शरीर में 12 हफ्तों से ज़्यादा जो दर्द रह जाए, उसे क्रॉनिक पेन कहते हैं। यह कई महीनों तक चलता है। अक्सर दर्द इंजरी ठीक होने के बाद नहीं होता, लेकिन अगर बाद में भी दर्द हो और कई हफ्ते चलते, तो यह क्रॉनिक पेन कहलाता है।
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क्रॉनिक पेन से कैसे निपटें ?
1- गहरी सांस लें या फिर मेडिटेशन करें, ताकि आप रिलैक्स्ड रहें।
2- स्ट्रेस कम लें। रिलैक्सेशन थेरेपी ट्राई करें।
3- एक्सरसाइज़ करने से भी रिलीफ मिलता है।
4- अल्कोहल कम करें और नींद ठीक से लें।
5- बैलेंस्ड डाइट लें। न्यूट्रिशियस फूड खाने से भी आप हेल्दी और स्ट्रॉन्ग रहेंगे।
क्रॉनिक पेन के प्रकार:
- सरदर्द
- सर्जरी के बाद दर्द
- ज़खम या सदमे के बाद का दर्द
- निचली कमर का दर्द
- कैंसर का दर्द
- गठिया दर्द
- न्यूरोजेनिक दर्द (नर्व डैमेज होने का दर्द)
- मनोवैज्ञानिक दर्द (दर्द, जो बीमारी, चोट या नर्व डैमेज के कारण नहीं होता है)
- अमेरिकी चिकित्सा विज्ञान अकादमी के मुताबिक, दुनिया भर के 1.5 अरब से अधिक लोगों को क्रॉनिक पेन होता है।
क्रॉनिक पने के कारण:
कई लोगों को बिना इंजरी के भी दर्द होता है और यह कई बार क्रॉनिक पेन होता है। हालांकि, जो दर्द बिना चोट के होता है, उसे समझना बहुत ही मुश्किल होता है। दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-
1- कई साल तक गलत पोस्चर में उठना, बैठना, सोना।
2- सही ढंग से भारी चीज़ों को ना पकड़ना।
3- ज़्यादा वज़न, जिस कारण लंबे समय से आपके घुटनों और पीठ पर असर हो रहा हो।
4- रीढ़ की हड्डी में दिक्कत
5- किसी सदमे के कारण इंजरी
6- हमेशा हाई हील्स पहनना
7- गलत गद्दे पर सोना
8- आर्थराइटिस
9- हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द
10- डाइजेशन में दिक्कत
क्रॉनिक पेन का ट्रीटमेंट:
इसके ट्रीटमेंट में सबसे पहले दर्द को कम किया जाता है, ताकि इंसान डेली रूटीन के कार्य आराम से कर सके। हर इंसान में क्रॉनिक पेन का लेवल अलग होता है। इसीलिए, डॉक्टर्स सभी मरीज़ों के लिए अलग प्लान बनाते हैं। किसी को ज़्यादा दवाई देनी पड़ती है, तो किसी को कम। सबसे पहले तो लाइफस्टाइल रेमेडीज़ का मेथड यूज़ किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर्स पेनकिलर्स का भी इस्तेमाल करते हैं।
क्रॉनिक पेन से रिलीफ पाने के अन्य तरीके
1- कई मरीज़ों को मांसपेशियों में हल्का-हल्का इलेक्ट्रिक शॉक देना पड़ता है।
2- कई मरीज़ों को इंजेक्शन देना पड़ता है, जिस कारण नर्व ब्रेन को पेन सिग्नल देने में असमर्थ हो जाता है।
3- ऐक्यूपंक्चर, जिसमें मरीज़ों की स्किन पर सुईयां सुभानी पड़ती हैं।
4- सर्जरी, ताकि चोट जल्दी भर जाए।
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