हर साल 8 जून को विश्व मस्तिष्क ट्यूमर दिवस (World Brain Tumor Day 2021) के रूप में मनाया जाता है। वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे का उद्देश्य मस्तिष्क ट्यूमर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और समाज के सभी वर्गों के लोगों को इस तरह के कैंसर के बारे में शिक्षित करना है जो बहुत आम नहीं है। यह दिन उन लोगों के लिए भी है जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं और उन्हें बेहतर और अधिक प्रभावी तरीके से स्थिति से निपटने में मदद करते हैं। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की कोशिकाओं में होता है। ट्यूमर कैंसर रहित हो सकता है।
मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने पर जो गांठ बन जाती है उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है, इसलिए ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ब्रेन ट्यूमर किसी को भी हो सकता है। आज वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के मौके पर डा. सतनाम सिंह छाबड़ा (डायरेक्टर, न्यूरो एंड स्पाइन डिपार्टमेंट, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली) कई अनसुलझे सवालों के जवाब दिए।
क्या मस्तिष्क में गांठ ब्रेन ट्यूमर या कैंसर होने के संकेत हैं?
नही, ट्यूमर को आमतौर पर कैंसर से जोड़कर देखा जाता है, हालांकि हर ट्यूमर कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं होता, फिर भी यह बहुत घातक होता है। ब्रेन ट्यूमर बहुत ही खतरनाक बीमारी है, यह सिर्फ मस्तिष्क को ही प्रभावित नहीं करती, बल्कि इसका असर पूरे शरीर पर होता है, क्योंकि मस्तिष्क ही पूरे शरीर को संचालित करती है।
क्या सभी ब्रेन ट्यूमर एक समान होते हैं?
नहीं सभी ब्रेन ट्यूमर एक समान नहीं होते है। सामान्यत मस्तिष्क में किसी भी चीज में वृद्धि होना बहुत खतरनाक माना जाता है और यह बात ब्रेन ट्यूमर के मामले में भी लागू होती है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं, हालांकि इसे कैंसर के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्गों कैंसरजन्य और कैंसर रहित ट्यूमर में विभाजित किया जा सकता है। बीस से चालीस साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूमर होने की संभावना रहती है। कैंसर रहित ट्यूमर, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है।
क्या मस्तिष्क कोशिकाओं के असामान्य व्यवहार के कारण ब्रेन ट्यूमर होते हैं?
ब्रेन ट्यूमर और एक अवस्था के बाद कहें कि ब्रेन कैंसर, मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि के कारण होता है।
क्या सभी ब्रेन ट्यूमर के कारण और लक्षण एक ही तरह होते हैं?
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण साधारणत: सीधे उस से संबंधित होते हैं जहां दिमाग के अंदर ट्यूमर होता है। ट्यूमर का आकार बढने के परिणास्वरूप मस्तिष्क पर बहुत दबाव पड़ता है। इस कारण सिरदर्द, उल्टी आना, जी मचलना, दृष्टि संबंधी समस्याएं या चलने में समस्या, बोलते समय समस्या होना यदि लक्षण हो सकते है। कभी-कभी ट्यूमर की वजह से सिर में पानी इकट्ठा होने लगता है जिसको चिकित्सकीय भाषा में हाइड्रोसिफेलस कहते हैं। यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है।
प्राय: ब्रेन ट्यूमर का निदान करना थोड़ा मुश्किल होता है क्यों कि इस में पाए जाने वाले लक्षण किसी अन्य समस्या के भी संकेत हो सकते हैं। बोलते समय अटकना, दवाइयों, नशीले पदार्थो या शराब का सेवन करने के कारण भी हो सकता है। जब यह लक्षण बहुत तीव्रता के साथ उत्पन्न होने लगते हैं तो यह ब्रेन ट्यूमर का कारण हो सकते हैं। ब्रेन ट्यूमर के अन्य लक्षण 1. सिरदर्द 2. मानसिक व व्यक्तित्व बदलाव 3. मास इफेक्ट 4. फोकल लक्षण।
क्या सभी ब्रेन ट्यूमर एक जैसे होते हैं और इन्हें ब्रेन सर्जरी की आवश्यकता होती है?
ब्रेन ट्यूमर के लिए सर्जरी प्रायः जरूरी होती है। ट्यूमर आखिरी स्टेज में न हो तो सर्जरी की आधुनिक विधियों ने इसके इलाज को काफी आसान बना दिया है। माइक्रोसर्जरी, इमेज गाइडेड सर्जरी, एंडोस्कोपिक सर्जरी, इंटराऑपरेटिव मॉनिटरिंग आदि उपाय आजमाए जाते हैं। हालांकि सर्जरी को पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हैं।
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क्या मोबाइल फोन के साथ सोने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है?
रिपोर्ट के मुताबिक 10 वर्ष से भी ज्यादा समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है।
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क्या एक बार इलाज होने के बाद ब्रेन ट्यूमर दोबारा नहीं होता?
ब्रेन ट्यूमर के प्रकार, स्थान और आकार पर अधारित विभिन्न प्रकार के इलाज करने के तरीकों का चुनाव किया जाता है। यदि ऑपरेशन सुरक्षित है तो ऐसे में ट्यूमर को हर संभव तरीके से दूर करने के लिए ऑपरेशन को उपचार की पहली विधि के रूप में अपनाया जाता है यह सर्जरी इंडोस्कोपिक से की जाती है अन्यथा स्टीरिओटेक्सी से बायोप्सी की जाती है।
यदि ट्यूमर ऑपरेशन योग्य है तो चिकित्सक इससर्जरी के लाभ और जोखिम को निर्धारित करते हैं और सर्जरी के बाद यदि कोई ट्यूमर बच जाता है तो उसे रेडियेशन या किमोथैरेपी से ठीक किया जाता है। अक्सर ट्यूमरों को पोस्ट-ऑपरेटिव ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती, परंतु कई बार ट्यूमरों को पोस्ट-ऑपरेटिव की जरूरत पड़ती है।
Inputs: डा. सतनाम सिंह छाबड़ा (डायरेक्टर, न्यूरो एंड स्पाइन डिपार्टमेंट, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली)
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