थायराइड एक ऐसी समस्या है जिसकी चपेट में न सिर्फ भारतीय बल्कि दुनियाभर के कई लोग ये बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखी जाती है। थायरायड ग्रंथि गले में सांस नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। ये ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इसकी वजह से शरीर में कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। जब थायराइड ग्रंथि ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगती है तो इसे हाइपरथायराडिज्म कहते हैं जबकि हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी होती है। महिलाओं में कुछ सामान्य लक्षणों के द्वारा इस बीमारी को पहचाना जा सकता है। अगर सही समय से इस बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज अच्छी तरह किया जा सकता है।
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थायरॉयड के प्रकार
थायरोक्सिन हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) की कमी से बच्चों में बौनापन और वयस्कों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं। और अतिरिक्त (हायपरथायरोडिज्म) हार्मोन गण्डमाला का कारण बनता हैं। थायरोक्सिन की निष्क्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो सकता हैं, आयोडीन की कमी या थायराइड विफलता के कारण थकान, सुस्ती और हार्मोनल असंतुलन होता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये, तो यह मायक्झोएडेमा का कारण बन सकती हैं, जिसमें त्वचा और ऊतकों में सूजन होती हैं। आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली अश्वगंधा, जड़ी बूटी इस रोग के दोनों रुपों, हायपर और हायपोथायरॉयड के लिए जवाब साबित हो सकती हैं।
थायराइड के कारण
- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
- इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यायदा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
- कई बार दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफैक्टप) भी थायराइड की वजह होते हैं।
- थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
- भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है।
- सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण्ा।
- जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
- यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
थायराइड और अश्वगंधा
अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधि है, जो अपने शक्तिवर्धक गुणों के लिए जानी जाती है। आप चाहे तो इसकी पत्तियों को पीस कर या जड़ों को उबाल कर उपयोग में ला सकते हैं। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए 200 से 1200 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण को चाय के साथ मिला कर लें। चाहें तो इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग भी कर सकते हैं। हायपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा के साथ भी इलाज किया जाता हैं। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। साथ ही यह शरीर के अंदर का हार्मोन इंबैलेंस भी संतुलित कर देता है। यह टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन हार्मोन को भी बढाता है।
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थायराइड कैंसर को रोकने के उपाय
यदि आपकी गर्दन के आस-पास रेडियोथेरेपी हुई है, विशेष रूप से जब आप बच्चे थे। तो थायराइड कैंसर को लेकर अपने डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहें। ऐसे लोग, जिनके परिवार में थायरायड कैंसर का इतिहास है उन्हें भी डॉक्टर से इस संदर्भ में जांच करवाते रहना चाहिए। अपने डॉक्टर की सलाह मानें और इस बीमारी से बचे रहें।
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