जब आप बीमार होते हैं, तो बलगम कष्टप्रद हो सकता है, लेकिन आपके शरीर को आपको स्वस्थ रखने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। बलगम, जिसे थूक के रूप में भी जाना जाता है- एक चिपचिपा, जिलेटिनस पदार्थ है जो आपके फेफड़ों, गले, मुंह, नाक और साइनस को खींचती है। यह नाक और साइनस में झिल्ली द्वारा निर्मित है, जिसे श्लेष्म झिल्ली (म्यूकस मेंबरेन) के तौर पर जाना जाता है। जब आप बीमार होते हैं या एलर्जी से पीड़ित हों, तो आप अपने बलगम के रंग में बदलाव देख सकते हैं।
साफ और पतला बलगम आपके स्वस्थ होने का संकेत देता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसिसिप्पी मेडिकल सेंटर में ओटोलर्यनोलोजी के प्रोफेसर स्कॉट स्ट्रिंगर के अनुसार रोज हमारे शरीर में लगभग चार कम जितना बलगम बनता है, जिसका उद्देश्य नाक की परत को नम रखकर कणों, मिट्टी, वायरस, बैक्टीरिया, और प्रदूषण से बचाव करना होता है।
सफेद रंग का बलगम
प्रोफेसर स्ट्रिंगर के अनुसार धुंधला सफेद बलगम सर्दी, एलर्जी, या निर्जलीकरण की शुरुआत का संकेत हो सकता है। ऐसा तब होता है, जब नाक के बालों की कोशिकाओं में चोट लगने से उनमें सूजन आ जाती है। इसलिए बलगम नमी खो देता है और सफेद हो जाता है।
पीला व हरा बलगम
प्रोफेसर स्ट्रिंगर के मुताबिक कुछ मामलों में बलगम के रंग से किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल होता है। आम धारणा के विपरीत, जरूरी नहीं कि हरा बलगम जीवाणु संक्रमण का कारक और पीला बलगम वायरस का कारक हो। रंग बदलना इस बात पर निर्भर करता है कि अपकी नाक में कितना बलगम है और नाक में कितना सूजन मौजूद है। लेकि ये दोनो ही रंग ये जरूर साबित करते हैं कि आप बीमार हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली लड़ने की कोशिश कर रही है।
गोल्ड और बहुत चिपचिपा
पीले रंग का गहरा शेड वाला, कुछ पीनट बटर जैसी स्थिरता वाला बलगम फंगल साइनसाइटिस की और इशारा करता है (नाक में फंसे मोल्ड स्पोर्स के कारण होने वाला संक्रमण का एक प्रकार)।
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लाल या गुलाबी
प्रोफेसर स्ट्रिंगर बताते हैं कि बलगम का ये रंग बताता है कि टूटी हुई रक्त वाहिकाओं से खून रिस रहा है, जो नाक के अंदर की सतह के बहुत करीब होती हैं। जब आप ज़ोर से नाक बाहर निकालते हैं या फिर नाक की सतह काफी सूखी होती है तो वे टूट सकती हैं।
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काला
बेहद काला बलगम का मतलब होता है कि आपने काफी प्रदूषक या धूआं सांस के ज़रिये भीतर लिया है। लेकिन यह क्रोनिक साइनस संक्रमण या कवक का संकेत भी हो सकता है। प्रोफेसर स्ट्रिंगर के अनुसार, कवक मृत ऊतकों में रहना पसंद करती है, तो बलगम के जम जाने पर यह कवक के लिये के लिए सही माहौल होता है।
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