उम्र बढ़ने पर आमतौर पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है। बुजुर्ग लोग कई बार बाथरूम में फिसल जाते हैं या फिर चलते-चलते सड़क पर गिर जाते हैं, जिसके चलते उन्हें कूल्हों में फ्रैक्चर हो जाता है। ऐसा होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। गिरने के बाद सबसे पहला असर उनके कूल्हों या फिर रीढ़ की हड्डियों पर ही पड़ता है। आइये एम्स की न्यरोलॉजिस्ट डॉ. प्रियांका सहरावत से जानते हैं इसके बारे में।
बुजुर्गों में क्यों होता है हिप फ्रैक्चर?
डॉ. प्रियांका के मुताबिक बुजुर्गों में गिरने पर सबसे पहले कूल्हों का फ्रैक्चर होना ज्यादातर ऑस्टियोअर्थराइटिस के कारण होता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों में यह समस्या बढ़ती जाती है। हड्डियां शरीर में दो तरीकों से काम करती है। ऐसे में हड्डियों का बनना और हड्डियों का घुलना शामिल है। एक उम्र तक हड्डियां बनती हैं और उनकी ग्रोथ होती है। वहीं, दूसरी उम्र तक कई बार हड्डियां घुलने लगती हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर 30 की उम्र तक चलती है, जिसके बाद हड्डियों को मास इंडेक्स कम भी हो सकता है।
टॉप स्टोरीज़
View this post on Instagram
मेनोपॉज बंद होने के बाद भी हो सकती है ये समस्या
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो हड्डियों के बनने की प्रक्रिया आमतौर पर 30 साल तक तेजी से होती है। इस उम्र को पार करने के बाद हड्डियों का बनना कम होने लगता है। वहीं, महिलाओं में मेनोपॉज की प्रक्रिया बंद होने के बाद उनकी शरीर में हार्मोन्स भी असंतुलित होते हैं, जिस कारण उनमें गिरने के बाद कूल्हों में फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है।
इसे भी पढ़ें - बूढ़े मां-बाप का ख्याल रखना है बेहद आसान, बस अपनी लाइफस्टाइल में करें ये 5 बदलाव
कैसे कम करें खतरा?
- इस खतरे को कम करने के लिए सबसे पहले शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- इसके लिए नियमित तौर पर विटामिन डी और कैल्शियम का चेकअप कराते रहें।
- ऑस्टियोपोरोसिस होने पर आपको बिना देरी किए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
- अगर आप ठीक से चलने में असमर्थ हैं तो ऐसे में वॉकर या फिर किसी व्यक्ति का सहारा लें।