4 जरूरी ब्लड टेस्ट जिन्हें आपको साल में 1 बार जरूर कराना चाहिए, हेल्थ के बारे में पता चलती हैं कई बातें

शरीर और सेहत के बारे में ज्यादातर महत्वपूर्ण जानकारियां इन 4 ब्लड टेस्ट से मिल जाती हैं क्योंकि खून (ब्लड) पूरे शरीर में हर समय दौड़ता है।
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4 जरूरी ब्लड टेस्ट जिन्हें आपको साल में 1 बार जरूर कराना चाहिए, हेल्थ के बारे में पता चलती हैं कई बातें


ब्लड यानी खून हमारे जीवन के लिए सबसे जरूरी चीज है। यह विभिन्‍न अंगों, मांसपेशियों और ऊतकों को पोषक तत्‍वों और ऑक्‍सीजन की आपूर्ति करता है और अपशिष्ट उत्पादों और कार्बन डाइऑक्साइड को दूर करता है। चूंकि खून हमारे पूरे शरीर और प्रत्येक अंग से होकर गुजरता है इसलिए ये आपके अंदरूनी स्वास्थ्य के बारे में ढेर सारी बातें बता सकता है। आइए आज हम आपको बताते हैं ऐसे 4 ब्लड टेस्ट, जो आपके पूरे शरीर की सेहत का राज आसानी से बता देते हैं।

कंप्लीट ब्लड काउंट या सीबीसी टेस्ट

कंप्लीट ब्लड काउंट आपके कई अंगों के स्वास्थ्य के बारे में बताता है इसलिए ये एक जरूरी जांच है। कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट द्वारा आपको लिवर, हार्ट और किडनी के बारे में पता चलता है। इस जांच में व्‍यक्ति के खून में मौजूद सेल्स की जांच की जाती है। अगर किसी व्‍यक्ति के खून में रक्‍त कण कम या अधिक हैं तो उसे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधित समस्‍या हो सकती है।

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इलेक्ट्रोलाइट्स या किडनी फंक्शन टेस्ट

किडनी फंक्शन टेस्ट द्वारा किडनी की सेहत का पता चलता है। किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि ये शरीर के ब्लड को प्यूरीफाई करती है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है। किडनी फंक्शन टेस्ट में इन तत्वों का टेस्ट किया जाता है- सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, बाईकार्बोनेट, यूरिया, क्रिएटिनिन आदि।

थायरॉइड टेस्ट

थॉयराइड एक साइलेंट किलर है। ये बीमारी महिला और पुरुष दोनों को हो सकती है। इसके लक्षण तब दिखाई पड़ते हैं जब यह बीमारी बहुत खतरनाक हो जाती है। अनिद्रा, तनाव के साथ खानपान में सोडियम और आयोडिन की कमी के कारण थॉयराइड की समस्‍या होती है। थॉयराइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से दिल की बीमारी, वजन कम होना, थकान होने जैसी समस्‍यायें होती हैं। इसलिए थायरॉइड टेस्ट भी बहुत जरूरी है।

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कोलेस्ट्रॉल की जांच

कोलेस्ट्रॉल की जांच द्वारा दिल के स्वास्थ्य के बारे में पता चलता है। इस टेस्ट में एडीएल के साइज और उनके पार्टिकल्स के बारे में पता लगाया जाता है। इस टेस्ट में आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड्स, एचडीएल, एलडीएल और कोलेस्ट्रॉल/एचडीएल रेशियो की जांच की जाती है। एचडीएल को हाई डेंसिटी लीपोप्रोटीन कहते हैं। इसकी कमी से दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है। अगर जांच में एचडीएल कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर 60 मिग्रा/डेसीलीटर से अधिक है तब दिल की बीमारी होने की आशंका कम होती है। लेकिन अगर किसी व्‍व्‍यक्ति का एचडीएल स्‍तर 40 मिग्रा/डेसीलीटर से कम है तो दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

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