जुड़वां बच्चों की परवरिश में आती हैं कई परेशानियां, ध्यान रखें ये 5 बातें

जुड़वां बच्चों की परवरिश के लिए धैर्य बहुत ज़रूरी है। वैसे भी पेरेंटिंग का कोई शॉर्टकट नहीं होता। एक साथ समान उम्र के दो बच्चों को संभालना दोहरी जि़म्मेदारी का काम होता है।
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जुड़वां बच्चों की परवरिश में आती हैं कई परेशानियां, ध्यान रखें ये 5 बातें

जुड़वां बच्चे होने पर अचानक मां-बाप की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि थोड़ा बड़े होने पर बच्चों की शैतानियां और नखरे मां-बाप को अच्छे तो लगते हैं मगर कई बार इनकी परवरिश में मां बाप को परेशानी आती है। जुड़वां बच्चों की परवरिश के लिए धैर्य बहुत ज़रूरी है। वैसे भी पेरेंटिंग का कोई शॉर्टकट नहीं होता। जहां तक जुड़वां बच्चों का सवाल है, तो उनकी परवरिश के तरीके में थोड़ा बदलाव लाने की ज़रूरत होती है। चूंकि, एक साथ समान उम्र के दो बच्चों को संभालना दोहरी जि़म्मेदारी का काम होता है। इसलिए आपको योजनाबद्ध ढंग से उन दोनों के लिए समय निकालना चाहिए।

पति को भी करनी चाहिए पत्नियों की मदद

बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी सिर्फ मां की नहीं होती, बल्कि इस कार्य में पिता को भी सहयोग करना चाहिए। मां के लिए किचन और घर के कामकाज के साथ दोनों बच्चियों को संभालना व्यावहारिक रूप से बहुत मुश्किल है। अगर सुबह से पूरे दिन आप उनका खयाल रखती हैं तो थोड़ी जि़म्मेदारी उनके पिता को भी सौंपें कि शाम को वो उनके साथ खेलने या उन्हें पार्क में ले जाने के लिए थोड़ा समय ज़रूर निकालें। आप उन दोनों से अलग-अलग बातचीत का समय निकालें, ताकि किसी को भी ऐसा महसूस न हो कि मम्मी-पापा मुझे प्यार नहीं करते।

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दोनों बच्चों की पर्सनैलिटी हो सकती है अलग

जुड़वां बच्चों के व्यक्तित्व में भी कुछ असमानताएं हो सकती हैं। इसलिए पहले आप उन दोनों की खूबियों-खामियों को पहचानने की कोशिश करें। मिसाल के तौर पर अगर आपकी एक बेटी बातूनी और दूसरी इंट्रोवर्ट है तो ऐसे में अपनी शांत-शर्मीली बेटी को ओवर प्रोटेक्शन देने के बजाय आप उसे खुद अपनी बात रखना सिखाएं। उसे कमज़ोर समझकर हमेशा उसकी तरफदारी न करें।

छोटे-मोटे झगड़े खुद सुलझाने दें

जहां तक उनके झगडऩे का सवाल है तो सभी भाई-बहनों के बीच ऐसे मामूली झगड़े होते रहते हैं और इन्हीं के ज़रिये वे कॉनफ्लिक्ट मैनेजमेंट स्किल्स सीखते हैं, जो उनके लिए ताउम्र मददगार साबित होती हैं। बेहतर यही होगा कि उन्हें अपने झगड़े खुद ही सुलझाने दें लेकिन ध्यान रखें कि उनके बीच मारपीट नहीं होनी चाहिए। अपने परिवार में उनके लिए अनुशासन का यह स्पष्ट नियम बनाएं कि किसी भी हाल में वे एक-दूसरे पर हाथ नहीं उठाएंगी।

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बिहेवियर मॉडिफिकेशन चार्ट बनाएं

उन्हें अनुशासित करने के लिए आप बिहेवियर मॉडिफिकेशन चार्ट बनाएं, जिसमें अच्छे-बुरे व्यवहार के दो कॉलम होने चाहिए। उनके अच्छी-बुरी आदतों के लिए क्रमश: ग्रीन और रेड स्टार दें। अच्छे व्यवहार के लिए कुछ पॉइंट्स निर्धारित करें और गलतियों पर नेगेटिव मार्किंग भी होनी चाहिए। रोज़ाना शाम को उनके मार्क्स को जोड़ कर अच्छे पॉइंट्स के आधार पर उन्हें चॉकलेट या टॉय जैसा कोई छोटा सा पुरस्कार ज़रूर दें। इससे उनके अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी गलत आदतें अपने आप छूट जाएंगी।

अनूठा है जुड़वां बच्चों की परवरिश का अनुभव

आपको परेशान होने के बजाय खश होना चाहिए क्योंकि जुड़वां बच्चों की परवरिश का अनूठा अनुभव कई मामलों में बहुत सुखद और सुविधाजनक भी होता है। मसलन उम्र और जेंडर में समानता होने के कारण आपकी बेटियों के कपड़े, खिलौने और कमरे का इंटीरियर एक ही जैसा होगा। ट्विंस की फूड हैबिट में भी काफी समानता होती है। ऐसे में उनके खानपान का ध्यान रखना भी आसान होता है। अगर आप सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएंगी तो आपको कोई असुविधा नहीं होगी और आपकी बेटियों के व्यक्तित्व का विकास सहज ढंग से होगा।

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