जर्नल मीनोपॉज में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, वे महिलाएं, जिनके मासिक धर्म की शुरुआत कम उम्र में हो जाती है उनमें टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज किसी व्यक्ति की डाइट और जीवनशैली के साथ जुड़ा हुआ है। इस नए अध्ययन में पाया गया है कि वे महिलाएं, जो कम उम्र में मासिक धर्म का अनुभव करती हैं उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। इसमें ये भी कहा गया कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) इस संबंध में बीच का काम करता है।
अध्ययन का ये निष्कर्ष जर्नल मीनोपॉज में प्रकाशित हुआ है।
टाइप 2 डायबिटीज दुनियाभर में एक सबसे आम बीमारी बन गई है क्योंकि 2015 में वैश्विक रूप से 20 से 79 साल की उम्र के करीब 8.8 फीसदी लोग इससे प्रभावित हुए थे।
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चीन में किए गए इस अध्ययन में लगभग 15,000 वे पोस्टमीनोपॉजल महिलाएं शामिल हुई, जिन्हें कम उम्र में ही मासिक धर्म की शुरुआत हो गई थी और उनमें टाइप-2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा ज्यादा था।
अध्ययन के मुताबिक, अगर बात करें इसके दूसरे पहलू की तो, हर साल रजोदर्शन उम्र में देरी टाइप 2 डायबिटीज का 6 फीसदी खतरा कम कर देती है।
बढ़ते खतरे के संदर्भ में पुख्ता सबूत देने के लिए इस अध्ययन में यह भी कहा गया कि बीएमआई आंशिक रूप से इस संबंध को 28 फीसदी तक प्रभावित कर सकता है।
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नॉर्थ अमेरिकन मीनोपॉज सोसायटी मेडिकल डायरेक्टर की डॉक्टर स्टेफनी फौबियोन ने कहा, ''यह अध्ययन इस बात का संकेत देता है कि रजोदर्शन की औसत उम्र में देरी टाइप 2 डायबिटीज के कम खतरे से जुड़ी हुई है।''
उन्होंने कहा, ''14 साल से कम उम्र में मासिक धर्म की शुरुआत अधिक उम्र में डायबिटीज के साथ जुड़ा हुआ है, जिसके पीछे व्यस्कों का बीएमआई भी एक कारक हो सकता है।'' डॉक्टर ने कहा कि इसके अलावा बचपन में न्यूट्रिशन और बीएमआई जैसे अन्य कारक भी इस संबंध में एक अहम भूमिका निभाते हैं।
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