
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि जब आप अपने बच्चे को गोद में लेते हैं, तो उसे अपने बाएं कंधे पर लिटाकर ज्यादा सहज महसूस करते हैं ! तो ऐसा यूं ही नहीं होता। हाल ही में एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि दो-तिहाई शिशु अपने मां-बाप के बा
73% महिलाएं और 64% पुरुष बच्चों को जब भी गोद में लेते हैं, तो उन्हें अपने बाएं कंधे पर ही रखते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहें बल्कि एक शोध से पता चला है। हाल ही में 'न्यूरोसाइंस और बायोबेवियरल जर्नल' में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें तो अधिकांश शिशुओं को उनके मां-बाप अपने बाएं कंधे पर ही सुला कर रखते हैं। ऐसा इसलिए नहीं करते वो ताकि उनका दांया हांथ फ्री रहे बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि उनका ब्रेन उन्हें ऐसा करने के लिए संकेत देता है। जी हां, साइंस की मानें तो हमारे ब्रेन का लेफ्ट हिमिस्फियर हमारे इमोश्नल रिक्शन्स को डायरेक्ट करता है।
क्या कहता है शोध ?
दरअसल 1960 से जर्मनी के कुछ शोधकर्ता इस रोचक विषय पर शोध कर रहे हैं कि क्यों दुनिया के अधिकांश लोग राइटी होकर भी कुछ काम को लेफ्ट हेंड से ही करते हैं। यह बिलकुल ऐसा ही है जैसे अधिकतर लोग स्वाभाविक रूप से दाएं यानी राइट हेंड वाले व्यक्ति होते हैं पर बच्चे को कोद में लेकर वह उन्हें लेफ्त कंधे पर ही रखते हैं। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस तरह के 40 अलग-अलग केस की स्टडी की । इस दौरान उन्हें पता चला कि 72% लोग अपने बाएं कंधे पर ही बच्चों को रखते हैं जबकि, वह स्वाभाविक रूप से दाएं हाथ के व्यक्ति हैं। फिर शोधकर्ताओं ने इन लोगों के कामों को, उनके ब्रेन के विभिन्न हिस्सों से जोड़कर देखा। उन्हें मालूम हुआ कि इन लोगों द्वारा किए जाने वाले सारे भावनात्मक कार्य, ब्रेन के लेफ्ट हिमिस्फियर द्वारा संचालित होते हैं। चूंकि भावनाओं को मुख्य रूप से मस्तिष्क के दाहिने गोलार्ध यानी कि लेफ्ट हिमिस्फियर द्वारा डायरेक्ट किया जाता है, इसलिए लोग अपने बच्चे को अपने शरीर के बाएं हिस्सों में ही रखते हैं। यह खासकर उन माओं के साथ ज्यादा होता है, जो गर्भावस्था के दौरान अपने बच्चे के साथ एक मजबूत भावनात्मक संबंध बना लेती हैं।
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पुरुषों में ऐसा क्यों होता है?
वहीं इसी विषय पर 1996 में एक और अध्ययन किया गया, जिसमें सिर्फ पुरुषों पर शोध हुआ कि पुरुष भी अपने बच्चे को अपने बाएं कंधे पर ही क्यों रखते हैं। शोध में पता चला कि ज्यादातर पुरुष शरीर के लेफ्ट साइड का इस्तेमाल तब करते हैं, जब वह थोड़े असहज हो जाते हैं या डरते हैं। ऐसे में वह बच्चे को बड़ी सहजता से गले नहीं लगा पाते क्योंकि उनके अंदर शिशु के प्रति बड़ी संवेदनशीलता होती है। जैसे कि उसे कोई नुकसान न हो, गोद में ही सो गया है तो बच्चा जग न जाए इत्यादि। इसके अलावा यह एक ह्यूमन साइकोलॉजी भी है कि जो चीज हमें प्यारी होती है, वह हमारे दिल के ज्यादा करीब होती है। और हमारा दिल शरीर के लेफ्ट भाग में होता है, इसलिए मां-बाप अपने बच्चे को लेफ्ट साइड यानी कि बाएं कंधे पर चिपका कर रखते हैं।
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इसके अलावा बच्चे को बाएं हाथ में ही रखने के और भी कारण होते हैं जैसे-
- माँ का भावनात्मक मस्तिष्क बच्चे के लेफ्ट हिमिस्फियर में मां की प्रारंभिक बातों और भावनाओं को निर्देशित करता है, जो बच्चे में प्रारंभिक भाषा के विकास का कारण होता है।
- अन्य अध्ययनों की मानें तो हर बच्चे को मां की धड़कन और अहसास पता होता है, इसलिए वह भी दिल की धड़कन के करीब यानी कि बांए कंधे पर ही सहजता से रहता है।
- बाएं ओर बच्चे को रखने से बच्चा शांत हो जाता है और कंधे पर ही सो जाता है।
- मां के मस्तिष्क के दाईं ओर की प्रतिक्रिया बच्चे के बाएं तरफ के ब्रेन को समझ आता है, जो आमतौर पर नाजुक स्पर्श की भाषा होती है।
- हम सभी में ब्रेन का लेफ्ट हिमिस्फियर भाषा और भावनात्मक संकेतों की व्याख्या करने व समझने के लिए जिम्मेदार होता है, इसलिए बच्चे के भीतर यह ब्रेन ज्यादा काम करता है।
Source :https://www.eurekalert.org and Neuroscience and Biobehavioral Review(https://www.journals.elsevier.com/neuroscience-and-biobehavioral-reviews)
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