कमजोर मेटाबॉलिज्म कैसे बढ़ाता है आपके शरीर में चर्बी? जानें मोटापे के कुछ छिपे हुए कारण

कमजोर मेटाबॉलिज्म के कारण अक्सर अंजाने में ही लोगों का वजन बढ़ने लगता है। मेटबॉलिज्म कमजोर होने पर शरीर में फैट क्यों जमा होने लगता है और इसे रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं, जानें यहां।

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Nov 01, 2019 18:32 IST
कमजोर मेटाबॉलिज्म कैसे बढ़ाता है आपके शरीर में चर्बी? जानें मोटापे के कुछ छिपे हुए कारण

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अगर आप मोटापे का शिकार हैं और प्रयास के बाद भी वजन नहीं घटा पा रहे हैं, तो इसका कारण आपका स्लो मेटाबॉलिज्म होता है। मोटापा कोई बीमारी नहीं है, मगर मोटापे के कारण आप सैकड़ों बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। मोटापा आपको लाइफस्टाइल से जुड़ी कई बीमारियों का शिकार बना सकता है जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, लिवर सिरोसिस आदि। आमतौर पर मोटापा कई कारणों से हो सकता है, जैसे- खानपान की गलत आदतें, कोई बीमारी, आनुवंशिक कारणों से आदि। इसके अलावा कई बिना किसी जाहिर कारण के भी आपका वजन बढ़ने लगता है। इसका कारण आपके शरीर का कमजोर मेटाबॉलिज्म हो सकता है।

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कमजोर मेटाबॉलिज्म से बढ़ने लगता है मोटापा

मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर में होने वाले ढेर सारे बायोकेमिकल फंक्शन्स को सामूहिक रूप से कहा जाता है, जिनके द्वारा हमारा शरीर भोजन को एनर्जी में बदलता है अंगों को उपयोग के लिए भेजता है। आमतौर पर जब किसी व्यक्ति के शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, तो उसका शरीर कम फैट बर्न करता है, जिससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने लगती है। यही कारण है कि कमजोर मेटाबॉलिज्म वाले लोग धीरे-धीरे मोटे होने लगते हैं। कमजोर मेटाबॉलिज्म वाले लोगों को डाइटिंग और एक्सरसाइज के बाद भी वजन घटाने में बड़ी परेशानी आती है।

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क्यों कमजोर होता है मेटाबॉलिज्म?

आमतौर पर मेटाबॉलिज्म के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ पर आपका कंट्रोल होता है और कुछ पर नहीं होता है। जैसे- आपकी उम्र, शरीर का आकार, आपका लिंग आदि ऐसे फैक्टर हैं, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं और इन पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है। वहीं आपका खानपान, एक्सरसाइज, जीवनशैली, आपका काम आदि ऐसे फैक्टर हैं, जिनपर आपका कंट्रोल होता है। ये सभी चीजें व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती हैं।

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कमजोर मेटाबॉलिज्म का पता कैसे चलेगा?

किसी व्यक्ति के शरीर के आकार और उसके वजन में संतुलन (BMI) जितना अच्छा होगा, उसका मेटाबॉलिज्म उतना अच्छा होगा। आमतौर पर 18.5 से 24.9 प्वाइंट्स तक बीएमआई को हेल्दी माना जाता है। मगर इससे ऊपर और नीचे BMI होने पर व्यक्ति क्रमशः ओवर वेट और अंडर वेट कहलाते हैं। इसके अलावा शोध बताते हैं कि पुरुषों का मेटाबॉलिज्म महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा बेहतर होता है। इसके अलावा युवाओं का मेटाबॉलिज्म बूढ़ों से बेहतर होता है।
आमतौर पर लगातार थकान, भूख न लगना, त्वचा में रूखापन, ठंड ज्यादा लगना आदि कमजोर मेटाबॉलिज्म के संकेत हैं। अगर आपको ऐसी कोई समस्या दिखती है, तो आप अपना मेटाबॉलिक रेट एक बार चेक करवा सकते हैं, जिससे वजन बढ़ने से रोका जा सके।

मेटाबॉलिज्म वजन को कितना प्रभावित करता है?

चूंकि अच्छे मेटाबॉलिज्म के कारण आपका शरीर फैट को अच्छी तरह बर्न करता है। मगर इसका मतलब यह नहीं है आपके मोटापे का अकेला कारण मेटाबॉलिज्म ही है। दरअसल मेटाबॉलिज्म का असर थोड़ा बहुत माना जा सकता है, मगर ज्यादातर समय लोगों के मोटापे का कारण उनका गलत खानपान (फास्ट फूड्स, जंक फूड्स, ओवर ईटिंग) और शारीरिक गतिविधियों में कमी (एक्सरसाइज-योगासन न करना) होती है। इसके अलावा कई बार कुछ खास दवाएं लंबे समय तक लेने के कारण भी आपका वजन बढ़ने लगता है।

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कैसे बेहतर करें अपना मेटाबॉलिज्म और घटाएं वजन

अगर आप अपना मेटबॉलिज्म बेहतर बनाना चाहते हैं और वजन घटाना चाहते हैं, तो आपको अपनी रोजाना की आदतों में थोड़ा बहुत बदलाव करने की जरूरत है।

  • रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज, रनिंग, वॉकिंग, स्ट्रेचिंग या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें।
  • अपना खानपान सही रखें और डाइट में फाइबरयुक्त चीजों को अहमियत दें। फाइबरयुक्त चीजें वो होती हैं, जिनमें रेशे ज्यादा होते हैं।
  • खाने में ताजे फलों, रंगीन सब्जियों, नट्स, मोटे अनाज आदि को ज्यादा महत्व दें और जंक फूड्स, फास्ट फूड्स से दूर रहें।
  • रात में बहुत देर तक न जगें और रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।
  • तनाव से भी वजन बढ़ता है इसलिए ज्यादा सोचें या चिंता न करें।
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