विटामिन डी की मदद से शरीर में कैल्शियम का निर्माण होता है और कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है। इसके अभाव में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं, साथ ही इसके अभाव से हड्डियों की नरमाई बढ़ जाती है। विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन डी का स्तर अधिक होने पर शरीर के विभिन्न अंगों- जैसे गुर्दों, हृदय, रक्त वाहिकाओं और अन्य स्थानों में पथरी हो सकती है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के स्तर को भी नियंत्रित करता है। अक्सर लोग यह समझते हैं कि विटामिन डी सिर्फ व्यस्क लोगों को लेना चाहिए जबकि यह बच्चों के लिए भी जरूरी होता है। अक्सर लोग बच्चों के विकास में विटामिन डी महत्ता को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विटामिन डी कमी बच्चे के लिए जानलेवा हो सकती है। आज हम आपको बता रहे हैं कि शरीर के लिए विटामिन डी क्यों जरूरी है।
विटामिन डी के स्रोत
विटामिन डी अंडे के पीले भाग, मछली के तेल, मक्खन, दूध और धूप सेंकने से प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए जरूरी है कि प्रतिदिन सुबह-सुबह धूप सेंकी जाए। इतना ही नहीं विटामिन डी से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी शरीर की भीतरी कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
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बच्चों के लिए क्यों जरूरी है विटामिन डी
बच्चों के शरीर के लिए जरूरी विटामिन में से एक है विटामिन डी। कुछ लोग इस 'वंडर विटामिन' भी कहते हैं। विटामिन डी बच्चों के स्वास्थ्य और उनके विकास के लिए जरूरी है। जानें क्यों जरूरी है विटामिन डी-
- बच्चों के मजबूत दांत और हड्डियों के लिए रक्त में कैल्शियम और पौटेशियम की जरूरत होती है।
- शरीर में मिनरल के संतुलन और ब्लड क्लॉटिंग को रोकने के लिए जरूरी है।
- हृदय व नर्व सिस्टम को ठीक रखने में
- शरीर में इंसुलिन के स्तर को बनाने के लिए
बच्चों को इन बीमारियों से बचाता है विटामिन डी
- अपने जीवन के पहले वर्ष में बच्चा तेजी से बढ़ता है। इसी दौरान उसकी हड्डियों, रीढ़ की हड्डी और शारीरिक तंत्रों का निर्माण होता है। विटामिन डी की कमी होने से हडिड्यों की कार्यक्षमता और मजबूती पर असर पड़ता है। कुछ मामलों में यह समस्या रिकेट्स का रूप भी ले लेती है। इसमें मांसपेशियों में ऐंठन, स्कोलियोसिस और पैरों का आकार धनुष जैसा हो सकता है।
- रिकेट्स बच्चों में होने वाला हड्डियों का विकार होता है। इसमें हड्डियां नाजुक हो जाती हैं। इससे उनमें विकृति आ जाती है और फैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि विकसित देशों यह बीमारी काफी दुर्लभ है, लेकिन कई विकासशील देशों में यह सामान्य मानी जाती है। इस बीमारी की मुख्य वजह विटामिन डी की कमी होना है। इसके साथ ही आहार में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न लेना भी इसका एक कारण हो सकता है। इसके साथ ही नियमित उल्टी और डायरिया को भी रिकेट्स के लिए उत्तरदायी माना जा सकता है।

- इसके साथ ही बचपन में किडनी और लिवर की समस्यायें भी इसका कारण हो सकती हैं।विटामिन डी की कमी से बच्चों में अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही यदि गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी हो, तो होने वाले श्ािशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है।
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