स्लिम-ट्रिम हैं तो भी करें रोज एक्सरसाइज, मिलेंगे ढेर सारे लाभ

अब तक ऐसा माना जाता था कि एक्सरसाइज़ सिर्फ मोटापे के शिकार लोगों के लिए ज़रूरी है। दुबली-पतली कद-काठी वालों को भला इसकी क्या ज़रूरत? अगर आप भी ऐसा सोचकर व्यायाम से जी चुराते हैं तो अनजाने में अपनी उम्र घटा रहे हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 3.35 लाख वयस्कों पर एक्सरसाइज़ का असर आंकने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। 12 साल तक चले इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि एक्सरसाइज़ से दूरी मोटापे से भी ज्य़ादा जानलेवा है। 
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स्लिम-ट्रिम हैं तो भी करें रोज एक्सरसाइज, मिलेंगे ढेर सारे लाभ

अब तक ऐसा माना जाता था कि एक्सरसाइज़ सिर्फ मोटापे के शिकार लोगों के लिए ज़रूरी है। दुबली-पतली कद-काठी वालों को भला इसकी क्या ज़रूरत? अगर आप भी ऐसा सोचकर व्यायाम से जी चुराते हैं तो अनजाने में अपनी उम्र घटा रहे हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 3.35 लाख वयस्कों पर एक्सरसाइज़ का असर आंकने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। 12 साल तक चले इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि एक्सरसाइज़ से दूरी मोटापे से भी ज्य़ादा जानलेवा है। इसीलिए लंबी उम्र जीने के लिए सिर्फ वज़न पर काबू रखना ही काफी नहीं, बल्कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी बेहद ज़रूरी है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि 20 मिनट की चहलकदमी भी असामयिक मौत का खतरा टालने में काफी असरदार है। इससे न सिर्फ कैलरी खर्च होती है, बल्कि ब्लड शुगर, रक्तचाप, कोलेस्ट्राल और स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल के स्तर में भी कमी आती है। कुछ लोग एक्सरसाइज़ से बचने के लिए वज़न घटाने वाली दवाओं का सहारा लेते हैं, पर ऐसी दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होती हैं।

अमेरिका में हाल ही में जारी एक उपभोक्ता सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार में उपलब्ध ऐसी दवाएं मोटापे पर काबू पाने में असरदार नहीं होतीं। खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण द्वारा किए गए सर्वे में 3,000 अमेरिकी शामिल हुए। इनमें से 25 फीसदी मोटापा घटाने के लिए दवाओं व अन्य सप्लीमेंट्स पर निर्भर थे। तीन महीने बाद जब इन प्रतिभागियों का वज़न लिया गया तो 90 प्रतिशत से ज्य़ादा लोगों पर इनका कोई असर नहीं हुआ। इतना ही नहीं ब्रिटेन की फिटनेस फर्म 'टॉम-टॉम' ने एक हज़ार लोगों पर अध्ययन के बाद यह भी सलाह दी है कि एक्सपर्ट की निगरानी के बगैर अपने मन से कोई एक्सरसाइज़ नहीं करनी चाहिए।

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मांसपेशियों में ताकत

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। इस पुरानी कहावत को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी सच साबित कर दिखाया है। आपने भी यह महसूस किया होगा कि जब किसी वजह से अचानक आपको बहुत खुशी मिलती है तो थकान की वजह से हाथ-पैरों में होने वाला सारा दर्द पल भर में गायब हो जाता है। आपने कभी सोचा है कि इसकी क्या वजह हो सकती है? वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब ढूंढ लिया है। हाल ही में किए गए एक शोध के नतीजों के आधार पर अमेरिकी शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि सकारात्मक सोच और प्रसन्नता का मांसपेशियों की ताकत से भी गहरा संबंध है। अमेरिका स्थित ओहियो मस्क्युलोस्केलिटल एंड न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है। इसमें 15 लोगों को चार सप्ताह तक अलग-अलग माहौल में रखा गया और यह पाया गया कि प्रसन्नता के माहौल में रहने वाले समूह के सदस्यों की मांसपेशियां ज्य़ादा अच्छे ढंग से काम करने में सक्षम थीं।

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