
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक, 15 मिलियन (1.5 करोड़) बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं। जिसे प्रीटर्म बर्थ (Preterm Birth) कहते हैं। प्रीटर्म बर्थर के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग 10 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है, बाकी बचे शिशुओं में अधिकांश विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। ऐसे शिशुओं में सुनने की क्षमता में कमी और शारीरिक व मानसिक विकलांगता देखने को मिलती है। वैश्विक स्तर पर, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का यह प्रमुख कारण है। दुनिया भर में प्रीटर्म बर्थ रेट में लगातार वृद्धि हो रही है।
गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को प्रीटर्म (अपरिपक्व) के रूप में परिभाषित किया जाता है। गर्भावधि के आधार पर प्रीटर्म जन्म की सब-कैटेगरी हैं:
- अत्यंत अपरिपक्व जन्म (Extremely preterm): 28 सप्ताह से कम
- बहुत पहले जन्म (Very preterm): 28 से 32 सप्ताह
- मध्यम से लेट प्रीटर्म (Moderate to late preterm): 32 से 37 सप्ताह
- 39 सप्ताह पूर्ण होने से पहले सीजेरियन बर्थ की योजना नहीं बनाई जानी चाहिए जब तक कि चिकित्सकीय रूप से संकेत न दिया जाए।
प्रीटर्म बर्थ कहां और कब होता है?
अफ्रीका और दक्षिण एशिया में 60% से अधिक प्रीटर्म बर्थ होते हैं, लेकिन प्रीटर्म बर्थ वास्तव में एक वैश्विक समस्या है। कम आय वाले देशों में औसतन 12 प्रतिशत जबकि अधिक आय वाले देशों में 9 फीसदी शिशुओं का जन्म समय से पहले हो जाता है। कम आय वाले देशों के लिए यह एक गंभीर समस्या है।
Prematurity is the leading cause of death worldwide for children below 5 years of age.
— World Health Organization (WHO) (@WHO) November 17, 2019
Three-quarters of these deaths could be prevented with the right care during pregnancy and during and after birth https://t.co/LkiuVoiI1R#BornTooSoon pic.twitter.com/gto7sZTRaY
टॉप-10 देश, जहां प्रीटर्म बर्थ के मामले सबसे ज्यादा हैं (WHO की रिपोर्ट) :
- भारत: 3 519 100
- चीन: 1 172 300
- नाइजीरिया: 773 600
- पाकिस्तान: 100 100 100
- इंडोनेशिया: 675 700
- संयुक्त राज्य अमेरिका: 517 400
- बांग्लादेश: 424 100
- फिलीपींस: 348 900
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य: 341 400
- ब्राजील: 279 300
प्रीटर्म बर्थ के बाद शिशु की कैसे रखें देखभाल
- शिशु को समय-समय पर स्तनपान जरूर कराएं, क्योंकि प्रीटर्म बर्थ शिशुओं को भूख ज्यादा लगती है।
- उन्हें गोद में लेते समय ठीक तरह से पकड़ें, प्रीमच्योर शिशु नाजुक होते हैं।
- शिशुओं को गुनगुने पानी से नहलाएं। हालांकि, सिर को सामान्य तापमान के पानी से धोएं।
- जब शिशु ढाई किलो तक का हो जाए तो उसे स्पंज से नहला सकती हैं।
- शिशु जब 1 महीने का हो जाए तभी उसे कोई लोशन या ऑयल लगाएं।
- शिशु को टच करते समय हाथों को साफ-सुथरा रखें, उसे चूमने से बचें, हो सके तो होठों को बिल्कुल भी न चूमें।