क्या आप जानते हैं कि मांस के सेवन को कम कर और प्लांट बेस्ड डाइट को फॉलो कर ह्रदय संबंधी रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है। जी हां, ऐसा संभव है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि ऐसा करने से आप आतं में रहने वाले माइक्रोब के प्रतिकूल प्रभावों को कम कर सकते हैं। अध्ययन में सामने आया है कि ये माइक्रोब कार्डियक रोगों से जुड़े हुए होते हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इंसानों का पाचन मार्ग ढेरों बैक्टीरियाओं का घर होता है, जिसे गट माइक्रोबायोटा (gut microbiota) कहते हैं और ये हमारे मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त बनाने, न्यूट्रिएंट के अवशोषण, ऊर्जा के स्तर और इम्यून रिस्पॉन्स में एक अहम भूमिका निभाता है।
ये कारक है जिम्मेदार
शोधकर्ताओं के मुताबिक, आंतों के बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित प्राकृतिक रसायनों में से एक मेटाबोलाइट जानवरों से बने उत्पाद जैसे रेड मीट में मौजूद पोषक तत्वों को पचाने का काम करता है, जिसे ट्राइमेथीलैमाइन एन-ऑक्साइड (टीएमएओ) भी कहते हैं। अमेरिका के टुलेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि ये हार्ट अटैक के जोखिम से जुड़ा हुआ है।
1 लाख से ज्यादा महिलाओं पर हुआ अध्ययन
शोधकर्ताओं का कहना है कि शाकाहारी भोजन या फिर शाकाहारी डाइट शरीर में टीएमएओ के उत्पादन की मात्रा को कम कर देती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने नर्सेस हेल्थ स्टडी में शामिल 760 महिलाओं की जांच की। ये स्टडी एक व्यापक अध्ययन था, जिसमें 30 से 55 साल की उम्र की 1,21, 701 महिला नर्स शामिल थीं।
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आदतों को लेकर पूछे गए सवाल
अध्ययन की प्रतिभागियों से उनके डाइटरी पैटर्न, धूम्रपान की आदतों और शारीरिक गतिविधियों के बारे में पूछा गया और उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई। इसके साथ ही अन्य डेमोग्राफिक डेटा और 10 साल के अंतराल पर खून के दो नमूने भी लिए गए।
डाइट एक महत्वपूर्ण कारक
शोधकर्ताओं ने महिलाओं से लिए खून के दोनों नमूनों में रक्त के तरल तत्व और प्लाजमा में टीएमएओ की सघनता का आंका। अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं का टीएमएओ स्तर अधिक था उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) का खतरा 67 फीसदी अधिक था। अध्ययन के मुख्य सह लेखक लु की ने कहा कि शरीर में टीएमएओ के स्तर को नियंत्रित करने में डाइट सबसे जरूरी जोखिम कारकों में से एक है। लु ने कहा, ''इससे पहले कोई कोहोर्ट स्टडी सामने नहीं आई थी, जिसमें टीएमएओ के सीएचडी से दीर्घकालिक संबंधों को हल किया गया था। साथ ही डाइटरी बदलावों से होने वाले जोखिम में कमी को भी नहीं दर्शाया गया था।'
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ह्रदय रोगों की रोकथाम जरूरी
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ये निष्कर्ष दिखाते हैं कि टीएमएओ के स्तर में कमी सीएचडी के जोखिम को कम करने में योगदान दे सकती है। उनका कहना है कि ह्रदय रोगों की रोकथाम में आंतों के माइक्रोबायोम की खोज एक्सप्लोर करने का एक नया क्षेत्र हो सकती है। जब 10 साल बाद खून के दूसरे नमूने की जांच की गई तो पाया गया कि उसका स्तर सीएचडी के प्रतिभागियों में ज्यादा था।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, टीएमएओ के स्तर में प्रत्येक वृद्धि सीएचडी जोखिम में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी से जुड़ी हुई है। ये संबंध डेमोग्राफिक, डाइट और जीवनशैली कारकों को नियंत्रित करने के बाद भी समान रहता है, जो टीएमएओ के उच्च स्तर और सीएचडी जोखिम के बीच एक संबंध को और मजबूत बनाता है।
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