भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आता है जहां धूप की बिल्कुल कमी नहीं होती है। मतलब विटमान डी की बिल्कुल कमी नहीं होती। ऐसे में अगर ये सुनने को मिले की भारत में हर 10 में से 8 लोग विटामिन डी की कमी के शिकार हैं तो फिर तो ये अचंभित होने वाली बात है। इसलिए इसे अब महामारी घोषित कर दिया गया है।
आज डॉक्टरों के पास ऐसे मरीज इतने अधिक आ रहे हैं जिनकी हड्डियां मक्खन की तरह हैं और थोड़ा सा भी दबाव पड़ते ही पिचक जाती हैं या हड्डियों में निशान बन जाते हैं। थोड़ी सी भी असावधानी से या गिरते ही हड्डियों के टूटने का डर होता है। लोगों की हड्डियां इतनी भुरभुरी हैं कि आगे झुकने मात्र से रीढ़ की हड्डी के चटकने की आवाज आती है। ऐसे कई मरीज हैं जिनके खून में विटामिन डी की इतनी ज्यादा कमी हो चुकी है और उनकी हड्डियों का इतना जबरदस्त क्षय हो चुका है कि ये देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं।
विटामिन डी की कमी बनी सुर्खियां
देश में आज विटामिन डी की कमी इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब ये अखबारों की सुर्खियां बनने लगी हैं। जबकि पांच साल पहले तक भारत में विटामिन डी की कमी होना असंभव माना जाता था। केवल दिल्ली के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 80 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं।
विटामिन डी की कमी को देखते हुए हाल ही में कुछ अध्ययन किए गए हैं जिनमें ये बात निकल कर आई है कि तकरीबन 65-70 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन डी की कमी है और इनके अलावा अन्य 15 फीसदी भारतीयों में विटामिन डी मात्रा अपर्याप्त है। इसके साथ ही ये चेतावनी भी दी गई है कि अगर जल्द ही विटामिन डी का उचित प्रबंध नहीं किया गया तो रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियोवैस्क्यूलर डिजीज, डायबिटीज, कैंसर एवं संक्रमणों जैसी बीमारियां भारत में तेजी से फैल जाएंगी।
भारतीय अस्थि एवं खनिज शोध सोसाइटी (आईएसबीएमआर) ने 11-15 वर्ष के आयु वर्ग के भारतीय बच्चों पर दो मुख्य अध्ययन किए। जिसकी रिपोर्ट को ‘ऑस्टियोपोरोसिस इंटरनेशनल ऐंड ब्रिटिश जर्नल ऑफ डमेर्टोलॉजी’में प्रकाशित किया गया था। बच्चों में काफी मात्रा में विटामिन डी की कमी पाई गई है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा इसे महामारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की परिभाषा के अनुसार उम्मीद से अधिक लोगों को कोई एक बीमारी होना महामारी का रूप ले लेता है। ऐसे में देखें तो आज विटामिन डी की कमी चारों तरफ फैल चुकी है। लेकिन फिर भी विटामिन डी की कमी के खतरे को बड़े पैमाने पर न तो लोग कबूल करते हैं और न ही भारत सरकार।
पिछले 10 साल में कम से कम 50 अध्ययनों से दिल्ली में 91 फीसदी से लेकर मुंबई में 87 फीसदी तक, तिरुपति में 82 फीसदी से लखनऊ में 78 फीसदी तक, भारत भर में 80 फीसदी की औसत से विटामिन डी की जबरदस्त कमी है।
ऐसा क्यों-
सबसे बड़ा सवाल है कि भारत में कैसे बन गई विटामिन डी की कमी महामारी?
- 80 % शहरी भारतीय जूझ रहे विटामिन डी की कमी से
- 50 % लोगों में कोई प्रकट लक्षण नहीं दिखता, लेकिन विटामिन डी की कमी जांच में आती है
- 90 % दिल्ली के स्कूल के बच्चों में अक्सर विटामिन डी की कमी देखा जाता है।
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कैसे महामारी बन गई विटामिन डी की समस्याः
- धूप में ना निकलना- लोग काले होने और गर्मी के कारण धूप में निकलने से करते हैं परहेज।
- लंबे समय तक बैठना- लंबे समय तक एक स्थान पर बैठकर काम करने से विटामिन डी का स्तर 8% तक कम हो जाता है।
- सांवला रंग- यूरोपीय लोगों की तुलना में भारतीयों को अपने सांवले रंग के कारण उतना ही विटामिन डी लेने के लिए दस गुना ज्यादा समय धूप में रहना पड़ता है।
- शरीर का वजन- मोटापे के कारण विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है, यानी शहरों खासकर दिल्ली जैसे मेट्रो में इसीलिए लोगों में विटामिन डी की कमी बढ़ रही है क्योंकि उनमें मोटापा काफी तेजी से बढ़ा है।
- धूप में कम समय बिताना- खासकर शहरों में लोग आजकल अपना ज्यादातर समय घरों, ऑफिसों में बिताते हैं यानी कि लोग धूप मे कम निकलते हैं। जबकि एक पीढ़ी पहले तक ये स्थिति नहीं थी।
- सॉफ्ट ड्रिंक- सॉफ्ट ड्रिंक पीना भी सेहत के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है। सॉफ्ट ड्रिंक शरीर में कैल्शियम के स्तर को कम कर देता है जिसकी भरपाई करने के लिए शरीर को दोगुने स्तर पर विटामिन डी चाहिए होती है और जिसके ना मिलने पर विटामिन डी की कमी होती है।
- शाकाहार- धूप के अलावा विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत मछली है। जबकि शाकाहारी होने के कारण लोग ये नहीं खा पाते।
इन सब कारणों की वजह से ही पिछले पांच सालों में विटामिन डी की कमी ने भारत में महामारी का रूप ले लिया है।
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विटामिन डी की कमी से कैसे निपटें:
- विटामिन डी पाना बहुत ही आसान है। कम से कम भारत जैसे देश में जहां धूप पर्याप्त मात्रा में मिलती है वहां तो विटामिन डी आसानी से पाया जा सकता है। इसके लिए गर्मी और ठंड के मौसम में 30 दिनों तक हर दिन 30 मिनट तक सूर्य की रोशनी के सीधे संपर्क रहें। इससे विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी।
- खाने में ज्यादा से ज्यादा दूध के उत्पाद शामिल करें।
- जितना संभव हो सके सॉफ्ट ड्रिंक व स्मोकिंग से दूर रहें।
- मछली-अंडे खा सकते हैं तो खाएं। ये विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं।
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