कई लोग जिम शरीर को फिट रखने के लिए जाते हैं और कई लोग वजन कम करने के लिए। अक्सर शुरुआत में लोग जिम जाकर घंटों पसीना बहाते हैं मगर उन्हें अपनी फिटनेस में कोई बदलाव नहीं नजर आता है। इसका कारण कुछ ऐसी गलतियां हो सकती हैं, जिनकी तरफ आपका ध्यान भी नहीं जाता है। कुछ लोग यह भी गलती करते हैं कि ऑनलाइन वीडियोज को देखकर एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं, जबकि वो एक्सरसाइज उनकी बॉडी टाइप के अनुसार नहीं होती है। आइए आपको बताते हैं ऐसी ही 5 गलतियां, जो जिम जाने वाले लोग शुरुआत में अक्सर करते हैं।
डाइट कम कर देना
यह गलत धारणा है कि डाइट कम करने से वजन घटेगा। बहुत कम खाने के बजाय संतुलित भोजन पर ध्यान देना चाहिए। कोई भी वर्कआउट करें, उसके साथ हेल्दी डाइट नहीं होगी तो शरीर को लाभ नहीं, नुकसान होगा। इसलिए यह बात ध्यान रखें कि डाइट में सभी पोषक तत्व मौजृद हों। अपनी ऐक्टिविटीज के हिसाब से डाइट प्लैन करें। अगर वर्कआउट कर रहे हैं तो हर दो घंटे में 6 से 9 छोटे मील्स लेना जरूरी है।
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बिना एक्सपर्ट के एक्सरसाइज शुरू करना
कितने भी फिटनेस फ्रीक क्यों न हों, कभी न कभी सभी से गलतियां होती हैं। अपने शरीर के हिसाब से एक्सरसाइज या वर्कआउट का चुनाव करने से ही बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। बिना एक्सपर्ट या ट्रेनर के वर्कआउट करना वैसे ही है, जैसे बिना डॉक्टर के मेडिकल स्टोर से दवा खरीद लेना। हो सकता है, इससे कभी-कभी फायदा मिल जाए लेकिन कई बार अधिक नुकसान भी हो सकता है। सही ट्रेनर बॉडी टाइप के हिसाब से ब्रीदिंग टेक्नीक्स, पोस्चर और स्ट्रेचिंग का तरीका समझा सकता है।
शरीर के अनुसार एक्सरसाइज न करना
हर शरीर की संरचना अलग होती है, उसके हिसाब से उसकी जरूरत अलग होती है। इसी तरह वर्कआउट के प्रति हरेक के शरीर की प्रतिक्रिया अलग हो सकती है। उम्र व शारीरिक क्षमता के अनुसार भी एक्सरसाइज में फर्क होता है। यूट्यूब चैनल्स या टीवी से सीख कर एक्सरसाइज ट्राई करना खतरनाक भी साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए प्लैंक एक आसान और फायदेमंद वर्कआउट है लेकिन जरूरी नहीं कि इसका लाभ सबको मिले। रीढ़ में समस्या हो तो शरीर को नुकसान भी हो सकता है।
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जल्द से जल्द परिणाम चाहना
कोई भी फिटनेस रूटीन तुरंत फायदा नहीं पहुंचाता। कम से कम 2-3 महीने इंतजार करना जरूरी है। दो-तीन हफ्ते तक सकारात्मक नतीजे नजर न आएं तो निराश न हों। हर किसी का शारीरिक ढांचा अलग होता है। एक चीज किसी के लिए फायदेमंद है तो जरूरी नहीं कि वह दूसरे को भी लाभ पहुंचाएगी। अगर डेढ़-दो महीने बाद तक भी सही रिजल्ट नहीं आता तो वर्कआउट में बदलाव करें।
वॉर्मअप न करना
एक्सरसाइज से पहले और बाद में वॉर्मअप और स्ट्रेचिंग न करना फिटनेस की राह में बड़ी रुकावट है। लोगों को लगता है कि वॉर्मअप के लिए ब्रिस्क जॉग और थोड़ी सी स्ट्रेचिंग काफी है लेकिन ऐसा नहीं है। जब तक शरीर सही ढंग से वॉर्मअप नहीं होगा, मसल्स उस खास एक्सरसाइज के लिए तैयार नहीं हो सकेंगी। ऐसा न करने से मसल्स पेन, पुल या मसल टियर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वर्कआउट के बाद भी स्ट्रेचिंग जरूरी है। यह जरूरी है कि एक्सरसाइज के बाद रिलैक्स्ड मोड में लौटें। मसल्स ग्रुप जैसे थाइज, हिप, चेस्ट, शोल्डर और एंकल को स्ट्रेच करने से रक्त संचार सुचारु होता है।
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