
नवजात शिशुओं का रोना एक सामान्य प्रतिक्रिया हो सकती है। क्योंकि इस उम्र में शिशु रोने के माध्यम से ही अपनी जरूरतों को बयां कर पाते हैं। चाहे उन्हें भूख लगी हो या फिर नींद आ रही, हर स्थिति को वे रोने के माध्यम से बयां करते हैं। इस स्थिति में माता-पिता को उनके खाने और सोने के पैटर्न को समझने की जरूरत होती है। कई माता-पिता अपने शिशु के रोने के तरीके से पता लगा लेते हैं कि उन्हें किस चीज की जरूरत होती है। लेकिन कुछ शिशु नींद में रोने लगते हैं, जो माता-पिता के लिए काफी परेशानी वाली स्थिति होती है। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि बच्चा रो क्यों रहा है। कुछ-कुछ स्थितियों में शिशु को शांत कराना मुश्किल हो जाता है। अगर आपका बच्चा भी नींद में रोता है, तो आइए जानते हैं नींद में रोने के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में, साथ ही नींद में शिशु को शांत कराने के कुछ आसान तरीके - 
नींद में क्यों रोते हैं बच्चे?
शिशु अपनी स्थिति को बयां करने का तरीका खुद ढूंढ लेते हैं। रोना उनके कम्यूनिकेशन का एक माध्यम होता है। अगर वह शारीरिक रूप से परेशना हैं, तो वह रोने लगते हैं। वहीं, कुछ स्थितियों को बयां करने के लिए वे रोने लगते हैं, ताकि उनके पेरेट्ंस उनकी बातों को समझे। नींद में शिशु कई कारण से रो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-
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एंग्जायटी
कुछ बच्चों को नींद में सपने आते हैं, जिसकी वजह से वे रोने लगते हैं। इसके अलावा किसी चीज से डर और एंग्जायटी की वजह से उन्हें नींद में रोना आ सकता है।
भूख लगना
भूख लगना शिशु के नींद में रोने का प्रमुख कारण हो सकता है। दरअसल, शिशु का पेट काफी छोटा होता है। इसलिए वे एक बार में कम खाते हैं, लेकिन उन्हें हर घंटे कुछ खाना चाहिए होता है। ऐसे में अगर बच्चा रात में जल्दी सो जाता है, तो बीच रात में उन्हे भूख लग सकती है, जिसकी वजह से वे रात में रोने लगते हैं। इसके लिए बच्चे की एक्टिविटी पर नोटिस करें। अगर आपका बच्चा रो रहा है, लेकिन आंखें नहीं खोला है, तो समझ जाएं कि उसे भूख लगी है। इस स्थिति में ब्रेस्ट फीड कराने से उनका रोना बंद हो जाता है।
डायपर गंदा होना
अगर बच्चे का डायपर ज्यादा गीला है या फिर गंदा हो गया है, तो इस स्थिति में आपका बच्चा नींद में रो सकता है। इसलिए माता-पिता को बीच-बीच में बच्चे का डायपर चेक करते रहना चाहिए। ताकि बच्चे की नींद में किसी तरह की परेशानी या बाधा उत्पन्न न हो। 
वातावरण के टेम्प्रेचर में उतार-चढ़ाव
अगर बच्चे को सोने के दौरान गर्मी या फिर ठंड महसूस होती है, तो इस स्थिति में आपका बच्चा रो सकता है। इसलिए अगर तापमान ज्यादा ठंडा न हो, तो बच्चे को ज्यादा कवर करके न रखें। वहीं, एसी का टेम्प्रेचर भी सामान्य रखें। ताकि बच्चे को ज्यादा ठंड न लगे। ज्यादा ठंड लगने से भी आपका बच्चा रोने लग सकता है।
सोते हुए बच्चे को कैसे करें शांत
- बच्चे को हिलाएं
- स्किन से स्किन टच कराएं।
- बच्चे को लपेटकर सुलाएं।
- घर से तापमान को नॉर्मल रखें।
- बीच-बीच में डायपर चेक करें।
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नींद में बच्चा कई कारणों से रो सकता है। ऐसे में बच्चों के रोने के कारणों को जानकर आप उन्हें चुप करा सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपका बच्चा ज्यादा रो रहा है, तो इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।
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