अगर सिर पर लगी हो चोट, तो दें खास ध्यान, हो सकती है काफी खतरनाक!

बीबीसी न्यूज के हेल्थ एडिटर मिशेल रोबर्ट्स कहते हैं कि सिर पर लगी मामूली सी चोट भी खतरनाक हो सकती है। इसलिए सिर पर लगे चोट को लेकर कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
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अगर सिर पर लगी हो चोट, तो दें खास ध्यान, हो सकती है काफी खतरनाक!


बीबीसी न्यूज के हेल्थ एडिटर मिशेल रोबर्ट्स कहते हैं कि सिर पर लगी मामूली सी चोट भी खतरनाक हो सकती है। इसलिए सिर पर लगे चोट को लेकर कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर आप ड्राइविंग कर रही हैं, स्कीइंग कर रही हैं या कुछ हर। इन हर स्थिति में आपके लिए जरूरी है कि हमेशा सिर पर हेलमेट पहनें। क्योंकि अगर आपका सिर सुरक्षित है तो समझें कि आप सुरक्षित हैं। आपको बताते चलें कि हमारे शरीर में दिमाग बहुत नाजुक अंग होता है। हालांकि यह खोपड़ी से कवर होता है जिस कारण यह सुरक्षित रहता है। लेकिन इसके बावजूद अपने सिर का ख्याल रखना अतिरिक्त जरूरी है और चोट लगने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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head injury

सिर पर चोट लगने की वजहें

सिर पर चोट किसी भी वजह से लग सकती है। सीढ़ी से गिर जाना, गाडी चलाते वक्त गिर जाना, पांव फिसल जाना आदि। कई बार स्पोर्ट्स के कारण भी सिर में चोट लग सकती है या फिर कोई भारी सामान यदि सिर पर गिर जाए तो इससे भी चोट लगती है। सिर पर चोट लगने के कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

हेमाटोमा

हेमाटोमा एक ऐसी स्थिति है कि जिसमें ब्लड वेसल्स में रक्त के थक्के जम जाते हैं। यह बहुत खतरनाक स्थिति होती है। थक्के जमने से मस्तिष्क में प्रेशर बनता है जिससे मरीज चेतनाशून्य हो सकता है।

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हैमरेज

हैमरेज होने की स्थिति में मरीज को हैवी ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग मस्तिष्क के भीतर होती है। मस्तिष्क में जहां भी जगह खाली होती है, रक्त वहीं प्रवाहित हो जाता है। सबएरेक्नाएड हैमरेज कहते हैं। लेकिन यदि ब्लीडिंग ब्रेन टिश्यू में हो तो यह इंट्रोसेरेबल हैमरेज कहलाता है। दोनों ही स्थिति मरीजों के लिए खतरनाक है। सबएरेक्नाएड हैमरेज में मरीज को अकसर उल्टी होना, सिर दर्द बने रहना जैसी समस्या होती है जबकि इंट्रासेरेबल के तहत हो रही ब्लीडिंग की स्थिति किस मात्रा में ब्लीडिंग हो रही है, उस पर निर्भर होती है।

स्कल फ्रैक्चर

हमारे शरीर की अन्य हड्डियों की तरह हमारे स्कल में बोन मैरो नहीं होता। इसी वजह से हमारी स्कल काफी स्ट्रांग और हार्ड होती है। जिस वजह से वह आसानी से टूटती नहीं है। लेकिन यदि स्कल किसी भी कारणवश टूट जाए तो वह सामान्य मस्तिष्क की तरह काम नहीं कर सकती। यह असल में स्कल में चोट लगना भर नहीं है बल्कि इसके साथ ही दिमाग में घातक चोट लगना भी है।


डिफ्यूज एग्जोनल इंजूरी

वेबसाइट हेल्थलाइनडाटकाम के मुताबिक डिफ्यूज एग्जोनल इंजूरी को शीर इंजूरी भी कहा जाता है। इसके तहत सिर में लगी चोट से खून तो नहीं निकलता है, लेकिन इससे हमारे ब्रेन सेल्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। अन्य ब्रेन इंजूरी की तरह डिफ्यूज एग्जोनल इंजूरी होने पर यह आसानी से दिखते नहीं है। नतीजतन मरीज को यह पता नहीं चलता कि उसे कहां और कब चोट लगी है। अगर यह सही समय पर पकड़ा नहीं गया तो मरीज की इससे जान भी जा सकती है।


एडीमा

सिर में किसी भी तरह की चोट लगने से एडीमा हो सकता है। एडीमा वास्तव में सिर में चोट लगने के कारण हुई सूजन को कहा जाता है। सूजन होना कोई बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन यह गंभीर समस्या में तब तब्दील होती है जब सूजन अंदर होती है। इससे स्कल की मसल्स पूरी तरह खुल नहीं पाती और स्कल और ब्रेन दोनों एक दूसरे पर दबाव बनाते रहते हैं।

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