बच्चों में तेज गुस्सा हो सकता है हार्मोनल असंतुलन के कारण, ऐसे करें कंट्रोल

ऐसे मामलों में ज्यादातर बच्चे हार्मोनल असंतुल के शिकार होते हैं। अगर आप समझदारी से काम करें, तो ऐसे बच्चों को भी आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
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बच्चों में तेज गुस्सा हो सकता है हार्मोनल असंतुलन के कारण, ऐसे करें कंट्रोल

कई बच्चों को बहुत तेज गुस्सा आता है और वो हर बात पर हाइपर एक्टिव हो जाते हैं और चिल्लाने लगते हैं। आमतौर पर लोग समझते हैं कि ज्यादा लाड़-प्यार की वजह से बच्चे ऐसा करते हैं। कुछ हद तक ये बात सही है कि ज्यादा लाड़-प्यार से बच्चों में विरोध करने की शक्ति आती है और वो गुस्सा कर सकते हैं मगर ऐसे मामलों में ज्यादातर बच्चे हार्मोनल असंतुल के शिकार होते हैं। अगर आप समझदारी से काम करें, तो ऐसे बच्चों को भी आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।

उम्र के कारण भी होता है चिड़चिड़ापन

5 से 8 साल और 14 से 25 साल की उम्र के बच्चे आमतौर पर ज्यादा चिड़चिड़े होते हैं। इस उम्र के बच्चे आमतौर पर हाइपर एक्टिव होते हैं। इस उम्र में अगर बच्चों को किसी गलती के लिए टोका जाए तो उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है। छोटी-छोटी बातों पर झल्लाने की आदत इस उम्र में अकसर देखने को मिलती है।

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क्यों आता है बच्चों को गुस्सा

हॉर्मोन संबंधी असंतुलन ऐसी समस्या का मुख्य कारण है। इससे कई बार बिना किसी वजह के भी बच्चे के व्यवहार में झल्लाहट नज़र आ सकती है। टीनएजर्स में बहुत हाई लेवल की एनर्जी होती है पर आधुनिक जीवनशैली से आउटडोर गेम्स और फिजिकल एक्टिविटीज़ गायब होती जा रही हैं। ऐसे में बच्चे को अपनी एनर्जी रिलीज़ करने का मौका नहीं मिलता तो इसका असर गुस्से या आक्रामक व्यवहार के रूप में नज़र आता है।

कैसे करें कंट्रोल

ओवर रिएक्ट करने के बजाय बच्चे को प्यार से समझाएं। उसे ऐसी समस्या से बचाने के लिए क्रिकेट, फुटबॉल और जूडो-कराटे जैसी फिजिकल एक्टिविटीज़ में शामिल होने के लिए प्रेरित करें। अगर माता-पिता इन समस्त बातों का ध्यान रखेगे तो उनके टीनएजर्स के व्यवहार में जल्दी ही कुछ सार्थक और सकारात्मक बदलाव नज़र आने लगेंगे।

बच्चों को डांटना है गलत

आमतौर पर 3 से 4 साल के हाइपर एक्टिव बच्चों में आत्मसम्मान की भावना विकसित हो जाती है। ऐसे में अगर बच्चों को आप उनके दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने डांटते हैं और मारते हैं तो उन्हें बुरा लगता है और उनके आत्मसम्मान को धक्का लगता है। अगर बच्चों को आप अक्सर सबके सामने डांटते हैं तो इससे बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर होता है और वो बाद में अपनी हाइपर एक्टिविटी को खो सकते हैं। अगर बच्चे ने कोई गलती की है तो कोशिश करें कि उसे अकेले में समझाएं और शांति के साथ समझाएं न कि चिल्लाकर बताएं। बच्चों से गलतियां होना स्वाभाविक है क्योंकि उनका मन वयस्क से ज्यादा चंचल होता है और ये उनका स्वभाव होता है।

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बच्चों को हर समय न टोकें

कई मां-बाप बच्चों को दिनभर सिर्फ पढ़ने के लिए ही टोकते रहते हैं। बार-बार टोकने से बच्चों में खीझ पैदा होने लगती है और वो गुस्सा करने लगते हैं। हाइपर एक्टिव बच्चों का ज्यादातर दिमाग खेलने-कूदने में ही लगा रहता है। लेकिन ऐसे बच्चे आम बच्चों से कम समय में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं इसलिए बच्चों पर दिनभर पढ़ने का दबाव न बनाएं। उन्हें खुद से थोड़ा समय खेलने के लिए दें ताकि उन्हें किताबी के साथ-साथ सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान भी अच्छा हो।

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