
चुभती, जलती गर्मी का मौसम और साथ में कुछ अनदेखे खतरे। असल में गर्मी का मौसम शुरू होते ही बढ़ता तापमान आपके लिए बहुत सी स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आता है। जैसे जैसे दिन बड़े और गरम होते जाते हैं, स्वास्थ्य की दृष्टि से उतनी ही नुकसानदायक भी। विशेषज्ञों की मानें तो यह अकेला ऐसा मौसम होता है जिसमें हीट स्ट्रोक, वायरस या बैक्टीरियल इनफेक्शन आदि से जुड़े केस सबसे ज्यादा सामने आते हैं। जो आम हैं, लेकिन ये जानलेवा बने उससे पहले इन्हें रोकना बेहद जरूरी होता है। ताकि आप पूरी गर्मी खुद को सुरक्षित रख सकें।
1. हीट स्ट्रोक (Heat Stroke)
हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान एकदम बढ़ता है। इस कंडीशन को हाइपरथर्मिया कहते हैं। शरीर में पानी की कमी होना है इसकी एक वजह है। गर्मियों के दिनों में दोपहर के समय शरीर को ज्यादा से ज्यादा से ठंडा रखने की कोशिश करें। आप बहरी गतिविधियों को करने से बचें। क्योंकि दोपहर के समय ही धूप सिर पर होती है और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अगर आप खुद को थका हुआ और बीमार महसूस कर रहे हैं तो इसे नजरअंदाज बिलकुल भी ना करें।
क्या हैं हीट स्ट्रोक के लक्षण
- जब आपके शरीर का तापमान 103 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा हो
- स्किन गर्म, लाल, नरम या चकत्ते दार दिखे
- नाड़ी की गति तेज हो
- सिर में दर्द, चक्कर आने की समस्या हो
- बेहोश होना।
- पसीना न आना बहुत अधिक आना
- घबराहट
- त्वचा ठंडी पड़ना
- मतली या उलटी आना
- मांसपेशियों में ऐंठन होना

2. डिहाइड्रेशन (Dehydration)
गर्मियों के दिनों में हम हमेशा सुनते चले आये हैं कि ज्यादा से ज्यादा पानी पिया जाए। तो अब उसे अमल करने का समय भी आ चुका है। इन दिनों में घर से बाहर निकले, खेले कूदे या और कोई सी भी शारीरिक गतिविधि करें, तो अपने साथ वाटर बोतल रखें। खूब पानी पीजिये। अगर जरा सी भी शरीर में पानी की कमी हुई तो इसका गम्भीर परिणाम भी आपको झेलना पड़ सकता है। खासकर तब जब आप धूप में हो। आप हर रोज कम से कम 2 लीटर पानी पीना जरूरी है।
इसे भी पढ़ें: गर्मी की चिलचिलाती धूप से लौटने पर शरीर को ठंडा करने के लिए अपनाएं ये 9 आसान घरेलू नुस्खे
3. सन बर्न (Sunburn)
धूप में लम्बे समय तक समय बिताना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। घर से बाहर निकलें तो सनस्क्रीन जरूर लगाएं। क्योंकि धूप से आपकी स्किन में झुर्रियां और महीन रेखाएं पड़ सकती हैं और आप जल्दी बूढी दिख सकती हैं। इससे स्किन कैंसर का खतरा भी होता है। इसलिए जितना हो सके धूप में निकलना अवॉयड करें। सनस्क्रीन को अपनी आदत बनाएं। भले ही बाहर धूप हो या नहीं। कम से कम 30 एसपीएफ की सनस्क्रीन को चुनें। जो स्किन को यूवीए और यूवीबी दोनों ही घातक किरणों से बचा सके।
4. पानी से जुड़े खतरे (Water Related Incidents)
गर्मियों के दिनों में बहुत से लोग स्विमिंग पूल, वाटर पार्क या समुद्र तट पर समय बिताना पसंद करते हैं। ऐसे में स्विमिंग पूल में पानी का संक्रमण, तैराकी के समय डूबने का खतरा विशेषकर 1 से 4 साल तक के बच्चों में रहता है क्योंकि अक्सर देखा गया है कि बच्चों के साथ आए उनके पेरेंट्स अपने मोबाइल पर लगे रहते हैं और यह लापरवाही भारी पड़ जाती है।
इसे भी पढ़ें: क्या गर्मी में आपको भी लगती है कम भूख? डायटीशियन Rujuta Diwekar से जानें गर्मी में क्या खाएं और कितना खाएं
कैसे करें बचाव
- आप हमेशा लाइफगार्ड के देख रेख में ही तैराकी करें।
- पानी में बच्चों को अकेले ना छोड़ें।
- यदि आप या बच्चा कम तैराकी जानते हैं तो लाइफ जैकेट जरूर पहनें।
- बच्चा नहीं मिल रहा है तो पहले स्विमिंग पूल के पानी की जांच करें।

5. मच्छरों का काटना (Insects Bites)
गर्मियां अपने साथ मच्छरों का प्रकोप भी लाती हैं। गर्मियों में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए यदि घर से बाहर किसी काम से जा रहे हैं या बच्चा बाहर खेलने जा रहा है तो पूरी आस्तीन और पैर ढकने वाले कपड़े पहनें। यदि आपके घर में कोई पालतू है तो टिक्स की जांच करें।
पेट की खराबी, पेट में ऐंठन, जी मिचलाना, बुखार, दस्त या, उल्टियां जैसी फूड पोइज़निंग या अन्य समस्याएं सभी गर्मियों की देन जरूर हैं पर ये सब परेशानियां इस मौसम में आम है और इन को कंट्रोल करना मुश्किल नहीं। जरा सी सावधानी से आप इस किसी भी समस्या में घिरने से बच सकते हैं।