प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 महामारी के दौरान सबसे अधिक चर्चा में आई थी। प्लाज्मा ब्लड का एक लिक्विड भाग होता है। आपने रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स के बारे में तो जरूर सुना होगा, ऐसे ही प्लाज्मा भी ब्लड का एक हिस्सा होता है। प्लाजमा थेरेपी की सहायता से कुछ बीमारियों को शुरुआती स्टेज पर ही ठीक किया जा सकता है। उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, इंटरनल मेडिसिन (फाउंडर डायरेक्टर), डॉ शुचिन बजाज के मुताबिक पहले जानना जरूरी है कि प्लाज्मा किस चीज से बना होता है। असल में प्लाज्मा 90% पानी से बना होता है। इसमें साल्ट और एंजाइम भी होते हैं। इसमें ऐसी एंटी बॉडीज भी मौजूद होती हैं जो इन्फेक्शन से लड़ती हैं और यह एल्ब्यूमिन जैसे प्लस प्रोटीन से भी शरीर को बचाने में सहायक है। प्लाज्मा का आपके ब्लड में 55% भाग होता है। वैसे तो खून दिखने में लाल होता है लेकिन प्लाज्मा का रंग थोड़ा पीले रंग का होता है।
ब्लड प्लाज्मा के क्या-क्या फंक्शन होते हैं?
यह शरीर के अन्य भागों तक प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और हार्मोन्स को पहुंचाता है। जो इस प्रकार हैं-
- इनमें ग्रोथ हार्मोन्स शामिल हैं जो मांसपेशियों और हड्डियों को बढ़ने में मदद करते हैं।
- इसके क्लोटिंग फैक्टर्स जो खून निकलने पर इसे बंद होने में मदद करते हैं
- पोटेशियम और सोडियम जैसे न्यूट्रिएंट्स हैं।
- प्लाज्मा शरीर में ब्लड प्रेशर लेवल और ब्लड वॉल्यूम लेवल को नियंत्रित करने में सहायक है।
- यह सेल्स के केमिकल वेस्ट को डिसॉल्व करके उससे राहत दिलाने में सहायक है।
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प्लाज्मा डोनेशन की भूमिका
बहुत सारी स्वास्थ्य स्थितियों को ठीक करने के लिए डॉक्टर डोनेट किए गए प्लाज्मा का प्रयोग कर सकते हैं। प्लाज्मा के कुछ एलिमेंट्स जिसमें एंटी बॉडीज और केमिकल्स शामिल होते हैं, बर्न और ट्रॉमा जैसी मेडिकल इमरजेंसी और कई बीमारियों के इलाज में काफी काम आ सकते हैं।
प्लाज्मा डोनेशन किन स्थितियों में काम आता है
कुछ बीमारियों के इलाज के लिए
प्लाज्मा में मौजूद एंटी बॉडीज और प्रोटीन बहुत सी बीमारियों के इलाज में काम आ सकती हैं जैसे इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए।
कैंसर
कई बार कैंसर जैसे ल्यूकीमिया जैसी स्थिति में मरीज को प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ सकती है।
ट्रांसप्लांट सर्जरी
जिन लोगों को लीवर या बोन मैरो ट्रांसप्लांट की स्थिति से गुजरना पड़ता है, उन्हें भी प्लाज्मा की जरूरत होती है।
हीमोफीलिया
यह एक काफी कम पाया जाने वाला डिसऑर्डर है। इसमें व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त ब्लड क्लोटिंग फैक्टर्स नहीं होते,इसलिए डोनेट किया गया प्लाज्मा मदद कर सकता है।
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प्लाज्मा डोनेशन कौन कर सकता है?
- प्लाज्मा डोनेशन के लिए पहली शर्त है कि आपका 18 साल का होना जरूरी है।
- आपको एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारी के लिए एक शारीरिक जांच की जरूरत होती है।
- प्लाज्मा डोनेट करना खून डोनेट करने से थोड़ा अलग हो सकता है।
- इसे डोनेट करते समय आपकी बांह से लिया जाने वाला खून एक मशीन के अंदर जाता है जिसमें खून के अलग भागों को प्लाज्मा से अलग किया जाता है।
- इसके बचे हुए भाग जैसे रेड ब्लड सेल्स, आपके शरीर में वापिस चले जाते हैं।
- साथ ही सलाइन सॉल्यूशन भी वापिस शरीर में चला जाता है।
- इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक घंटे का समय लगता है।
- प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आपका वजन और आप कितने हेल्दी हैं यह भी चेक किया जाता है।
- इसके लिए आपका वजन कम से कम 50 किलो से ऊपर जरूर होना चाहिए।
प्लाज्मा डोनेशन भी अगर आप स्वस्थ हैं तो आपको जरूर करना चाहिए, क्योंकि इस डोनेशन के कारण किसी व्यक्ति को इलाज मिल सकता है और वह आपकी वजह से ठीक हो सकता है।
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