
तनाव किसी को भी हो सकता है। बड़े लोग तो अक्सर तनाव से जूझने और निकलने के रास्ते खोज हैं, लेकिन बच्चे अपनी परेशानी किसी से नहीं कह पाते हैं, जिसके कारण कई बार तनाव धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे कई बार अंजाने में गलत कदम उठा बैठते हैं। इसीलिए बच्चों में तनाव को पहचानना और उसे उस तनाव से निकालना बड़ों की जिम्मेदारी है। आजकल बदलती जीवनशैली और बढ़ती जरूरतों के कारण छोटी उम्र में ही बच्चों पर बहुत तरह के बोझ लाद दिए जाते हैं। 10-12 साल की उम्र में ही आजकल बच्चों को पढ़ाई, करियर, दोस्ती, अच्छे नंबर, अच्छी जीवनशैली, होम वर्क, प्रोजक्ट वर्क आदि को लेकर तनाव में देखा जा सकता है। ऐसे तनावग्रस्त बच्चों को संभालने के लिए उनके तनाव को समझना जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं 7 ऐसे संकेत, जो अक्सर टीनएज तनावग्रस्त बच्चों में देखने को मिलते हैं। इन संकेतों के दिखने पर आपको सावधान हो जाना चाहिए।
नींद में गड़बड़ी
तनाव का सबसे ज्यादा असर आमतौर पर बच्चों की नींद पर पड़ता है। कुछ बच्चे तनावग्रस्त होने पर ठीक से सो नहीं पाते हैं और रातभर जागते और सोचते रहते हैं, तो कुछ बच्चे सामान्य से बहुत ज्यादा सोने लगते हैं। सामान्य से कम या ज्यादा सोना तनाव का संकेत हो सकता है। इसलिए आपको अपने बच्चे की नींद पर ध्यान देना चाहिए।
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ज्यादातर समय शांत और गुमसुम रहना
स्वभाव से अलग अगर आपका बच्चा ज्यादातर समय शांत और गुमसुम सा रहने लगे, तो ये अच्छे संकेत नहीं है। अक्सर ऐसा उन बच्चों के साथ होता है, जो अंदर से दुखी होते हैं और अपना दुख किसी से कह नहीं पाते हैं।
स्वभाव में चिड़चिड़ापन
कई बार बच्चे तनाव में रहते हुए भी सबकुछ सामान्य दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस कोशिश में उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। इसलिए अगर आपको कुछ दिनों से अपने बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा लग रहा है या उसे बहुत जल्दी गुस्सा आने लगा है और गुस्से का बहाना बनाकर वो सबसे अलग और एकांत में रहना चाहता है, तो ये संकेत है कि बच्चे की मनोदशा ठीक नहीं है।
सामाजिकता में कमी
आमतौर पर बच्चों को घर से बाहर जाकर खेलना, दोस्तों से मिलना, उछल-कूद करना और हंसी-मजाक करना अच्छा लगता है। इसीलिए इन बातों को बच्चों के स्वभाव का हिस्सा माना जाता है। मगर यदि स्वभाव से अलग आपका बच्चा कुछ दिनों से बाहर जाने या दोस्तों और पड़ोसियों से मिलने में आनाकानी करता है और अकेले रहने की जिद करता है, तो इस बात की संभावना है कि उसे किसी बात का तनाव परेशान कर रहा है।
एकाग्रता में कमी
तनाव का एकाग्रता पर जरूर असर पड़ता है। अगर आपका बच्चा किसी काम में खुद को एकाग्र नहीं कर पा रहा है या कहे गए काम को ऊट-पटांग करता है और खोया-खोया रहता है, तो आपको उससे बात करनी चाहिए क्योंकि ये संकेत भी तनाव या चिंता के हो सकते हैं।
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भूख में बदलाव
तनाव के कारण कई बार बच्चे भूख न लगने, खाना न खाने की जिद करते हैं। वहीं कई बार इसका उल्टा असर भी होता है, यानी बच्चे तनाव के कारण सामान्य से ज्यादा खाने लगते हैं। लेकिन खाते समय उनमें खुशी का अभाव होता है और वो कुछ सोचते हुए खाते रहते हैं। इस तरह के संकेत भी तनाव के हैं।
किसी चीज से डरे हुए रहना
अगर आपका बच्चा किसी अंजान चीज से डरा हुआ है या किसी सामान्य से काम के लिए बहुत बलपूर्वक कहने पर भी मना करता है, तो संभव है कि वो किसी हादसे या सदमे से गुजरा हो, जिसके बारे में उसने आपको न बताया हो। ऐसे बच्चों से बात करके पूरी बात सही-सही जानना बहुत जरूरी है। लेकिन इसके लिए जिद नहीं करनी चाहिए और बच्चों से प्यार से बात करनी चाहिए।
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