फेफड़े हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। हमारे सांस लेने की क्रिया फेफड़ों के द्वारा ही संभव हो पाती है। आमतौर पर फेफड़ों को 2 तरह की बीमारियां प्रभावित करती हैं, श्वसन तंत्र का संक्रमण (रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) और पल्मोनरी डिजीज। जब हम मुंह या नाक से सांस लेते हैं, तो हवा में घुले ऑक्सीजन और अन्य तत्व श्वसन नली (रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचते हैं। मगर इसी सांस के द्वारा कई बार बैक्टीरिया, वायरस या फंगी पहुंच जाने के कारण कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं, जिनमें ब्रोंकाइटिस, ट्यूबरक्युलोसिस (टीबी) और एंफ्लुएंजा आदि प्रमुख हैं। ये बीमारियां कुछ समय के इलाज के बाद आसानी से ठीक हो जाती हैं। मगर कई बार फेफड़ों की कुछ बीमारियां श्वसन नली को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं, जिसमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) सबसे आम और प्रमुख है।
किन्हें होता है सीओपीडी (COPD) का खतरा
सीओपीडी कई तरह के हो सकते हैं और इन सभी के लक्षण आमतौर पर काम करते हुए जल्दी थक जाना, सांस फूलने लगना, बलगम वाली खांसी आदि है। जब यही लक्षण ज्यादा बढ़ जाते हैं और स्थिति गंभीर हो जाती है। वैसे तो सीओपीडी किसी को भी हो सकता है, मगर कुछ ऐसे कारक हैं, जो सीओपीडी के खतरे को बढ़ाते हैं। इनमें प्रमुख कारक इस प्रकार हैं-
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- जो लोग ज्यादा धूम्रपान करते हैं।
- जो लोग ऐसी जगह पर काम करते हैं जहां धुंआ या गैस की मात्रा ज्यादा हो।
- ऐसे लोग जो खुद सिगरेट/बीड़ी नहीं पीते हैं, मगर उनके आसपास के लोगों के द्वारा पी गई सिगरेट/बीड़ी का धुंआ उनके फेफड़ों में पहुंचता है।
- बहुत अधिक प्रदूषित इलाके में रहने के कारण
- चूल्हे, लकड़ी या ऐसे माध्यम से खाना पकाना, जिसमें धुंआ निकलता हो।
फेफड़ों की बीमारियों में विटामिन डी का क्या रोल है?
कुछ शोध बताते हैं कि ऐसे लोगों को फेफड़े के इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है, जो धूप में कम रहते हैं। धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है वैज्ञानिकों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करे, तो उसे फेफड़ों की बीमारियां होने की आशंका कम होती है। गांवों में किसान और मजदूर अक्सर धूप में काफी समय बिताते हैं इसलिए उनमें सीओपीडी का खतरा कम होता है। हालांकि कई अन्य कारक हैं, जैसे धुंआ, प्रदूषण, गंदगी आदि जो ऐसे लोगों में सीओपीडी का कारण बन सकते हैं।
फेफड़ों के रोगों से क्यों बचाता है विटामिन डी?
दरअसल धूप से मिलने वाला विटामिन डी शरीर को बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन से बचाता है। यही बैक्टीरिया और वायरस सीओपीडी अटैक का कारण बनते हैं। इसके अलावा शोध बताते हैं कि विटामिन डी शरीर में ऐसे कांपाउंड्स को नष्ट करता है, जो फेफड़ों के टिशूज को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसा ही एक कंपाउंड है मैट्रिक्स मेटैलोप्रोटीज-9 (matrix metalloprotease-9 या MMP-9), जो सीओपीडी रोग को बढ़ाने वाला प्रमुख कारक है।
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विटामिन डी का सेवन बढ़ाकर फेफड़ों के रोगों से बचा जा सकता है
वैज्ञानिकों के अनुसार आप अपने खानपान में विटामिन डी से भरपूर आहार शामिल करके और रोजाना थोड़ी देर धूप में रहकर फेफड़ों को अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ रख सकते हैं। हालांकि इस दौरान आपको दूसरे फैक्टर्स पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे- धुएं और प्रदूषण से बचें। यहां यह भी बताना जरूरी है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक साक्ष्य अभी तक मौजूद नहीं है कि विटामिन डी सीओपीडी के खतरे को कम करता है। वैज्ञानिकों को सिर्फ यह पता चला है कि विटामिन डी के द्वारा फेफड़ों की कई स्थितियों को रोका जा सकता है।
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