चों को बार-बार चिकित्सक के पास जाना पड़ सकता है, जिससे उनको स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती है और पढ़ाई प्रभावित होती है। हालांकि सही इलाज के द्वारा इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

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प्रदूषण के कारण बढ़ रहा है खतरा

बच्चों में अस्थमा के सबसे ज्यादा मामले उन शहरों के बच्चों में देखने को मिल रहे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा है। इस शोध में स्कूल जाने वाले 120 बच्चों पर शोध किया गया और 3 बातों की जांच की गई, घर के अंदर प्रदूषण का स्तर, बच्चों के खून में विटामिन डी की मात्रा और अस्थमा के लक्षण। इसके अलावा शोध में 40 से ज्यादा बच्चे मोटापे का शिकार भी थे। रिसर्च में पाया गया है कि जिन बच्चों के खून में विटामिन डी का लेवल ज्यादा था, उनमें अस्थमा के लक्षण बेहद कम पाए गए।

पहले के रिसर्च में भी हो चुकी है पुष्टि

इस रिसर्च से पहले लंदन स्थित क्‍वीन मैरी यूनिवर्सिटी में भी अस्थमा पर विटामिन डी के प्रभाव पर शोध किया गया था। उस रिसर्च को करने वाले श्‍वसन संक्रमण और प्रतिरक्षा विभाग के प्रोफेसर एड्रियन मार्टिन का कहना है कि विटामिन डी की टेबलेट्स के सेवन से ज्‍यादातर वयस्‍कों में अस्‍थमा बहुत हल्‍के रूप में पाए गए यह परिणाम तीन बार की गई एनालिसिस में पाया गया।

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बच्चों में अस्थमा को पहचानें

तकलीफ से सांस लेना अस्थमा की सबसे आम निशानी है। सबसे आम बात कफ का हमेशा होना भी माना जा सकता है, पर हर वो बच्चा जो अस्थमा से पीडि़त है जरूरी नही की वह कफ की बीमारी से भी परेशान हो। अस्थमा का उपचार रोज की देखभाल मागंता है, साथ ही इसे आपातकालिन उपचार एवं देखभाल की भी जरूरत पड़ती है। शुरूआती दौर में इसको अनदेखी करना आपके बच्चे को ज्यादा तकलीफ पहुंचा सकता है। अगर आप रोज अपने बच्चे को मेडिसन देते है तो यह उसके ठीक होने के लिए लाभदायक होगा, इस बीमारी से सही उपचार ही समाधान है।

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