
आंखों के पास जमी पपड़ीदार पर्त या दाने, जो कोलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण होते हैं, उन्हें हटाने के लिए आप इन 5 तरीकों का सहारा ले सकते हैं।
आंखों के आसपास कई बार पपड़ीदार पर्त जमा हो जाती है। बहुत सारे लोग इसे त्वचा रोग समझकर इनपर दाग-धब्बे मिटाने वाली क्रीम्स और घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं। मगर कई बार ये त्वचा रोग नहीं होते हैं, इसलिए ऐसे क्रीम्स या नुस्खों से कोई फायदा नहीं मिलता है। दरअसल आंखों के आसपास ऐसे छोटे-छोटे पैचेज और दाने उभरने का कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता हो सकती है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर ये आपकी आंखों के आसपास की त्वचा के नीचे जमा होने लगते हैं। इन्हें जैंथेलाज्मा (xanthelasma) भी कहा जाता है। आमतौर पर इस तरह कोलेस्ट्रॉल का जमा होना इस बात का भी संकेत हो सकता है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक का खतरा है। वैसे तो इस पपड़ीदार त्वचा से आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, मगर कई बार चेहरे पर धब्बे की तरह दिखने के कारण लोग इसे हटाना चाहते हैं। आइए आपको बताते हैं इस तरह के कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट को हटाने के तरीके।
लेजर
लेजर तकनीक की मदद से आंखों पर जमा इस कोलेस्ट्रॉल की पर्त को हटाया जा सकता है। लेजर द्वारा त्वचा की पर्त को हटाने के कुछ दिनों बाद नई त्वचा आ जाती है, जो पहले की तरह हेल्दी होती है। त्वचा को हील होने में 1-2 सप्ताह का समय लग सकता है। इसके लिए आप किसी अच्छे कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं। आजकल लेजर रिमूवल आम है और ज्यादातर शहरों में ये ट्रीटमेंट आसानी से उपलब्ध है।
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सर्जरी
अगर कोलेस्ट्रॉल बहुत गहराई तक जमा है और पर्त मोटी है, तो हो सकता है लेजर तकनीक इसमें काम न आए। ऐसी स्थिति में आप सर्जरी का सहारा ले सकते हैं। लेकिन परेशानी यह है कि कई बार सर्जरी के बाद कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट तो हट जाते हैं मगर सर्जरी का निशान रह जाता है। कई बार हील होते समय त्वचा के टिशूज गलत जुड़ जाते हैं, जिससे पलकें तिरछी हो सकती हैं और उनका शेप बिगड सकता है। आमतौर पर मेडिकल इंश्योरेंस में सर्जरी को कवर किया जाता है, मगर लेजर ट्रीटमेंट नहीं कवर होता है। इसलिए ये भी एक अच्छा विकल्प है। मगर इसके पहले किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट से राय-मशविरा जरूर कर लें।
केमिलक पील्स
अगर आप लेजर या सर्जरी दोनों ही नहीं करवाना चाहते हैं, तो आप केमिकल पील की मदद से भी ऐसे कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट को हटा सकते हैं। इस ट्रीटमेंट में ट्राईक्लोरोएटिक एसिड (trichloroacetic acid) की मदद से इसे हटाया जाता है। मगर इस ट्रीटमेंट में भी एक समस्या होती है कि कई बार मरीज की त्वचा सेंसिटिव होती है और उसके शरीर पर केमिकल के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए ये ट्रीटमेंट खास पॉपुलर नहीं है।
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फ्रीज थेरेपी
आजकल डॉक्टर्स कायरोथेरेपी (cryotherapy) द्वारा कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट को फ्रीज करके भी इसे निकाल रहे हैं। ये त्वचा के दाग-धब्बों को हटाने का एक मॉडर्न तरीका है, जो काफी सुरक्षित और दर्द रहित है। मगर ऐसा करवाते समय एक्सपर्ट की राय जरूर ले लें क्योंकि कई बार ट्रीटमेंट के बाद हाइपोपिग्मेंटेशन के कारण जहां पर कोलेस्ट्रॉल जमा होता है, वहां की त्वचा का रंग हल्का हो जाता है, जिससे देखने में अलग पता चलता है।
इलेक्ट्रिक नीडल
इलेक्ट्रिक नीडल भी कोलेस्ट्रॉल हटाने का एक नया तरीका है। इस ट्रीटमेंट को इलेक्ट्रोडेसिकेशन (electrodesiccation) कहते हैं। इस ट्रीटमेंट में डॉक्टर्स गर्म सुई की मदद से त्वचा को जलाकर अतिरिक्त हिस्सा निकाल देते हैं। हमारे शरीर की एक खासियत यह है कि ये अपने आप रिपेयर हो जाती है। इसलिए इलेक्ट्रिक नीडल ट्रीटमेंट के बाद त्वचा जल्द ही हील होकर पहले जैसी हो जाती है। मगर इस ट्रीटमेंट से बहुत गहराई तक जमा कोलेस्ट्रॉल को नहीं हटाया जा सकता है।
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