हमारे रक्त में अम्ल एवं क्षार दोनो होते हैं । स्वस्थ रहने के लिए इनमे संतुलन आवश्यक है । हमारा भोजन भी दोनों तरह का होता है । हमारे शरीर में अम्लता घातक है, अतः क्षारीय आहार संतुलन लाता है । अम्लता की स्थिति में हाइड्रोजन आयन शरीर को थोड़ा अम्लीय बनाते हैं । क्षारीय भोजन हाइड्रोजन आयन कम करता है । जो शरीर के लिए लाभदायक है । इसलिए रक्त की अम्लता को कम करने के लिए 80 प्रतिशत क्षारीय आहार लेना चाहिए
अम्ल और क्षारीय का संतुलन
ब्लड पीएच स्तर से यह पता चलता है कि हमारा आहार कितना क्षारीय अथवा अम्लीय है। इस लिहाज से देखा जाए, तो हमारे पेट में मौजूद एसिड का स्तर शून्य (अधिकतर अम्लीय) और ब्लीच 14 के करीब (अधिकतर क्षारीय) होता है। शुद्ध पानी इसके ठीक बीच में फिट होता है। उसका पीएच स्तर सात होता है।हमारे शरीर को सही प्रकार से काम करने, थकान को दूर रखने और ऊर्जावान बने रहने के लिए पानी से कुछ अधिक एल्कालाइन की जरूरत होती है। यह स्तर 7.35 से लेकर 7.45 के बीच होता है। हम अपने पीएच स्तर को इस बीच में रख सकते हैं, बशर्ते हमारे आहार में क्षारीय भोजन अधिक हो तथा अम्लीय भोजन कम। तभी हमारे शरीर की उपापचय क्रिया सही होती है एवं हारमोन्स सही कार्य कर पाते हैं एवं उनका सही स्त्राव होता है । तभी शरीर की प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है ।
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क्या होते है अम्लीय और क्षारीय आहार
मनुष्य द्वारा निर्मित आहार प्रायः अम्लीय होता है जिससे एसीडिटी होती है । जैसे तले-भूने पदार्थ, दाल, चावल, कचैरी, सेव, नमकीन, चाय, काॅफी, शराब, तंबाकु, डेयरी उत्पाद, प्रसंस्कृत भोजन, मांस, चीनी, मिठाईयां, नमक, चासनी युक्त फल, गर्म दूध आदि के सेवन से अम्लता बढ़ती है ।प्रकृति द्वारा प्रदत आहार (अपक्वाहार) प्रायः क्षारीय प्रभाव उत्पन्न करते हैं । जैसे ताजे फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज, पानी में भीगे किशमिश, अंजीर, धारोष्ण दूध, फलियां, छाछ, नारियल, खजूर तरकारी, सुखे मेवे, आदि पाचन पर क्षारीय हैं ।ज्वारे का रस क्षारीय होता है । यह हमारे शरीर को एल्कलाइन बनाता है । शरीर के द्रव्यों को क्षारीय बनाता है । खाने का सोड़ा क्षारीय बनाता है ।
जब खानपान में गड़बड़ी करने या अम्लीय चरित्र के भोजन को अधिक करने से पेट में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है तब अम्ल की बहुलता ही एसिडिटी के रूप में परेशान करती है।
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