जानें, शरीर को किन 2 विटामिंस की होती है सबसे ज्यादा जरूरत

कुपोषण से लडने के लिए संतुलित भोजन जरूरी है और संतुलित भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटमिंस और मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा जरूरी है।
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जानें, शरीर को किन 2 विटामिंस की होती है सबसे ज्यादा जरूरत


कुपोषण से लडने के लिए संतुलित भोजन जरूरी है और संतुलित भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटमिंस और मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा जरूरी है। कहा जा सकता है कि विटमिंस कुपोषण से लडने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शरीर के सही संचालन में 13 विटमिंस महत्वपूर्ण हैं। ये हैं- विटमिन ए, सी, डी, ई, के और विटमिन बी की आठ किस्में यानी थाइमिन,  रिबोफ्लेविन, नाइसिन, पेंटोथेनिक एसिड, बायोटीन, विटमिन बी-6, विटमिन बी-12 और फोलेट। ये विटमिंस मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम और नर्वस सिस्टम के लिए जरूरी हैं। इनके बिना शरीर सही ढंग से काम नहीं कर सकता। इनमें से किसी एक विटमिन की भी कमी कुपोषण का कारण बन सकती है। हालांकि कई बार इनकी कमी का सही-सही पता भी नहीं चलता। कभी लक्षण दिखते हैं तो कभी नहीं दिखते, लेकिन इनकी कमी से शरीर को नुकसान होता है।

विटमिन ए

यह फैट में घुलनशील एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और सर्दी, फ्लू और संक्रमणों से बचाव करता है। यह त्वचा, दांत, आंख, बाल और नाखूनों की सेहत को ठीक रखने में मदद करता है। प्रेग्नेंसी  और बेबी-फीडिंग के दौरान भी महत्वपूर्ण है। इसकी कमी से रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस)  या ड्राई आइज  की शिकायत हो सकती है, त्वचा में रूखापन आता है, हड्डियों का विकास अवरुद्ध होता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।

क्या हैं इसके स्रोत : चीज, अंडे, ऑयली फिश, दुग्ध उत्पाद, योगर्ट, लिवर, पंपकिन,  एप्रीकॉट,  कैरट, हरी पत्तेदार सब्जियां।

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विटमिन बी

यह पानी में घुलनशील विटमिंस का एक समूह है। इसमें बी 1 (थाइमिन), बी 2 (रिबोफ्लेविन), बी 3 (नाइसिन), बी 5 (पेंटोथेनिक एसिड), बी 6 (पिरिडॉक्सिन), बी 7 (बायोटिन), बी 9 (फोलिक एसिड), बी 12 आते हैं। नए अध्ययन बताते हैं कि विटमिन बी की कमी कुपोषण और डायबिटीज के लिए भी जिम्मेदार है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर हो सकता है। विटमिन बी के सेवन से वजन नियंत्रित रहता है, इम्यून और नर्वस सिस्टम सुचारु रहता है, हड्डियां मजबूत  और मांसपेशियां स्वस्थ होती हैं। विटमिन बी में आठ विटमिंस  हैं। इनका मिश्रण विटमिन बी कॉम्प्लेक्स कहलाता है। इसकी कमी से बेरी-बेरी नामक रोग, भावनात्मक असंतुलन, डायरिया, डिप्रेशन, इंसोम्निया, डिमेंशिया, हाइपरटेंशन, हार्ट प्रॉब्लम्स, एनीमिया  और पीरियड्स  की गडबडी जैसे कई रोग हो सकते हैं।

क्या हैं इसके स्रोत : फिश, सी-फूड, दुग्ध उत्पाद, मीट, पॉल्ट्री, हरी पत्तेदार  सब्जियां,  मटर, बींस। यह कई विटमिंस का ग्रुप है, डॉक्टर की सलाह से इसका सेवन करें।

विटमिन सी

यह पानी में घुलनशील है और एंटीऑक्सीडेंट है। यह शारीरिक विकास सहित घावों को भरने, आयरन के अवशोषण, हड्डियों के विकास, त्वचा, दांतों और मसूडों के लिए जरूरी है। इसकी कमी से स्कर्वी (त्वचा रोग), मांसपेशियों की कमजोरी, जोडों का दर्द, एनीमिया, फटीग,  भोजन में अरुचि, इम्यून  सिस्टम संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

क्या हैं इसके स्रोत : आंवला, नीबू, अंगूर, संतरा, कीवी, आम, पपीता, रसभरी और पालक, ब्रॉक्ली,  फूल गोभी, बंद गोभी और टमाटर।

विटमिन डी

यह विटमिन धूप से मिलता है। इसका कार्य बोन डेंसिटी के लिए रक्त में कैल्शियम और फॉस्फोरस के स्तर को संतुलित रखना है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, ब्लडप्रेशर ठीक रखता है। साथ ही डायबिटीज, ओबेसिटी, ऑथ्र्राइटिस, ब्रॉन्काइटिस,  एस्थमा,  प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम  (पीएमएस) और दांत संबंधी परेशानियों से भी बचाव करता है। अध्ययन बताते हैं कि 10 में से 3-4 वयस्क भारतीयों में विटमिन डी की कमी है। ओबेसिटी से ग्रस्त जिन लोगों का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 30 से अधिक है, उनमें भी विटमिन डी की कमी पाई गई। शोधों के अनुसार नपुंसकता के लगभग एक-तिहाई मामलों में विटमिन डी की कमी देखी गई है। इसकी कमी से रिकेट्स (हड्डी रोग), इंसोम्निया, नेत्र-विकार, वेट लॉस, डायरिया व भोजन में अरुचि जैसी समस्याएं होती हैं। हफ्ते में कम से कम दो बार 15-20  मिनट तक धूप में रहें, इससे विटमिन डी मिलता है।

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क्या हैं इसके स्रोत : शोधों  के अनुसार भोजन से महज 20 फीसदी विटमिन डी मिलता है। धूप के अलावा इसके स्रोत हैं, अंडे का योक,  फिश, कॉडलिवर ऑयल, फोर्टिफाइड  मिल्क।

विटमिन के

यह फैट में घुलनशील है। यह रक्त का थक्का जमाता है और हड्डियों को मजबूत  बनाता है। इसकी कमी से अत्यधिक रक्तस्राव, स्टूल और यूरिन  में रक्तस्राव, ऑस्टियोपोरोसिस  और फ्रैक्चर्स जैसी समस्याएं होती हैं।

क्या हैं इसके स्रोत : पालक, लैट्यूस, ब्रॉक्ली, फूलगोभी, पत्तागोभी। फिश, लिवर, मीट, सीरियल्स। 

विटमिन ई

यह फैट  में घुलनशील है और एक एंटीऑक्सीडेंट है। यह विटमिन ए, सी सहित लाल रक्त-कणिकाओं और अनिवार्य फैटी  एसिड्स  को बचाता है। इम्यून सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल  डिसॉर्डर  और कैंसर संबंधी रोगों में इसका योगदान है। यह फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। इसकी कमी से एनीमिया, भोजन में अरुचि, मांसपेशियों में कमजोरी, पाचन तंत्र में गडबडी और  इनफर्टिलिटी हो सकती है।

क्या हैं इसके स्रोत : वेजटेबल ऑयल, साबुत अनाज, सूखे मेवे, सीड्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, फोर्टिफाइड  ब्रेकफस्ट  सीरियल्स।

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