आपने ध्यान दिया होगा कि छोटे बच्चे जब सोते हैं, तो उनका पेट ऊपर-नीचे होता हुआ दिखाई देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बचपन में हम सभी सांस लेने के लिए पेट की मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे विकसित होते शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिले और अंगों का आकार बढ़े। ये प्राकृतिक क्रिया है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे सांस लेने का पैटर्न बदलने लगता है। बड़े होने पर सांस लेते समय हमारा शरीर सीने और कंधों की मसल्स का इस्तेमाल करने लगता है।
शोध बताते हैं कि जब आप सीने और कंधे के मसल्स के सहारे सांस लेते हैं, तो फेफड़ों का एक-तिहाई हिस्सा ही ऑक्सीजन से भर पाता है, जबकि पेट की मसल्स के इस्तेमाल से सांस लेने पर पूरा फेफड़ा ऑक्सीजन से भरता है। इसीलिए एक्सपर्ट्स पेट से सांस लेने की क्रिया को ज्यादा फायदेमंद मानते हैं। इसे डायफ्रैग्मैटिक ब्रीदिंग (diaphragmatic breathing) कहा जाता है। आइए आपको बताते हैं इसके फायदे और पेट से सांस लेने का सही तरीका।
तनाव कम होता है
पेट से सांस खींचने के क्रम में आपके शरीर की मसल्स तक ऑक्सीजन की आपूर्ति ज्यादा मात्रा में होती है, इसलिए मसल्स रिलैक्स रहती हैं। यही कारण है कि पेट से सांस खींचने पर आपका तनाव कम होता है। ये एक तरह से तनाव कम करने के लिए बेहद आसान एक्सरसाइज भी है।
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रक्त प्रवाह बढ़ता है
पेट के द्वारा सांस लेने से आपके शरीर में रक्त प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) ज्यादा बेहतर और तेज होता है। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से खून में घुले न्यूट्रिएंट्स और सप्लीमेंट्स अंगों तक जल्दी और ज्यादा मात्रा में पहुंचते हैं, जिससे शरीर अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ और ज्यादा शांत रहता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
पेट से सांस खींचने पर आपकी श्वसन तंत्र (रेस्पिरेटरी सिस्टम) मजबूत होता है, जिससे सांस द्वारा खींचे गए बैक्टीरिया और हानिकारक कणों की ये अच्छी तरह सफाई कर पाता है। इसलिए पेट से सांस लेने से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, मगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ती है।
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बॉडी पोश्चर सुधरता है
पेट के द्वारा सांस लेने से आपके सभी अंगों तक जब पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन पहुंचते हैं, तो अंग अच्छी तरह काम करते हैं, हड्डियां मजबूत होती हैं और मांसपेशियों का गठन अच्छी तरह होता है। इससे आपके कंधे, सीने और रीढ़ की हड्डी का पोश्चर सुधरता है।
पेट से सांस लेने का सही तरीका
सबसे पहले किसी शांत जगह पर बैठ जाएं या लेट जाएं। अब अपने एक हाथ को अपने सीने पर रखें और दूसरे हाथ को अपने पेट पर रख लें। अब नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस इस तरह खींचें कि आपका सीना न हिले, जबकि पेट फूल जाए। इस सांस को कुछ समय तक रोक कर रखें और फिर छोड़ दें। ये एक तरह का योगासन है, जिसे आप दिन में कई बार जब भी चाहें कर सकते हैं। सांस खींचने के दौरान अपने पेट के आसपास के अंगों पर सांस का दबाव महसूस करें। रोजाना प्रैक्टिस से आप बहुत जल्दी ही अपने भीतर कई पॉजिटिव बदलाव देखेंगे।
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