मोटे बच्चों को होता है ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा, ऐसे कर सकते हैं बचाव

जो बच्चे बचपन से ही मोटापे के शिकार होते हैं, उन्हें ऑस्टियोअर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़ा होने पर ऐसे बच्चों के घुटने और हिप्स कमजोर हो जाते हैं और हमेशा दर्द की शिकायत बनी रहती है।
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मोटे बच्चों को होता है ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा, ऐसे कर सकते हैं बचाव


आजकल बच्चों में मोटापा एक आम समस्या हो गई है। कई बार मोटापा अनुवांशिक कारणों से होता है। लेकिन आजकल बच्चों में पाया जाने वाला ज्यादातर मोटापा लाइफस्टाइल की वजह से है। लोगों का खान-पान बदला है और अब लोग घर पर बने पौष्टिक खानों के बजाय बाहर बने फास्ट फूड्स और जंक फूड्स का ज्यादा सेवन करते हैं।
मोटापा अपने आप में कोई बीमारी नहीं है मगर ये कई तरह की गंभीर और जानलेवा बीमारियों का कारण जरूर बनता है। अगर बच्चे बचपन से ही मोटापे के शिकार होते हैं, तो उन्हें ऑस्टियोअर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़ा होने पर ऐसे बच्चों के घुटने और हिप्स कमजोर हो जाते हैं और हमेशा दर्द की शिकायत बनी रहती है।

क्या है ऑस्टियोअर्थराइटिस

ऑस्टियोअर्थराइटिस अर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें हड्डियों पर मौजूद टिशूज में लचीलापन कम हो जाता है। इस रोग में हड्डियों के जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। आमतौर पर यह बीमारी अधेड़ावस्था यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इसके होने की आशंका ज्यादा होती हैं। लेकिन शहरी जीवन में यह बीमारी युवाओं और बच्चों में भी दिखायी दे रही है। जोड़ों में दर्द होना, जोड़ों में तिरछापन, चाल में खराबी, यानी चलने-फिरने की क्षमता का कम होना जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखाई देते हैं।

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ऑस्टियोअर्थराइटिस ऐसे करता है प्रभावित

यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्‍या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है। घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिये की तरह सहारा देती है, पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह घिसती जाती है और कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं। यह दर्द और सूजन का कारण बनता हैं।

बच्चों में ऑस्टियोअर्थराइटिस के लक्षण

  • दर्द की शिकायत
  • घुटने को हिलाने-डुलाने में दिक्कत होना
  • शरीर में अकड़न महसूस होना
  • क्षतिग्रस्त जोड़ों का अपने आकार से बड़ा दिखना।

बच्चों का मोटापा है मुख्य कारण

आजकल अनहेल्दी फूड्स, तनाव और कम सोने की वजह से बच्चों का शरीर कमजोर हो जाता है क्योंकि उनके शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में जब बच्चे का वजन ज्यादा होता है, तो उसके घुटनों और कूल्हों की हड्डियों पर पड़ने वाला भार भी ज्यादा होता है, जिसे हड्डियां सहन नहीं कर पाती हैं और उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए उनमें हड्डियों से जुड़े कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

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ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव के लिए डालें ये आदत

बच्चों को ऑस्टियोअर्थराइटिस जैसी खतरनाक और लंबी बीमारी से बचाने के लिए आपको बचपन से ही कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए, जैसे-

  • बच्चों का वजन नियंत्रित रखें और मोटा न होने दें।
  • बच्चों को नियमित एक्सरसाइज की आदत डलवाएं।
  • अगर बच्चा घुटनों या पैरों में दर्द की शिकायत है तो उसमें मसाज करें और तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
  • बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाएं जो विटामिन्स, प्रोटीन्स और मिनरल्स से भरे हों।
  • कैल्शियम और विटामिन डी से हड्डियां मजबूत होती हैं।

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