यह एक सामान्य बात है कि स्कूल के पहले साल में बच्चे का रूटीन बदलता है, उसे अचानक बड़े पैमाने पर ढेर सारे अलग-अलग लोगों और माहौल से सामंजस्य बैठाना पड़ता है। ऐसे में स्कूल में वे आसानी से कई तरह की एलर्जी या संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। जरूरी यह है कि इस समय थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता पैरेंट्स और टीचर्स दोनों के ही स्तर पर रखी जाए। इसके लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें-
- बच्चों को शुरू से ही अच्छे से हाथ धोना सिखाएं। खासकर बाथरूम से आने के बाद, कहीं भी बाहर से घर आने के बाद और स्कूल में भी लंच और ब्रेकफास्ट के पहले यदि आपके बच्चे को किसी प्रकार के भोजन या अन्य चीज से एलर्जी है तो स्कूल शुरू होने से पहले ही डॉक्टर से इसे लेकर मार्गदर्शन लें और स्कूल में भी टीचर्स को इसकी जानकारी दें।
- बच्चे को सिखाएं कि वह अपने कपड़ों, रेलिंग, बेंच, बोर्ड या नाक आदि पर हाथ लगाकर उसे मुंह में न डालें
- यदि एलर्जी के लिए कोई दवा या स्प्रे जैसी चीज बच्चे को प्रिस्क्राइब की गई है तो उसे बच्चे के बैग में रखें और इस बारे में टीचर को भी बताएं ताकि जरूरत पड़ने पर इन साधनों का उपयोग किया जा सके
- बच्चों में धूल, धुएं, सॉफ्ट टॉयज, बिस्तर की चादरों, पालतू जानवरों आदि से भी एलर्जी पैदा हो सकती है, इन तमाम चीजों को साफ रखें
- बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों के साथ ही उसे भरपूर दौड़भाग करने दें और थोड़ा-बहुत धूल-मिट्टी के सम्पर्क में भी लाएं। इससे उसका शरीर अपने-आप इन चीजों से लड़ने की क्षमता विकसित करेगा और भविष्य में वह जल्दी-जल्दी एलर्जी का शिकार होने से बच सकेगा
- यदि बच्चे को अस्थमा जैसी कोई तकलीफ हो तो उसे शुरू से ही इसके ट्रिगर्स से अपना बचाव करना सिखाएं। साथ ही संक्रमण से ग्रसित बच्चों या लोगों के लक्षण बताकर उन्हें ऐसी स्थिति में भी बचाव के तरीके बताएं
- नाक बहने पर बच्चे को रुमाल या टिशू पेपर का ही उपयोग करना सिखाएं। साथ ही छींक या खांसी आने पर उसे रुमाल या टिशू को मुंह पर रखने की आदत डालें। इससे वह दूसरे बच्चों तक संक्रमण पहुंचाने का कारण नहीं बनेंगे
- सभी वैक्सीन समय पर लगवाएं
- तकलीफ ज्यादा बढ़ने पर स्कूल न भेजें और तुरंत इलाज शुरू करें
बच्चों में जो एलर्जी आमतौर पर तकलीफदेह होती हैं उनमें फूड एलर्जी, अस्थमा, ठंडक या हवा से होने वाले एलर्जी, स्किन एलर्जी, आंखों में होने वाली एलर्जी, आदि। इनके कारण ये लक्षण उभर सकते हैं-
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- भूख में कमी, पेट दर्द, उल्टी या भोजन को पचा न पाना
- सांस लेने में दिक्कत
- सर्दी-जुकाम, नाक बहना या गले में दर्द
- आंखों में लाली, सूजन, खुजली आदि
- थकान होना या एक्टिव न रहना
- बुखार या सिरदर्द
- स्किन पर दाने, रैशेज, खुजली, जलन और पैचेज आदि
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