पेट का खतरनाक रोग है 'स्टमक फ्लू', जानें इसके लक्षण और इलाज

खाने-पीने की गड़बड़ी के कारण पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती रहती हैं। इन्हीं में से एक है 'स्टमक फ्लू', जिसे गैस्ट्रोएन्टेराइटिस भी कहते हैं।
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पेट का खतरनाक रोग है 'स्टमक फ्लू', जानें इसके लक्षण और इलाज

खाने-पीने की गड़बड़ी के कारण पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती रहती हैं। इन्हीं में से एक है 'स्टमक फ्लू', जिसे गैस्ट्रोएन्टेराइटिस भी कहते हैं। पेट की ये बीमारी पाचन तंत्र में सूजन के कारण या पेट में इंफेक्शन के कारण होती है। हालांकि ये बीमारी जल्द ही ठीक भी हो जाती है मगर फिर भी कई बार नजरअंदाज करने से ये खतरनाक भी हो सकती है। 'स्टमक फ्लू' का कारण आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया, कुछ परजीवी और कई बार केमिकल या दवाओं का रिएक्शन होता है।

क्या है 'स्टमक फ्लू'

'स्टमक फ्लू' या गैस्ट्रोएन्टराइटिस, जिसे हिंदी में आंत्रशोथ भी कहते हैं, पाचन तंत्र में संक्रमण और सूजन के कारण होने वाले बीमारी है। इसमें व्यक्ति को पेट में ऐंठन, दस्त और उल्टी जैसी शिकायत होती है। 'स्टमक फ्लू' से प्रभावित व्यक्ति को अतिसार यानी डायरिया हो सकता है। नोरोवायरस, रोटावायरस, एस्ट्रोवायरस आदि वायरस अक्सर दूषित भोजन या पीने के पानी में पाये जाते हैं। ये वायरस खाने या पानी के साथ शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं और 4 से 48 घंटे में अपना संक्रमण फैलाते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। अधिकतर मामलों में, हालत कुछ दिनों के भीतर ही ठीक हो जाती है।

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बारिश और गर्मी में ज्यादा खतरा

अधिक गर्मी और बारिशों के दिनों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। यह मौसम इस बीमारी के जीवाणुओं को पनपने के लिए माकूल माहौल देता है। इस मौसम में कटे हुए फल, सब्जियां एवं अन्य पदार्थ शीघ्र खराब हो जाते हैं। मक्खी, मच्छर इन जीवाणुओं को एक खाद्य पदार्थ से दूसरे खाद्य पदार्थ तक ले जाते हैं। जब इसका प्रयोग करते हैं तो जीवाणु शरीर के अन्दर चले जाते हैं और व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। दूषित पानी भी इस बीमारी के फैलने का दूसरा अहम कारण है।

क्या हैं 'स्टमक फ्लू' के लक्षण

  • अचानक भूख में कमी होने लगती है।
  • पेट दर्द की शिकायत होती है
  • डायरिया भी हो सकता है।
  • जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।
  • उल्टी और बुखार की समस्या हो जाती है।
  • मरीज को तेज ठंड लगती है।
  • त्वचा में हल्की जलन होना
  • अत्‍यधिक पसीना निकलना
  • जोड़ों में कड़ापन होना
  • मांसपेशियों में तकलीफ होना
  • वजन में कमी आदि

क्या है 'स्टमक फ्लू' का लक्षण

'स्टमक फ्लू' के उपचार में तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसके अलावा ओरल रिहाइड्रेशन पेय यानी ओआरएस का इस्तेमाल भी इस बीमारी में बहुत जरूरी है क्योंकि लगातार उल्टी और दस्त से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। कई बार व्यक्ति की हालत ज्यादा बिगड़ जाती है, ऐसे में उसे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करवाना चाहिए। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन न करें।

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संभव है 'स्टमक फ्लू' से बचाव

इस रोग से बचने के लिए घर का स्वच्छ खाना खाना चाहिए। बासी भोजन और दूषित पानी का प्रयोग कभी न करें। भोजन पकाने और खाने से पहले हाथ साबुन से अच्छी तरह धोने चाहिये। शौच के बाद भी हाथ साबुन से धोने चाहिये। पानी को अच्‍छे से उबाल कर ठण्डा करने के बाद पीना चाहिये। घर पर वॉटर प्यूरिफायर या पानी साफ करने के उपकरण भी लगवाये जा सकते हैं। कुओं और हैण्डपंपों के आस-पास पानी एकत्रित होने नहीं दिया जाना चाहिए। फल-सब्जियां सभी धोकर प्रयोग में लानी चाहिए। गैस्ट्रोइन्टेराइटिस से हमारा बचाव हो सकता है, पर जरूरी है कि हमारा पानी और खानपान स्वच्छ हो।

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