
Nomophobia in Hindi: आज के समय बिना स्मार्टफोन के जिंदगी की कल्पना भी करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। सुबह के शुरुआत के बाद से लेकर रात में नींद आने तक फोन हर समय आपके साथ रहता है। कामकाज से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक अब फोन के सहारे होती है। ऐसे में सोचिए आपका फोन आपके साथ न हो तो क्या होगा। फोन खोने या फोन साथ न होने के इसी डर से शिकार आज के युवा हो रहे हैं। फोन साथ न होने का डर सामान्य नहीं है, हाल ही में सामने आई एक स्टडी में कहा गया है कि इसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। मार्केट रिसर्च फर्म काउंटरप्वाइंट और स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ओप्पो द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय युवाओं में NoMoPhobia के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर चार में तीन लोगों में यह समस्या है। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं नोमोफोबिया के बारे में।
क्या है नोमोफोबिया?- What is Nomophobia in Hindi
मोबाइल फोन के इस्तेमाल की लत के कारण युवाओं और बच्चों में इसका गंभीर असर देखने को मिल रहा है। ओप्पो द्वारा किये गए इस सर्वे में कहा गया है कि मोबाइल फोन खोने या इस्तेमाल न कर पाने का डर लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। इसी डर को नोमोफोबिया कहा जाता है। यह एक तरह का फोबिया है जिसमें आपको हमेशा यही डर लगा रहता है कि आपका फोन कहीं खो न जाए या आपको बिना फोन के रहना पड़े। नोमोफोबिया की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को नोमोफोब कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को इस बात का भी डर लगा रहता है कि कहीं आपके फोन की बैटरी जल्दी खत्म न हो जाए। ऐसे लोगों में इस तरह के डर की शुरुआत बैटरी 50 प्रतिशत होने पर ही होती है। ऐसे लोग जो पहले से स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें यह समस्या देखने को मिलती है। सर्वे में कहा गया है कि दुनियाभर के लगभग 84 प्रतिशत लोगों में नोमोफोबिया की समस्या है।
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नोमोफोबिया के साइड इफेक्ट्स- Nomophobia Side Effects in Hindi
नोमोफोबिया की समस्या में इंसान को हर समय इस बात की चिंता बनी रहती है कि कहीं उसका फोन खो न जाए या उसे बिना फोन के रहना पड़े। इस स्थिति को काफी गंभीर और चिंताजनक माना गया है। यह स्थिति मानसिक बीमारी या सिंड्रोम का रूप ले सकती है। इस समस्या के कारण लोगों में स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने की लत लग जाती है और इसके कारण सेहत पर कई गंभीर प्रभाव भी पड़ सकते हैं। नोमोफोबिया की वजह से आपको इस तरह के नुकसान का खतरा रहता है-
- कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
- रीढ़ की हड्डी पर गंभीर असर
- किडनी से जुड़ी परेशानियां
- स्किन से जुड़ी समस्याएं
- नींद से जुड़ी परेशानी
- मानसिक तनाव बढ़ना
- आत्मविश्वास की कमी
नोमोफोबिया के शिकार लोग फोन चार्ज होते समय भी इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोग फोन की बैटरी को लेकर काफी स्ट्रेस में रहते हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि नोमोफोबिया वाले लोग बैटरी 50 प्रतिशत होने पर परेशान होने लगते हैं और तुरंत चार्जिंग में लगा देते हैं। ऐसा करने से वाले लोगों में मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी जैसे साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है।
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