
बात जब फ्लू की आती है, तो यही माना जाता है कि पुरुषों को यह बीमारी अधिक सताती है। लेकिन, एक हालिया शोध में यह बात सामने आती है कि महिलाओं को इस बीमारी के लक्षणों से जूझने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। और महिलाओं को यह तकलीफ अधिक परेशान करती है।
महिलाओं को फ्लू पुरुषों के मुकाबले 20 फीसदी अधिक परेशान करता है। और इतना ही नहीं, उनमें पुरुषों की अपेक्षा इसके लक्षण भी अधिक तकलीफदेह होते हैं। सर्दी लगने के बाद शाम तक 16 फीसदी पुरुषों को ही इसके लक्षण रहते हैं, लेकिन महिलाओं में यह तादाद 21 फीसदी होती है।
इस नए शोध में यह बात भी सामने आयी है कि महिलायें अपनी बीमारी के बारे में ज्यादा शिकायत करती हैं। लेकिन, इनमें से महज 25 फीसदी ने इस बात को स्वीकार किया कि वे दूसरों से दया अथवा करूणा हासिल करने के लिए ऐसा करती हैं।
इसके उलट 13 फीसदी पुरुषों ने माना कि इस हालत में लोगों से अधिक देखभाल किए जाने की मांग करते हैं, वहीं 14 प्रतिशत पुरुषों का मानना था कि वे चाहते हैं कि सर्दी लगने की सूरत में लोग उन्हें हंसाये। उनका मानना है कि हंसने से उनकी बीमारी जल्दी ठीक होती है।
महिलाओं में सर्दी लगने का सबसे सामान्य लक्षण नाक बहना है वहीं पुरुषों में गले में सूजन अथवा घाव होना ही इस बीमारी का सबसे पहले लक्षण के तौर पर नजर आता है।
बीचम द्वारा किए गए इस शोध में यह बात भी सामने आयी है कि महिलायें पुरुषों की अपेक्षा अपनी बीमारी को काम से जी चुराने के तौर पर इस्तेमाल करती हैं।
बीचएम की मोना शेख का कहना है कि सबने मैन फ्लू के बारे में सुना होगा। लेकिन, हमारे नतीजे 'वू-मैन' फ्लू के बारे में एक नयी तस्वीर पेश करते हैं। ये लक्षण अधिक बुरे और ज्यादा लंबे समय तक रहने वाले होते हैं ।
शेख का कहना है कि सर्दी हर स्तर पर लोगों को अलग तरह से परेशान करती है। तो, इस शोध के जरिये हमनें यह समझने की कोशिश की है कि आखिर ठंड कैसे लोगों और उनके जीवन पर असर डालती है और लोग कैसे उसका सामना करते हैं।
शेख बताती हैं कि एक औसतन व्यक्ति को साल में दो से चार बार सर्दी लगती है और हमें इस बात का पता है कि ऐसा होने पर किसी व्यक्ति को किस तरह की मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति सर्दी के कारण अपना हक नहीं छोड़ सकता जब तक कि आप झूठ न बोल रहे हों।
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