अपनी ओर से हम हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार अपनाने की कोशिश करते हैं। फिर भी आज की अति व्यस्त जीवनशैली की वजह से हमारे खानपान में कोई न कोई ऐसी कमी रह ही जाती है, जिससे सेहत संबंधी कई समस्याएं हमें परेशान करने लगती हैं। वैसे तो सभी विटमिंस और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स हमारी अच्छी सेहत के लिए जरूरी होते हैं, पर विटमिन बी-12 एक ऐसा तत्व है, जिसकी कमी सेहत के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह साबित होती है।
क्यों जरूरी है विटमिन बी-12?
विटमिन बी-12 हमारी कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करता है। यह ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और नर्व्स के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक होता है। हमारी लाल रक्त कोशिशओं का निर्माण भी इसी से होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का भी काम करता है। यह ऐसा विटमिन है, जिसका अवशोषण हमारी आंतों में होता है। वहां लैक्टो बैसिलस (फायदेमंद बैक्टीरिया) मौजूद होते हैं, जो बी-12 के अवशोषण में सहायक होते हैं। फिर यह लिवर में जाकर स्टोर होता है। उसके बाद शरीर के जिन हिस्सों को इसकी जरूरत होती है, लिवर इसे वहां भेजने का काम करता जाता है।
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क्या है कमी की वजह
- आनुवंशिकता
- आंतों की कोई भी सर्जरी
- क्रोंज्स नामक आंतों की बीमारी, जिसकी वजह से आंतें विटमिन बी-12 का अवशोषण नहीं कर पातीं।
अगर व्यक्ति को लंबे समय तक एनीमिया की समस्या रही हो तो उसमें भी विटमिन में बी-12 की कमी पाई जा सकती है। इसकी कमी से होने वाली समस्या को मेगालोब्लास्टिक एनीमिया कहा जाता है। अगर डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन का लंबे समय तक सेवन किया जाए तो भी आंतों में मौजूद विटमिन बी-12 नष्ट हो जाता है। शाकाहरी लोगों में इस समस्या की आशंका अधिक रहती है क्योंकि यह विटमिन मुख्यत: एनिमल प्रोडक्ट्स में ही पाया जाता है। हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अनुसंधान में यह तथ्य सामने आया है कि एशियाई देशों, खास तौर पर भारत में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि यहां की कुल आबादी का बडा हिस्सा शाकाहारी है।
पहचानें इसके लक्षण
- हाथ-पैरों में झनझनाहट और जलन
- याद्दाश्त में कमी
- व्यवहार में अस्थिरता
- अनावश्यक थकान
- डिप्रेशन या सिर भारी होना
उपचार एवं बचाव के तरीके
अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए सीरम विटमिन बी-12 की जांच करवानी चाहिए। अकसर लोग इसके लक्षणों को मामूली थकान या एनीमिया समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, पर ऐसा करना उचित नहीं है क्योंकि आगे चलकर यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। शाकाहारी लोगों को अपने खानपान के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए और उन्हें मिल्क प्रोडक्ट्स का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए। आम तौर पर किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इसकी मात्रा 400-500 पिकोग्राम/ मिली लीटर होनी चाहिए। अगर शरीर में इसकी मात्रा इससे कम हो जाए तो व्यक्ति को मिथाइल कोबालामिन नामक टैबलेट या इंजेक्शन दिया जाता है। दवा की मात्रा मर्ज की गंभीरता पर निर्भर करती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह दवा आंतों में मौजूद लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को सक्रिय करने का काम करती हैं। अगर सही समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो दवाओं और स्वस्थ खानपान से इस समस्या का समाधान हो जाता है।
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खानपान में विटमिन बी-12
अकसर यह सवाल उठता है कि हमें अपने खानपान में किन चीजों को शामिल करना चाहिए, ताकि शरीर में विटमिन बी-12 की कमी न हो। यहां वेजटेरियन और नॉन वेजटेरियन लोगों के लिए दी जा रही है, कुछ ऐसी चीजों की सूची, जिनमें विटमिन बी-12 पाया जाता है :
वेजटेरियन
शाकाहारी लोगों को अपने खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। उनके पास विटमिन बी-12 हासिल करने के स्रोत सीमित संख्या में होते हैं, इसलिए उन्हें दूध, दही, पनीर, चीज, मक्खन, सोया मिल्क या टोफू का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। बी-12 मुख्यत: मिट्टी में पाया जाता है। इसलिए यह जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों जैसे-आलू, गाजर मूली, शलजम, चुकंदर आदि में भी आंशिक रूप से पाया जाता है। इसके अलावा 45 मल्टीग्रेन ब्रेड और वे प्रोटीन पाउडर भी इसके अच्छे स्रोत हैं। यदि एक किलोग्राम आटे में 100 ग्राम वे प्रोटीन पाउडर मिला दिया जाए तो इससे व्यक्ति को विटमिन बी-12 का पोषण मिल जाता है।
नॉनवेज
नॉन-वेजटेरियन लोगों को अंडा, मछली, रेड मीट, चिकेन और सी फूड से विटमिन बी-12 भरपूर मात्रा में मिल जाता है, पर इनके ज्यादा सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ जाता है, जो नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए नॉनवेज का सेवन सीमित और संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
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