
हर दिन का अपना एक महत्व होता है, और जब बात हो विश्व के विकास के महत्वपूर्ण दिन की फिर तो कहना ही क्या। जी हां विश्व मलेरिया दिवस एक ऐसा ही दिन है, जिसे सम्पूर्ण विश्व में हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना था, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं। इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाने से बहुत सी जानें बचाई जा सकती हैं। आइए मलेरिया दिवस से संबंधित कुछ और रोचक बातों को जानते हैं।
'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अगर सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा हो सकती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हजारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है।

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विश्व मलेरिया दिवस से संबंधित रोचक बातें
- विश्व की स्वास्थ्य समस्याओं में मलेरिया अभी भी एक गंभीर चुनौती है। हालांकि पिछले दो दशकों में इस जानलेवा बीमारी के आंकड़ों में कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
- 25 अप्रैल विश्व मलेरिया दिवस ऐसा ही दिन है, जब मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए कारगार कदम उठाने के भरसक प्रयास और जनता को मलेरिया के प्रति जागरूक करने और इस रोग पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की पहल की गई थी।
- मलेरिया पूरे विश्व में महामारी का रूप धारण कर चुका है। खासकर विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का कारण बनकर सामने आया है।
- मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवां देते हैं। प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते है। ये मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैलाने का काम भी करते है।
- मच्छर मलेरिया के रोगाणु का केवल वाहक है। रोगाणु मच्छर के शरीर में एक परजीवी की तरह फैलता है और मच्छर के काटने पर उसकी लार के साथ मनुष्य के शरीर में पहुंचता है। रोगाणु केवल एक कोषीय होता है जिसे प्लास्मोडियम कहा जाता है। मलेरिया का संक्रमण होने और बीमारी फैलने में रोगाणु की किस्म के आधार पर 7 से 40 दिन तक लग सकते हैं।
- मलेरिया के शुरूआती दौर में सर्दी-जुकाम या पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं, इसके कुछ समय बाद सिर, शरीर और जोड़ों में दर्द, ठंड लग कर बुख़ार आना, नब्ज़ तेज़ हो जाना, उबकाई, उल्टी या पतले दस्त होना इत्यादि होने लगता है। लेकिन जब बुखार अचानक से बढ़ कर 3-4 घंटे रहता है और अचानक उतर जाता है इसे मलेरिया की सबसे खतरनाक स्थिति माना जाता है।
- यूनिसेफ के अनुसार अन्य देशों सहित अफ्रीका के कुछ देशों में मच्छर के कारण हो रही मौतों को रोकने के और अधिक उपाय करने होंगे। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों तक ज्यादा इसकी पहुंच बढ़ानी होगी, जहां मलेरिया एक बड़े खतरे का रूप ले चुका है।
- यूनिसेफ के अनुसार मलेरिया को आसानी से मात दी जा सकती हैं, बस जरूरत है विश्व को मलेरिया के खिलाफ एकजुट होने की। मलेरिया एक वैश्विक जन-स्वास्थ्य समस्या है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर साल मलेरिया के कारण विश्व में हो रही मौतों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
- गौरतलब है कि पिछले कई सालों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस दिन को अफ़्रीका मलेरिया दिवस के तौर पर मनाता था लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों में भी जागरूकता लाने के लिए इसे वैश्विक आयोजन का रूप दिया गया है।
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मलेरिया होने पर क्या करें?
- मलेरिया में तबियत बिगड़ने पर आप अपनी मर्जी से किसी भी प्रकार की पेनकिलर न लें।
- मलेरिया बुखार के गंभीर होने पर भी संतरे के जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन लगातार करते रहें।
- शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें।
- थोड़े समय के अंतराल के बाद माथे पर ठंडी पट्टियां रखते रहे।
- दवाईयों के सेवन के बाद भी तेज बुखार हो रहा है, तो कोई लापरवाही न बरतें नहीं तो आप किसी घातक बीमारी का भी शिकार हो सकते है।
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