टीवी शो 'भाभी जी घर पर हैं' की एक्ट्रेस सोमा राठौड़ ने कॉमेडी-ड्रामा में अपने किरदार 'अम्मा जी' से लोगों के बीच काफी पॉपुलैरिटी हासिल की है। दर्शक उन्हें मनमोहन तिवारी की मां और अंगूरी भाभी की सास के रोल में काफी पसंद करते हैं। सोमा के चुलबुले अंदाज, मजाकिया व्यवहार और हंसमुख चेहरे को देखते ही किसी भी उदास इंसान के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी, ये कहना गलत नहीं होगा। सोमा राठौड़ पर्दे पर भले ही सबको हंसाती हों, लेकिन असल जिंदगी में उन्हें काफी मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ा है। एक दौर था जब दूसरों को गुदगुदाने वाली सोमा डिप्रेशन और एंजाइटी का शिकार हो चुकी हैं। दरअसल, 23 साल की उम्र में सीमा ने शादी कर ली थी। शादी के कुछ वक्त बाद ही सीमा और उनके पति के बीच दूरियां आ गईं और वक्त के साथ बढ़ती चली गईं। 10 साल के बाद सोमा ने पति से तलाक ले लिया। पति से तलाक के बाद सोमा डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। डिप्रेशन की वजह से उनका वजन बढ़ता ही चल गया और फिर उन्हें इंडस्ट्री में बॉडी शेमिंग तक झेलनी पड़ी। इस पूरे घटनाक्रम ने सोमा को मानसिक तौर पर तोड़कर रख दिया था। इस स्थिति से निकलने में सोमा की मदद सेल्फ लव और मेडिटेशन ने की। आइए सोमा से ही जानते हैं कि डिप्रेशन के बाद उन्हें कैसी परेशानियां हुईं और उन्होंने खुद को कैसे रिकवर किया।
रोलर कोस्टर की तरह रहा एक्टिंग का सफर
सोमा ने कहा, "एक्टिंग के करियर में मेरी लाइफ किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रही है। जब मैं इंडस्ट्री में एंट्री लेने की कोशिश कर रही थी, तब न तो मैं ज्यादा पतली थी और न ही ज्यादा मोटी हुआ करती थी। टीवी और शोज में काम करने के लिए जब मैं ऑडिशन देती थी, तब डायरेक्टर और प्रोड्यूसर मुझे रिजेक्ट कर देते थे। वह वे समझ नहीं पा रहे थे कि मुझ पर किस तरह का रोल सूट करेगा। ये पर्दे की सच्चाई है कि आपको टीवी शो या फिल्म में लीड रोल करने के लिए पतला दिखना पड़ेगा। कई ऑडिशन में रिजेक्ट होने के बाद मुझको भी कुछ ऐसा ही लगा था। फिर एक दिन बातचीत के दौरान मेरे दोस्त ने कहा कि मुझे अपना वजन बढ़ाना चाहिए, ताकि मैं ऑडिशन में सेलेक्ट हो सकूं। इसके बाद मैंने वजन को बढ़ाने का फैसला किया और ऑडिशन में सेलेक्ट हुई।"
काम मिला, लेकिन बॉडी शेमिंग ने किया परेशान
सोमा ने कहा, "वजन बढ़ाने के बाद मुझे इंडस्ट्री में काम तो मिल गया, लेकिन कई बार मोटापे की वजह से मुझे बॉडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा। कम उम्र में ही लोग मुझे गलत तरीकों से जज करने लगें लगे। इन सबकी वजह से मैं मानसिक तौर पर काफी परेशान होने लगी। मेरे मोटापे पर लोगों के कमेंट सुनने के बाद मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आता था। इन सबकी वजह से मैं डिप्रेशन में चली गई थी। यह मेरे जीवन का वो दौर था जब मैं पर्सनल और प्रोफेशनल लेवल पर समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार क्या करूं?" वह आगे कहती हैं, "मोटापे की वजह से डिप्रेशन झेलने के बाद मैंने खुद पर फोकस करने का फैसला लिया। लोगों के कमेंट कॉमेंट मेरे ऊपर किसी तरह का असर न डालें, इसके लिए मैंने सेल्फ लव और मेडिटेशन का सहारा लिया। यकीन मानिए इन दोनों ही चीजों ने मेरे जीवन का नजरिया पूरी तरह से बदल दिया। डिप्रेशन झेलने के बाद मैंने उन चीजों पर ध्यान केंद्रित किया, जिनसे मुझे वास्तव में खुशी मिली। इसके अलावा, मैंने यह भी सीखा कि किसी भी बात को व्यक्तिगत रूप से नहीं लेना चाहिए या लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इससे इफेक्ट परेशान नहीं होना चाहिए।" एक्ट्रेस बताती हैं कि वह अक्सर घर पर और शूटिंग के दौरान मेडिटेशन करती हैं, ताकि दूसरों के विचार उन पर हावी न हों।
सोमा राठौड़ की बात सुनने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि सेल्फ लव और मेडिटेशन के जरिए कैसे डिप्रेशन से बाहर निकला जा सकता है। तो ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम सेल्फ लव और मेडिटेशन कैसे मानसिक तनाव को कम कर सकते हैं इस पर चर्चा करेंगे। इस के बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए हमने नोएडा के मेट्रो अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मनीषा सिंघल और योग गुरु दीपक तंवर से बातचीत की।
क्या है सेल्फ लव और कैसे है फायदेमंद
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मनीषा सिंघल का कहना है,"सेल्फ लव यानी की खुद से प्यार करने का अर्थ है बिना किसी संकोच के जीवन में आगे बढ़ते हुए चले जाना। सेल्फ लव करने वाले लोग न सिर्फ अपना ख्याल रखते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें किसी से कुछ भी नहीं चाहिए।" एक्सपर्ट ने कहा, सेल्फ लव में खुद की गलतियों को स्वीकार करना, अपने काम की खुद तारीफ करना, स्वयं के प्रति गहरी भावनाओं को विकसित करना शामिल है। जब लोग ऐसा करते हैं, तो डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थितियां उन्हें लंबे समय तक परेशान नहीं करती है। डिप्रेशन से रिकवरी में क्यों मददगार है सेल्फ लव
1. खुद को पहचानने की मिलती है ताकत
एक्सपर्ट का कहना सेल्फ लव में इंसान को खुद की वैल्यू क्या है इसको पहचानने में मदद मिलती है। यह खुद की खूबियों का सम्मान करने की ताकत देता है। साथ ही, फेलियर आपकी लाइफ में हावी न हो और आप उससे सीखकर आगे बढ़ सकें यह भी सेल्फ लव आपको सिखाता है।
2. इमोशनली करता है तैयार
डिप्रेशन किसी भी इंसान को नेगेटिव आत्म-धारणा और आत्म-आलोचना की ओर ले जाता है। सेल्फ लव के दौरान आप खुद से प्यार करना, खुद के प्रति दया और सहानुभूति के साथ व्यवहार करना सिखाते हैं। इतना ही नहीं, इसमें आप नेगेटिव इमोशन को कैसे खत्म करके खुद को आगे ले जाना है इस पर फोकस करना सीखते हैं।
3. सीमाएं स्थापित करना
सेल्फ लव व्यक्ति को अपने संबंधों और रेगुलर लाइफ में कैसे हेल्दी रिलेशन को बनाए रखना है इस बारे में सिखाता है। यह आपको अपनी आवश्यकताओं को प्राथमिकता कैसे देनी है इसके बारे में भी बताता है।
डिप्रेशन से लड़ने में मददगार है ध्यान-योग
योग गुरु दीपक तंवर का कहना है, डिप्रेशन से जूझ रहे मरीजों के लिए ध्यान-योग बहुत फायदेमंद होता है। ये चीजें आपके दिमाग को एकाग्र कर, सोचने की शक्ति बढ़ाती है जिससे डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है। हालांकि इन चीजों का असर तभी देखने को मिलता है, जब इसे सही तरीके से अपनाया जा सके। आइए योग गुरु दीपक तंवर से जानते हैं कि डिप्रेशन से लड़ने के लिए ध्यान और योग करने का सही तरीका क्या है?
1. लाइफस्टाइल में करें बदलाव
एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ लोग अपने हिसाब से योग और ध्यान करना चाहते हैं। जब वह ऐसा करते हैं तो उन्हें इसका फायदा नहीं मिलता है। योग और ध्यान ऐसी चीजें हैं जो सुबह के वक्त की जाए तो फायदेमंद साबित होती है। योग गुरु का कहना है कि मानसिक परेशानियों से बचने के लिए रोजाना सुबह एक समय पर उठना जरूरी है। उन्होंने कहा कि योग-ध्यान के अलावा डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए खानपान का भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
2. वातावरण को बनाए अनुकूल
कुछ लोग बंद कमरे में ध्यान और योग की मुद्राएं करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें इसका फायदा नहीं मिलता है। एक्सपर्ट का कहना है कि डिप्रेशन या किसी भी अन्य समस्याओं से निकलने के लिए योग और ध्यान को सही वातावरण में करना चाहिए। इस दौरान आपके आस पास पर्याप्त रोशनी और हवा का होना बहुत जरूरी थी।
3. शोर से बनाएं दूरी
डिप्रेशन या अन्य मानसिक परेशानियों से बचाव के लिए जो लोग योग और मेडिटेशन का सहारा ले रहे हैं, उन्हें ध्यान-योग जैसी क्रियाएं करते वक्त शोर से दूरी बनानी चाहिए। योग गुरु का कहना है कि शोर में ध्यान या किसी भी तरह की योग मुद्रा करने से दिमाग को शांति नहीं मिलती है। साथ ही, इसका असर भी शून्य होता है इसलिए जरूरी है कि शांत माहौल में इसकी प्रैक्टिस की जाए।
With Inputs: Deepak Tanwar, Yoga Guru at asdyogafamily
Dr. Manisha Singhal, Consultant Clinical Psychologist, Metro Hospitals Noida