
क्या आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है या आपकी छाती में तेज दर्द होता है या आपको खांसी के साथ खून आता है, तो ये सभी लक्षण पल्मोनरी एडिमा के हो सकते हैं। इस बीमारी में फेफड़ों के अंदर अतिरिक्त पानी इकट्ठा हो जाता है जिससे फेफड़ों में सूजन पैदा हो जाती है। ऐसे में रोगी को साँस लेने में परिशानी होती है। फेफड़ों में पानी कई कारणों से एकत्र हो जाता है। जैसे कई बार छाती में सामान्य सी चोट लगने से भी निमेनिया से, कुछ टॉक्सिन या दवाईयों के संपर्क में आने से या कई बार तो गलत व्यायाम करने से भी फेफड़ों में पानी भर जाता है। वहीं फेफड़ों में पानी भरने के अलावा पल्मोनरी एडिमा बहुत से मामलों में, हृदय में किसी भी प्रकार की समस्या के कारण हो जाता है। अगर आपको पल्मोनरी एडिमा की शिकायत है औऱ आप बहुत अधिक ऊंचाई पर रहते हैं तो आपकी बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है।
हर किसी में उपचार का तरीका अलग
अगर आपको अचानक से पल्मोनरी एडिमा (एक्यूट पल्मोनरी एडिमा) की शिकायत हो गई है तो तुरंत चिकित्सक के पास जाएं। पल्मोनरी एडिमा बहुत ही घातक बीमारी है लेकिन सही तरीके से पल्मोनरी एडिमा का उपचार करने पर इससे निजात पाई जा सकती है। साथ ही इस बीमारी में एक बात का विशेष तौर पर ध्यान रखने की जरूरत है कि हर अलग-अलग रोगी में पल्मोनरी एडिमा का उपचार अलग-अलग तरीके से किया जाता है। यह इस पर निर्भर करता है कि रोगी में पल्मोनरी एडिमा होने का कारण क्या है।
ऐसे होता है पल्मोनरी एडिमा
इंसान के फेफड़ों में बहुत से छोटे-छोटे वायुकोश होते हैं, जिन्हें अल्वेओली कहा जाता है। जब इंसान बाहर के वातावरण ऑक्सीजन ग्रहण करता है तो कार्बनडाई ऑक्साइड बाहर छोड़ता है। शरीर के अंदर जाने वाली ऑक्सीजन खून में मिलकर पल्मोनरी धमनी के जरिए हृदय तक जाती है जिससे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचता है। ये है इंसान के शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने की सामान्य क्रिया।
लेकिन जो लोग पल्मोनरी एडिमा से पीड़ित होते हैं उनमें ऐसा नहीं होता। क्योंकि वायुकोश में हवा की जगह तरल पदार्थ भर जाता है। जिस कारण ऑक्सीजन खून में मिल नहीं मिल और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यहीं से रोगी को सांस लेने में परेशानी शुरू हो जाती है।
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इन कारणों से होता है पल्मोनरी एडिमा
- ड्रग्स- कई बार ड्रग्स जैसे- हेरोइन और कोकीन का अधिक सेवन करने से भी पल्मोनरी एडिमा हो जाता है।
- एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS)- कई बार इस गंभीर बीमारी के कारण भी पल्मोनरी एडिमा हो जाता है। इस बीमारी अचानक से फेफड़ों के अंदर तरल पदार्थ और सफ़ेद रक्त कोशिकाएं भरनी शुरू हो जाती हैं।
- ऊंचाई पर जाने से- कई बार ऊंची जगहों पर जाने से हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (HAPE) हो जाता है। ऐसा ऊँचाई पर जाने से पल्मोनरी केपिलरी के संकुचन होने पर, उसपर दबाव बढ़ता है, जिससे रक्त हृदय में पूरी तरह से पंप नहीं हो पता और वापस फेफड़ों में आ जाता है। ऐसे में इसका तुरंत उपचार करने पर यह खतरनाक हो जाता है।
- वायरल इन्फेक्शन- कई बार हन्टावायरस और डेंगू का संक्रमण होने पर भी पल्मोनरी एडिमा की स्थिति बन जाती है।
- फेफड़ों में चोट- कई बार फेफड़ों से खून के थक्के निकालने के लिए जो सर्जरी की जाती है उससे भी पल्मोनरी एडिमा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसा फेफड़ों के उन जगहों पर ही होता है, जहां से रक्त के थक्के निकाले जाते हैं।
- अन्य कारण - इसके अलावा जिन लोगों का कोलॅप्स लंग्स (जब हवा फेफड़ों के अंदर न जाकर, फेफड़ों और छाती की दीवारों के बीच में भरने लगती है तो इस अवस्था को कोलॅप्स लंग्स कहते है) का उपचार हुआ हो या फेफड़ों से तरल पदार्थ निकालने के लिए सर्जरी हुई हो, उनमें भी पल्मोनरी एडिमा की स्थिति बन जाती है।
पल्मोनरी एडिमा के कारण होती हैं ये समस्याएं
- हाथ व पैरों के निचले भागों और पेट में सूजन हो जाती है।
- फेफड़ों के चारों तरह की झिल्लियों में लिक्विड भर जाता है।
- लिवर में असामान्य तरीके से सूजन होने लगती है या खून का असाधारण जमाव होने लगता है।
ऐसे में समझा जा सकता है कि पल्मोनरी एडिमा का उपचार अगर सही समय पर नहीं किया गया तो यह गंभीर रूप ले लेता है। कुछ अवस्थाओं में तो यह उपचार कराने के बाद भी गंभीर स्थिति में रहता है।
इसके लक्षण
- अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत उपचार करनाएं।
- साँस लेने में तकलीफ।
- सीने में दर्द।
- बलगम में खून आना।
- अचानक ही बहुत तेजी से साँस लेना।
- साँस लेने पर घरघराहट की आवाज आना या जोर-जोर से हांफना।
- हल्का काम करने में तुरंत हांफ जाना।
- साँस में तकलीफ के साथ-साथ बहुत ज्यादा पसीना आना।
- त्वचा का रंग नीला या हल्का भूरा हो जाता है।
- रक्तचाप का कम हो जाता है।
- चक्कर आना।
- कमजोरी महसूस होना।
- खूब पसीना निकलना।
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जांच के तरीके
- इसके लिए डॉक्टर नीचे लिखे तरीकों में से एक तरीका जाँच के लिए अपनाता है।
- छाती का एक्स-रे- सबसे पहले छाती का एक्स-रे कर कर जांच की जाती है कि कि रोगी को क्या समस्या है।
- पल्स ओक्सिमेट्री- इस परीक्षण में सेंसर से जांच की जाती है। इसमें डॉक्टर रोगी की उँगलियों या कान पर एक सेंसर लगा दिया जाता है। इस सेंसर से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, जिससे रोगी के खून में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है।
इन तरीकों से बचें
- पल्मोनरी एडिमा के इलाज के दौरान चिकित्सकीय सेवा लेने के अलावा जीवनशैली में भी डॉक्टर बदलाव करने की सलाह देते हैं- रोगी को निम्नलिखित बदलाव की सलाह दे सकते हैं-
- रक्तचाप पर रखें नियंत्रण
- यदि मरीज को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो पल्मोनरी एडिमा होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क कर और रक्तचाप कम करने वाली दवाइयों का सेवन करें।
- ग्लूकोज नियंत्रण में रखें
- यदि मरीज को डायबिटीज जैसी बीमारी है तो ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रण में रखें। अन्य दूसरी तरह की बीमारियों में ऐसी चीजें करने से बचें, जिससे आपकी दशा खराब हो सकती है। ऊंचाई पर जाने से या किसी भी तरह की चीज की एलर्जी से बचें जिससे साँस की तकलीफ बढ़ सकती है। फेफड़ों को किसी भी तरह का नुकसान मत पहुंचाइए।
- धूम्रपान न करे- धूम्रपान करने से पल्मोनरी एडिमा की सम्भावना बढ़ जाती है क्योंकि ध्रुमपान से सबसे ज्यादा नुकसान फेफड़ों को ही होता है। यदि पहले से किसी व्यक्ति को फेफड़ों की समस्या है तो उसकी स्थिति और गंभीर हो सकती है। इसलिए धूम्रपान जितना जल्दी हो सके छोड़ दें।
- स्वस्थ आहार लें - खान-पान पर ध्यान दें और स्वस्थ आहार लें। इसके अलावा खूब सारे फल खाएं और अफने खाने में सब्जियों और सम्पूर्ण आनाज को शामिल करें।
- वजन नियंत्रण में रखें - स्वास्थ्य की सबसे जरूरी पहचान हेल्दी वजन से होती है। वजन हमेशा नियंत्रण में रखें और रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें। यदि आप व्यायाम नहीं करना चाहते हैं तो रोज आधे घंटे टहल लें।
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