अगर आप उन लोगों में से एक हैं, जो अपना वजन घटाने की कोशिश में जुटे हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि स्वस्थ भोजन व एक्सरसाइज इस प्रक्रिया के महत्वपूर्ण पहलू हैं। लेकिन इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि आपका पाचन स्वास्थ्य भी इस प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभाता है। आप अच्छा आकार पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते लेकिन जबतक आपका पाचन स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा तब तक आप ऐसा कर पाने में सफल नहीं हो पाएंगे।
अधिकतर पाचन संबंधी समस्याएं खाने को पचाने की खराब प्रक्रिया की ओर ले जाती हैं, जिसके कारण वजन घट सकता है। लेकिन ऐसी भी कुछ स्थितियां होती है, जिसमें हमारा आंतों का स्वास्थ्य वजन बढ़ाने में योगदान देता है। हम आपको ऐसी पांच पाचन संबंधी बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि आपके वजन घटाने के सपने को तोड़ सकती हैं।
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज ऐसी स्थिति है, जिसमें सीने के निचले हिस्से में दर्द और जलन होती। इसमें पित्त (खाना पचाने में मदद करने वाला लिक्विड) खाने की नली की तरफ आने लगता है। इस समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए सहज खाद्य पदार्थ दर्द को कम करते सकते हैं। खाना खाने से उन्हें अस्थायी रूप से आराम मिलता है क्योंकि खाना व लार एसिड को कुछ देर तक सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन असली समस्या खाने को पचाने की प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद शुरू होती है वह एसिड से फिर से उत्पादन करना शुरू कर देता है। इस कारण लोग जरूरत से ज्यादा खाने की आदत में फंस जाते हैं, जिसके कारण वजन बढ़ता है।
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छाले
असहज करने वाले छाले, पेट और छोटी आंत की अंदरूनी परत में विकसित होते हैं। आमतौर पर यह बहुत सा एसिड उत्पादित करते हैं। एसिड रिफ्लक्स की तरह खाना खाने से थोड़ी देर के लिए आराम मिलता है क्योंकि परत को कवर कर लेते हैं और पेट के एसिड को सामान्य बना देते हैं। अगर आप निरंतर अंतराल पर खाना खाते रहेंगे तो निश्चित ही आपका वजन बढ़ना लाजमी है।
बैक्टीरिया का जरूरत से ज्यादा बढ़ना
हमारी आंतों में अच्छे व बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया होते हैं। अच्छे बैक्टीरिया सूजन को कम करने में मदद करते हैं और आपके स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। समस्या उस वक्त बढ़ती है जब बैक्टीरिया की वृद्धि तेजी से बढ़ती है, जिसके कारण वजन बढ़ सकता है। दरअसल बैक्टीरिया मीथेन गैस के उत्पादन को बढ़ाता है, जो छोटी आंत की गतिविधियों को धीमा कर सकता है। इसके अलावा बैक्टीरिया की जरूरत से ज्यादा वृद्धि आपके मेटाबॉल्जिम को धीमा कर सकती हैं और आपके इंसुलिन व लेप्टिन प्रतिरोध क्षमता को भी प्रभावित कर सकती हैं। यह भूख और संतृप्ति दोनों को ही नियंत्रित कर सकते हैं। इन सब के कारण आपको अधिक खाने और वजन बढ़ने की संभावना होती है।
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इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम
इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम एक बहुत आम विकार है जो खाद्य संवेदनशीलता और अच्छे बैक्टीरिया के असंतुलन की ओर ले जा सकता है। इसके कारण कब्ज, दस्त, गैस, सूजन, पेट दर्द और क्रैम्पिंग हो सकती है। यह वजन बढ़ने का भी एक कारण हो सकता है।
पुरानी बीमारियां
लंबे अरसे से किसी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति का स्टेरॉयड उपचार चल रहा होता है, जो कि आमतौर पर पहला कदम है। यह स्टेरॉयड कार्बोहाइड्रेट की भूख को बढ़ा सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको ज्यादा भूख लगेगी और उससे वजन भी बढ़ सकता है।
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