खांसी एक सामान्य समस्या मानी जाती है, जो आमतौर पर गले में संक्रमण के कारण हो जाती है। सामान्य खांसी 2-3 दिन में खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है। लेकिन कई बार खांसी का कारण गले में संक्रमण न होकर शरीर की कोई अन्य बीमारी हो सकती है। आमतौर पर लोग इस खांसी को भी नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके कारण रोग धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। आपके खांसी की समस्या अगर दो-तीन दिन में अपने आप न ठीक हो या खांसी के साथ कोई अन्य शारीरिक समस्या भी हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। ये शरीर में पल रहे किसी गंभीर रोग का लक्षण भी हो सकता है, जिसे समय रहते पहचानकर आप उस रोग से आसानी से निजात पा सकते हैं। आइये आपको बताते हैं ऐसे कौन-कौन से रोग हैं, जिनकी शुरुआत खांसी से होती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस
सिस्टिक फाइब्रोसिस एक आनुवांशिक रोग है। यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। इन अंगों में दिल, पाचक ग्रंथि (पेंक्रियाज), मूत्राशय के अंग, जननांग और पसीने की ग्रंथियां आदि शामिल हैं। इन अंगों में पायी जाने वाली कुछ विशिष्ट कोशिकायें प्रायः लार और जलीय स्राव उत्पन्न करती हैं, परन्तु सिस्टिक फाइब्रोसिस होने पर ये कोशिकाएं सामान्य से गाढ़ा स्राव उत्पन्न करने लगती हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस होने पर शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। इस कारण कई समस्यायें हो सकती हैं। इसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है और इस स्थिति में फेफड़ों में ये गाढ़े स्राव कीटाणुओं को समाहित कर लेते हैं, जिससे बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होता हैं। इस रोग का लक्षण भी खांसी हो सकती है।
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लंग कैंसर
फेफड़ों का कैंसर या लंग्स कैंसर एक गंभीर बीमारी है। फेफड़ों के कैंसर में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है, जो सबसे अधिक ब्रांकाई में शुरू होती है, और पूरे फेफड़े के ऊतकों में फैलती है। इस प्रकार के कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। डॉक्टर्स का दावा है कि लंग कैंसर के ज्यादातर मामलों में मरीज बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि किसी न किसी धूएं और तंबाकू वाली चीज का आदी होता है। अगर लंबे समय तक खांसी होती है और साथ में सीने में दर्द और बलगम में खून आता है तो ये लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर
कंजेस्टिव हार्ट फैल्योर उस परिस्थिति को कहते हैं, जब दिल शरीर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाता। इसका अर्थ यह नहीं होता कि दिल पूरी तरह काम करना बंद कर देता है, लेकिन वह काम पूरी क्षमता से नहीं कर पाता। इसका परिणाम यह होता है कि इस परिस्थिति से पीडि़त लोग आमतौर पर कमजोर और थका हुआ महसूस करते हैं। इसके साथ ही उन्हें सांस उखड़ने की शिकायत होती रहती है। खांसी के साथ पूरे दिन सुस्ती और सांस लेने में तकलीफ इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
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पल्मोनरी इडिमा
पल्मोनरी एडीमा भी फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में फेफड़ों की झिल्लियों में पानी भर जाता है। इस रोग के कारण भी खांसी के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। पल्मोनरी एडीमा रोग कई बार फेफड़ों के साथ-साथ दिल को भी प्रभावित करने लगता है तब इसकी गंभीरता बढ़ जाती है। इस रोग में वायुकोश में हवा की जगह तरल पदार्थ भर जाने के कारण ऑक्सीजन खून में मिल नहीं मिल पाता और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसी वजह से रोगी को सांस लेने में परेशानी शुरू हो जाती है। पल्मोनरी एडीमा के अन्य लक्षण- साँस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, बलगम में खून आना, अचानक ही बहुत तेजी से साँस लेना, हल्का काम करने में तुरंत हांफ जाना, त्वचा का रंग नीला या हल्का भूरा हो जाना, रक्तचाप का कम हो जाना आदि।
ट्यूबरक्यूलोसिस यानि टीबी
टीबी अर्थात ट्यूबरक्यूलोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। इस बीमारी के कारण भी खांसी के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। टीबी के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं- तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है), छाती में तेज दर्द, बलगम के साथ खून का आना, सांस लेने में तकलीफ, भूख में कमी आना आदि।
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