World IVF Day: कई दंपत्तियों को प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के चलते कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सभी तरह के ट्रीटमेंट लेने के बाद जब व्यक्ति को संतान प्राप्ति नहीं होती है, तो ऐसे में डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह देते हैं। लेकिन, आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले भी महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतनी होती है। आईवीएफ में महिलाओं की ओवरी की स्टीम्यूलेट करके कई एग्स बनाए जाते हैं। इसके बाद इनमें से कई एग्स को फर्टिलाइज किया जाता है। अंत में आईवीफफ की सफलता के लिए कई फर्टाइल एग्स महिला की ओवरी में ट्रांसफर किए जाते हैं। इससे मल्टीपल प्रेग्नेंसी की संभावना काफी बढ़ जाती है। लेकिन, मल्टीपल प्रेग्नेंसी में महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर का भी जोखिम बढ़े की संभावना अधिक होती है।
हर साल 25 जुलाई को World IVF Day मनाया जाता है। अक्सर लोगों के मन में आईवीएफ से जुड़े सैकड़ों सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए OnlymyHealth एक कैंपेन चला रहा है। इस कैंपने के तहत आपको अलग-अलग सवालों के जवाब जानने को मिलेंगे। इस लेख में कौंशाबी के यशोदा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की कंसलटेंट इंफर्टिलिटी एंड आईवीएफ डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि IVF ट्रीटमेंट में Multiple Pregnany से कैसे High Blood Pressure का जोखिम बढ़ सकता है।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी और हाई ब्लड प्रेशर के बीच कनेक्शन
मल्टीपल प्रेगनेंसी में महिलाओं को शरीर के हार्मोन में तेजी से बदलाव होता है। गर्भ में पलने वाले बच्चों के विकास के लिए महिला को अतिरिक्त ब्लड की आवश्यकता होती है, ऐसे में उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना रहती है। आगे जानते हैं इनके दोनों स्थितियों के बीच में कनेक्शन के बारे में
ब्लड का बढ़ना
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास के लिए महिला के रक्त की मात्रा बढ़ जाती है। कई गर्भधारण में, यह वृद्धि और अधिक हो सकती है। ऐसे में एक्सट्रा ब्लड को पंप करने के लिए हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना रहती है। इसके साथ ही हृदय पर पड़ने वाला दबाव भी हाई ब्लड प्रेशर को ट्रिगर कर सकता है।
हार्मोनल बदलाव
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को हार्मोनल बदलाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे में जुड़वा या अधिक बच्चों की प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर का हार्मोनल बदलाव तेजी से बढ़ता है, जिससे एंडोथेलियल डिसफंक्शन होने की संभावना बढ़ सकती है। यह रक्त वाहिकाओं (नसों) की परत को प्रभावित करता है और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।
प्लेसेंटल प्रभाव
मल्टीपल प्रेग्नेंसी में, प्लेसेंटा से जुड़ी समस्या की संभावना बढ़ जाती है। प्रत्येक भ्रूण को अपने स्वयं के प्लेसेंटा की आवश्यकता होती है, और कई प्लेसेंटा या एक बड़े प्लेसेंटा की वजह से प्लेसेंटल फंक्शन पर प्रभाव पड़ सकता है। प्लेसेंटल फ़क्शन गड़बड़ी से चलते भ्रूण को रक्त प्रवाह और पोषक तत्व मिलने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ जाता है।
शरीर के अंगों पर दबाव पड़ना
आईवीएफ में मल्टीपल प्रेग्नेंसी के चलते किडनी के फिल्टर करने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे महिला के शरीर में फ्लूयड रिटेशन और हाई ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ जाती है।
आईवीएफ ट्रीटमेंट
आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान ओवरी को स्टीम्यूलेट करने के लिए दी जाने वाली मेडिसिन से ओवरी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS) हो सकता है। इसमें महिला को सूजन, फ्लूयड अनियंत्रण आदि समस्याएं हो सकती हैं, यह समस्याएं हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती हैं। साथ ही, इस ट्रीटमेंट में तनाव और स्ट्रेस भी हाई ब्लड प्रेशर को ट्रिगर कर सकता है।
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आईवीएप ट्रीटमेंट के दौरान महिला को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए। आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरु करने से कुछ माह पहले से ही महिला व पुरुष दोनों को अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने चाहिए। इसके साथ ही, मोटापा, डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी समस्या को नियंत्रित करने के बाद ही आईवीएफ कराना चाहिए।