बच्चों में आत्म विश्वास मजबूत करने के लिए उन की सराहना करना बहुत आवश्यक है। आपकी तारीफ से बच्चे का कॉन्फिडेंस लेवल बूस्ट होता है। बच्चा और अधिक मन लगाकर कार्य करता है।
लेकिन इसके विपरीत यदि बच्चे को अपने किए गए काम के लिए बिल्कुल भी सराहा न जाए तो वह डिमोटिवेट हो जाएगा और उस काम में उस की रूचि भी कम हो जायेगी।
लेकिन इन सबके साथ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि तारीफ, प्रशंसा, सराहना आदि इन सब की अपनी सीमाएं हैं। यदि आप बच्चे की जरूरत से ज्यादा सराहना करते हैं तो भी वह ठीक नहीं। वह उतनी ही खतरनाक साबित हो सकती है।
पर क्या कुछ ऐसा भी है जो ज्यादा अच्छा करने पर बुरा बन जाए? इस दुविधा को दूर करने के लिए आज हम आप को कुछ उदाहरण दे कर बताएंगे कि आप को अपने बच्चे की कितनी और क्यों तारीफ करनी चाहिए।
मुस्कान 7 साल की थी, जब उसके माता-पिता ने परिवार के काउंसलर से मदद मांगी। वे आश्वस्त थे कि मुस्कान में आत्मविश्वास की कमी है। "वह हर समय प्रशंसा चाहती है" उन्होंने कहा, जब काउंसलर ने सारी बात पूछी तो वह सुनकर चौक गए। मुस्कान के माता-पिता उसकी बचपन से ही, छोटी से छोटी बात में जरूरत से ज्यादा तारीफ करते थे जिसकी वह आदी हो गई। इसको मेडिकल टर्म में "चीयरलीडर सिंड्रोम" कहा जा सकता है। लगभग सभी चीजों के लिए उसकी प्रशंसा की मांग। उसे जितनी प्रशंसा मिली, उतनी ही उसकी माँगे भी बढ़ती गईं। जोकि एक खतरनाक स्थिति है।
आइए जानते हैं बच्चे की तारीफ कब और कितनी करनी चाहिए:
उपलब्धि पर ही तारीफ करें
यदि आप अपने बच्चे की हर छोटी से छोटी बात के लिए सराहना करते हैं तो वे आगे बढ़ने के लिए,आप की तारीफ पर निर्भर हो जाएंगा। इस लिए आप उस की किसी स्पेशल अचीवमैंट पर ही तारीफ करें ताकि जब उन्हें तारीफ न भी मिले तो उन का आत्म विश्वास कम न हो।
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तारीफ मुसीबत न बन जाए
अत्यधिक फिक्र व तारीफ आप के बच्चे को परेशानी में डाल सकती है। इस लिए हर हालात में बैलेंस रहें। जरूरत से ज्यादा तारीफ और जरूरत से ज्यादा बच्चे का ख्याल दोनों ही बातें हानिकारक हैं । बच्चे मूडी होते हैं और समय-समय पर उनके व्यवहार में आप बदलाव देख सकते हैं। कहीं ऐसा ना हो उसे आप की यह आदत परेशान कर दे।
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सराहना को कम ही रखें
यदि आप अपने बच्चे की अत्यधिक सराहना करते हैं तो हो सकता है बच्चा उस काम से बोर हो जाए। जिस के लिए आप उस की नियमित सराहना करते हैं या फिर हो सकता है बच्चे में ओवर कांफिडेंस आ जाए ।और उसे लगे कि वह उस काम में माहिर हो चुका है। अब उसे अधिक मेहनत की जरूरत नहीं है।
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काम की सराहना करें
आप बच्चे की नहीं बल्कि उस के द्वारा किए गए काम की सरहना करें। यदि वह कोई मुश्किल कार्य को आसानी से पूरा कर देता है तो आप इस बात के लिए उस की सराहना कर सकते हैं। उस की व्यक्तिगत तौर पर ज्यादा सराहना न करें अन्यथा यह उल्टी पड़ जाएगी।
Monika Agarwal
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