साइटिका के दर्द में आराम दिलाएंगे ये 5 योगासन, जानें इनके फायदे और करने का तरीका

साइटिका का दर्द तेज और असहनीय होता है। इसके मरीज अपने रोजमर्रा के कामकाज भी बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं। ऐसे में कुछ योगासन काम आ सकते हैं

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Written by: सम्‍पादकीय विभागUpdated at: Mar 15, 2021 11:11 IST
साइटिका के दर्द में आराम दिलाएंगे ये 5 योगासन, जानें इनके फायदे और करने का तरीका

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साइटिका का दर्द शरीर के किसी एक हिस्से में होता है। यह दर्द काफी तेज और असहनीय होता है। साइटिका के रोगी ज्यादा समय तक खड़े नहीं रह सकते हैं। बहुत देर तक चलने से भी उन्हें पैरों, कमर में दर्द होने लगता है। साइटिका का दर्द ज्यादा काम करने, भारी वजन उठाने और नीचे झुकने से ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में साइटिका रोगियों को इन कामों को करने से बचना चाहिए। साइटिका के दर्द को कम करने के लिए आप दवाईयों का सहारा लेते होंगे, लेकिन आप चाहें तो कुछ बेहतरीन योगासनों से भी इसके दर्द में राहत पा सकते हैं। योगा एक्सपर्ट अमित शर्मा से जानों, साइटिका के लिए कुछ बेहतरीन योगासन-

हनुमानासन (hanumanasana) 

हनुमानासन कमर और पेट की चर्बी को कम करने में मददगार है। इससे बॉडी टोन और फ्लैक्सिबल होती है। साइटिका और नर्वस सिस्टम के लिए हनुमानासन काफी फायदेमंद होता है। इससे कमर के आसपास की मसल्स स्ट्रांग होती है। इसके नियमित अभ्यास से महिलाओं के सभी रोग दूर होते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी सीधी होती है। इससे स्ट्रेस, टेंशन कम होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछा लें। उस पर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों घुटनों को फर्श पर टिका कर पंजों के बल बैठ जाएं। अपने बाएं पैर को धीरे-धीरे करके पीछे की तरफ और दाएं पैर को आगे की तरफ ले जाएं। पैरों को इतना फैलाएं, जिससे कूल्हे जमीन से लग जाएं। अब अपने हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में आगे की तरफ रखें। दोनों पैरों को एक-एक करके आगे-पीछे करें। इस अवस्था में 2-3 मिनट तक रहें। इस का अभ्यास धीरे-धीरे करें। इसे करते समय कंधों और घुटनों पर कभी दबाव न डालें। इसे करने से पहले हमेशा वॉर्मअप जरूर कर लें, इससे आपकी कोर मसल्स एक्टिव हो जाएगी। आप इसे योगा एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।

हस्त पादांगुष्ठासन (hastapadangusthasana)

हस्त पादांगुष्ठासन करने से थकान दूर होती है। यह वजन कम करने में भी मददगार है। इससे पैरों, घुटनों और टखनों में खिंचाव आता है, जिससे पैर मजबूत बनते हैं। रोजाना इसका अभ्यास करने से डायजेशन सिस्टम, मसल्स स्ट्रांग बनती है। नर्वस सिस्टम मजबूत होता है। हस्त पादांगुष्ठासन शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। नियमित रूप से इसे करने से आप एनर्जेटिक फील करेंगे। इसे करने के लिए सबसे पहले पैरों को एक-दूसरे के नजदीक रखकर, रीढ़ को सीधा रखकर खड़े हो जाएं। दायां पैर आगे की ओर उठाकर सीधा करें। इस पैर के अंगूठे को दाएं हाथ से पकड़ें। दूसरा हाथ कमर पर रखकर बैलेंस संभालते हुए एक पैर पर खड़े हो जाएं। इस अवस्था में कुछ देर रुकें। अब दूसरे पैर से ऐसा करें। शुरुआत में आप इस आसन को दीवार के सहारे भी कर सकते हैं। धीरे-धीरे बैलेंस बनने पर आप इसे बिना किसा सहारे के करें। 

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धनुरासन (dhanurasana)

रोजाना धनुरासन करने से पीठ और पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे आपके हाथ, पैरों की मसल्स भी स्ट्रांग होती है। इससे बॉडी टोन और फ्लैक्सिबल होती है। नियमित रूप से धनुरासन करने से स्ट्रेस, एंजाइटी कम होती है। यह साइटिका की समस्या कम करने के लिए काफी अच्छा योगासन है। धनुरासन करने के लिए सबसे पहले एक योगा मैट बिछा लें। मैट पर पेट के बल लेट जाएं। पैरों को एक-दूसरे से बिल्कुल जोड़ कर रखें। हाथों को पैरों के पास रखें। इसके बाद धीरे-धीरे घुटनों को मोड़े, हाथों से टखने को पकड़ें। लंबी सांस लेते हुए सीने और जांघों को जमीन से ऊपर उठाएं। इसके बाद हाथों से पैरों को खीचें। मुस्कुराते हुए सामने की तरफ देखें। इस अवस्था में कुछ सेकेंड रुकें। इस दौरान आपका शरीर धनुष की तरह खींचा हुआ होना चाहिए। 

भुजंगासन (bhuangasana) 

भुजंगासन करने से पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं खत्म होती है। यह साइटिका के लिए काफी फायदेमंद योगासन है। इससे हड्डियां मजबूत होती है। गैस, एसिडिटी और कब्ज की समस्या से निजात मिलता है। रोजाना इसका अभ्यास करने से डायजेशन ठीक होता है, किडनी और लीवर भी हमेशा ठीक रहता है। यह टमी फैट को कम करने में भी मददगार है। इसे करने के लिए आप मैट पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को एकदम सीधा करके आपस में जोड़कर लें। ठोड़ी को जमीन पर लगाएं, दोनों कोहनियों को पसलियों से सटाकर रखें। हथेलियों को जमीन पर रखें। अब सिर को जमीन से लगाएं, सांस लेते हुए गर्दन, छाती और पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कुछ समय तक इस अवस्था में बने रहें। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। कमर दर्द और हार्निया के मरीजों को इसे नहीं करना चाहिए।

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शलभासन (shalabhasana) 

शलभासन करने से मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे हमारी हाथों, पैरों, जांघों और पैरों की मसल्स स्ट्रांग होती है। यह पाचन तंत्र को ठीक करता है, इससे पेट से संबंधित सारी समस्याएं ठीक हो जाती है। यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। यह साइटिका के दर्द में भी राहत दिलाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले एक मैट बिछा लें। इस पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को एकदम सीधा रखें, पंजे सीधे और ऊपर की तरफ रखें। दोनों हाथों को सीधा करके, उन्हें जांघों के नीचे दबा लें। अपने सिर, मुंह को सीधा रखें। गहरी सांस लेते हुए दोनों पैरों को ऊपर उठाएं (जितना उठा सके)। इस अवस्था में 20 सेकेंड तक रुकें। आप अपनी क्षमता के अनुसार इसे बढ़ा भी सकते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए रिलैक्स करें। इसे 3-4 बार करें। इसे हमेशा खाली पेट करें। अगर आपका सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में दर्द हो, तो भी इसे करने से बचें। गर्भवती महिलाओं इस योगासन को न करें। कमर और पीठ दर्द में भी इसे नहीं करना चाहिए।

साइटिका होने पर इन योगासनों को न करें

अगर आपको साइटिका हैं, तो कुछ योगासनों को आपको बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इन आसनों को करने से आपकी परेशानी बढ़ सकती है। आप आगे झुकने वाले आसन बिल्कुल न करें। ऐसे में आप उन्हीं योगासनों को करें, जो आपके लिए फायदेमंद हो। इन योगासनों को करने से बचें-

- पश्चिमोत्तानासन (paschimottanasana)

- पादहस्तासन (padahastasana)

- उत्तानासन (uttanasana) 

नियमित रूप से इन योगासनों को करने से आप भी साइटिका के दर्द में आराम पा सकते हैं।

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