
हमारी शरीर में कई ऐसे अंग हैं, जो उम्र के साथ-साथ कमजोर या फीके पड़ने लगते हैं। अगर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहा जाए तो हम इन अंगों को सुरक्षित रखकर इनकी कार्यक्षमता और इनकी स्थिरता बरकरार रखी जा सकती है। ऐसे ही रीढ़ की हड्डी जिसे शरीर का सपोर्टिव अंग (Supportive Part) माना जाता है। यदि उम्र के साथ-साथ इसपर ध्यान नहीं दिया जाए तो आपकी रीढ़ की हड्डी प्रभावित हो सकती है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों को भलिभांति यह पता होगा कि स्पाइन हमारी शरीर का कितना अहम हिस्सा है और इसका स्वस्थ रहना कितना जरूरी है। आजकल की दूषित जीवनशैली में कम उम्र के लोगों में भी हड्डियों की समस्या देखी जाती है। कम उम्र के लोगों को भी आजकल ओस्टोपोरोसिस (Osteoporosis) और स्पॉंडिलाइटिस (Spondylitis) की समस्याएं होने लगी हैं। इन समस्याओं का कोई मुख्य कारण नहीं है बल्कि अपनी जीवनशैली में रीढ़ की हड्डी के प्रति बरती जाने वाली लापरवाहियों के कारण यह समस्याएं होती हैं। इस लेख के माध्यम से आज मुंबई के पीडी हिंडूजा हॉस्पिटल और एमआरसी के आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर आशीष जैन आपको बताएंगे कि बढ़ती उम्र में स्पाइन की देखभाल कैसे करें।
क्यों होनी चाहिए हेल्दी स्पाइन (Why Spine Should be Healthy)
हमारा पूरा शरीर रीढ़ की हड्डी के ही सहारे टिका होता है। इसलिए रीढ़ की हड्डी में आया कोई विकार या असंतुलन (Imbalanced) आपके पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है। बुढ़ापे को तो हम नहीं रोक सकते, लेकिन अपनी सेहत का ख्याल रखकर बुढ़ापे को सेहतमंद और उर्जावान तो बना सकते हैं। डॉ. आशीष के मुताबिक रीढ़ की हड्डी का ख्याल रखने के लिए हमें बुढ़ापे की राह देखने की बजाय कम उम्र से ही अपनी शारीरिक गतिविधियों (Physical Activities) में परिवर्तन लाना चाहिए। जो लोग शुरू से ही स्पाइन के प्रति लापरवाही करते हैं, उनमें इन दो बीमारियां लगने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
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1. ओस्टोपोरोसिस (Osteoporosis)
डॉ. आशीष के अनुसार शरीर में कैल्शियम और बोन डेन्सिटी की कमी के कारण शरीर में ओस्टोपोरोसिस (Osteoporosis) नामक बीमारी हो जाती है। युवाओं में यह समस्या आजकल तेजी से पैर पसार रही है। सीधे शब्दों में इसे समझें तो इस समस्या में आपकी हड्डियों में कमजोरी आ जाती है। जिससे उनके टूटने के संभावनाएं अधिक रहती हैं। आंकड़ों की मानें तो भारत में ओस्टोपोरोसिस से पीड़ित लोगों की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है। यह समस्या खासतौर पर शारीरिक श्रम के अभाव के कारण होती है।
2. स्पॉन्डिलाइटिस (Spondyloitis)
रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित करने वाली दूसरी समस्या स्पॉन्डिलाइटिस है। इस समस्या ने भी अमूमन युवाओं को अपनी गिरफ्त में लिया है। इस समस्या में आपकी शरीर के कुछ अंगों जैसे गरदन, कमर, हाथ आदि में जकड़न बन जाती है। नसों में दबावट आने के कारण इसमें काफी दर्द होता है। यह समस्या खासतौर पर गलत पोश्चर में उठने बैठने के कारण होती है। हड्डियों के बीच घिसावट आ जाने के कारण भी यह समस्या हो सकती है। हालांकि खान-पान और जीवनशैली में सुधार कर हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी को हेल्दी कैसे रखें (How To Keep Spine Healthy)
1. पोषक तत्वों से भरपूर डायट (Nutrient Diet)
डॉ. आशीष के मुताबिक रीढ़ की हड्डी को बेहतर रखने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेना आपके लिए बहुत अच्छा विकल्प है। ध्यान रहे कि आपकी डाइट में विटामिन (Vitamin) और प्रोटीन (Protein) का प्रचुरता रहनी चाहिए और पूरे दिन के बीच आपको 1000 से 1500 मिलिग्राम विटामिन लेना है। इससे आपकी बोन डेंसिटी (Bone Density) बरकरार रहेगी और हड्डियों में कैल्शियम की कमी नहीं होगी। वहीं शरीर को एक्टिव रखने के लिए एंटीऑक्सीडेन्ट्स (Antioxidants) और फाइबर (Fibre) को भी डाइट में शामिल करें। वहीं विटामिन डी आपके कैल्शियम को अवशोषित करता है और हड्डियों का संतुलन बनाए रखता है, इसलिए अपनी डाइट में विटामिन डी की मात्रा भी शामिल करें।
2. हाई इंपैक्ट एक्सरसाइज (High Impact Exercise)
रीढ़ की हड्डी को लचीला (Spine Flexibility) और स्वस्थ बनाने के लिए आपको 20 से 30 वर्ष की उम्र में ही खुद को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना होगा। जिससे बढ़ती उम्र में आपकी रीढ़ की हड्डी में झुकाव न आए। इसके लिए आपको हाई इंपैक्ट एक्सरसाइज का सहारा लेना होगा। यह वह एक्सरसाइज होती है, जिसमें आपकी हड्डियों पर जोड़ पड़ता है। जैसे रनिंग, स्किपिंग, वेट उठाना, जिम में की गई कसरत, साइकिलिंग आदि जैसे व्यायाम आपकी रीढ़ की हड्डी पर सीधा प्रभाव डालते हैं, जिससे हड्डियों में तनाव होने के साथ लचीलापन भी होता है। इस तरह के व्यायामों से आपकी मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
3. धूम्रपान से बचें (Do not Smoke)
जिस प्रकार 90 प्रतिशत तक कैंसर का कारण धूम्रपान को माना जाता है। उसी प्रकार धूम्रपान आपकी रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करता है। सिगरेट पीन से आपके मस्क्युलोस्केलेटन प्रणाली प्रभावित होती है, जिससे रीढ़ की हड्डी के भी क्षति होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसमें पाई जाने वाली निकोटीन की मात्रा आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ स्पाइन और बोन डेंसिटी को भी बुरी तरह से प्रभावित कर देती है। अगर आपकी स्पाइन में समस्या या फिर स्लिप डिस्क है तो भूलकर भी इसका सेवन न करें।
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4. भारी सामान न उठाएं (Do not Lift Heavy Weight)
रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि अचानक से कोई भारी सामान न उठाएं। बिना आदत के कुछ भारी उठाने से आपको स्लिप डिस्क और स्पॉंडिलाइटिस की समस्या हो सकती है। साथ ही आपकी रीढ़ की हड्डी के साथ कमर और गरदन के आसपास के हिस्सों में सूजन आ सकती है। यदि आप पहले से ही रीढ़ की हड्डी या बोन डेंसिटी की कमी जैसी किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो ऐसे व्यायाम न करें जिनमें आपको झुकना पड़े। झुकने से आपकी रीढ़ की हड्डी का लचीलापन और झुकने की क्षमता और भी कम हो जाती है।
5. फीजियोथेरेपी का सहारा लें (Physiotherapy)
अमूमन लोग रीढ़ की हड्डियों के विकारों में फीजियोथेरेपी और वैकल्पिक चिकित्सा का ज्यादा महत्व देने की बजाय दवाइयां खाना पसंद करते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि स्पाइन को हेल्दी रखने के लिए फीजियोथेरेपी एक अच्छा विकल्प है। फीजियोथेरेपी में आपको ऐसे व्यायाम सिखाए जाते हैं, जिसमें आपकी पूरी शरीर स्ट्रैच होती है और आपकी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है।
6. पोश्चर में सुधार (Improve Posture)
डॉ. आशीष के मुताबिक रीढ़ के स्वास्थ्य और उसके संतुलन को बनाए रखने के लिए सही पोश्चर में उठना बैठना बेहद जरूरी है। इससे न केवल आपकी रीढ़ की हड्डी का संतुलन बनेगा बल्कि आप स्पॉडिलाइटिस जैसे बीमारी से भी बचे रहेंगे। यह समस्या आमतौर पर वेट लिफ्टर्स, स्पोर्ट्स मैन, जिम में भारी एक्सर्साइज करने वालों में देखी जाती है। रीढ़ की हड्डी में लगे छोटे-छोटे वक्र ही उसे पूर्ण बनाने में मदद करते हैं। रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने के लिए चलते फिरते, उठते बैठते, काम करते समय यहां तक की लेटते और सोते समय भी आपको अपने पोश्चर का ख्याल रखना है।
स्पाइन हमारे शरीर का बेहद अहम हिस्सा है, जिसका संतुलित और स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। स्पाइन को हेल्दी रखने के लिए आप इस लेख में डॉक्टर द्वारा दिए गए सुझावों को अपना सकते हैं।
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