शुगर की दिक्कत उन लोगों को ज्यादा होती जो मेहनत बहुत कम करते हैं और अक्सर बैठे रहते हैं। खाने में ज्यादा मात्रा में दूध, दही, मांस-मछली, नए चावल, आलू, चीनी आदि का सेवन करने से शुगर या मधुमेह का रोग हो जाता है। एक्यूप्रेशर विधि से शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। शुगर के रोगी के पैरों के अंगूठे, एडी, मुंह, टांगे कमजोर पड जाती हैं। एक्यूप्रेशर तकनीक रोगी की प्रतिरोधक क्षमता बढती है।
नर्व और मसल्स स्टिमुलेटर, फेरेडिक जेनेरेटर, एक्यूजप्रेशर प्वांइट मॉर्कर, नर्व जेनरेटर और हैवी वाइब्रेटर जैसे एक्यूप्रेशर थेरेपी के उपकरण हैं। एक्यूप्रेशर चिकित्सा से शरीर में उन उर्जा केंद्रों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की जाती है जो कि किसी कारण से काम करना बंद कर देते हैं या सुस्त हो जाते हैं। एक्यूप्रेशर द्वारा मधुमेह रोगी के शुगर स्तर को कम किया जा सकता है। एक्यूप्रेशर का प्रयोग संवेदनशील त्वचा वाले रोगियों में लालिमा और चोट पहुंचा सकता है।
एक्यूप्रेशर से शुगर कंट्रोल करने के प्वांइट्स
एक्यूप्रेशर प्वांइट 1
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के अंदरूनी भाग में होता है। यह प्वाइंट पिंडली (shin) की हडि्यों और टखने (ankle) की हडि्यों के उपर की चार अंगुलियों के पीछे की साइड पर होता है। इस निश्चित स्थान पर हल्के से दबाव बनाते हुए घेरा बनाकर क्लॉकवाइज हर रोज 3 मिनट तक दोनों पैरों में घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसके स्प्लीन-6(प्लीहा) प्वाइंट भी कहते हैं। इसे करने से किडनी, लीवर और प्लीहा से संबंधित विकार समाप्त होते हैं।
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एक्यूप्रेशर प्वाइंट 2
यह प्वाइंट पैर के अंगूठे और उसके बगल की छोटी उंगली के बीच में होता है। इसे लीवर-3 प्रेशर भी कहते हैं। इस बिंदु को दबाकर धीरे से एंटी-क्लॉकवाइज घेरा बनाकर 3 मिनट तक प्रत्येक दिन और लगातार 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसको करने से आराम मिलता है और व्यक्ति तनाव में नहीं रहता।
एक्यूप्रेशर प्वाइंट 3
यह प्वाइंट पैर के अंदरूनी हिस्से में होता है। टखने की हड्डी और स्नायुजल (Achilles-tendon) के बीच में यह प्वा्इंट होता है। इसे किडनी-3 प्वाइंट भी कहा जाता है। इस प्वाइंट का घेरा बनकार क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज 8-12 सप्ताह तक करें। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और थकान को दूर भगाता है।
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एक्यूप्रेशर प्वाइंट 4
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के सामने की तरफ बाहरी मेलीलस से 4 इंच उपर की तरफ होता है। इसे स्टमक-40 एक्यूप्रेशर प्वाइंट भी कहते हैं। इस प्वाइंट पर हल्का दबाव बनाते हुए क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) और अवांछित स्राव को को बाहर निकालता है।
शुगर के इलाज के लिए एक्यूप्रेशर तकनीक का सुरक्षित तरीके से प्रयोग करना चाहिए। डॉक्टर द्वारा टेनिंग लेकर रोगी आराम से अपने घर में यह तकनीकि अपना सकते हैं। एक्यूप्रेशर की तकनीक के जरिए एक महीने में शुगर पर काबू पाया जा सकता है।
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